कोरोना वाइरस का आर्थिक प्रभाव
कोरोना वाइरस महामारी ने सभी देशों की अर्थव्यसथाओं को प्रभावित किया है तथा भारत की अर्थव्यवस्था भी इस से प्रभावित रही है ।
कोरोना वाइरस महामारी ने सभी देशों की अर्थव्यसथाओं को प्रभावित किया है तथा भारत की अर्थव्यवस्था भी इस से प्रभावित रही है ।
हमारे देश का नाम है भारतवर्ष । पुराने जमाने में हमारे देश में एक प्रतापी राजा थे। उनका नाम था उत्तानपात। वे अपनी प्रजा को अपने बेटे के समान प्यार करते थे। प्रजा भी अपनी राजा को भगवान की समान पूजा करते थी। राजा उत्तानपात के दो रानियाँ थी। बड़ी रानी का नाम सुनीति और छोटी रानी का नाम सुरूचि ।
आज बचपन मोबाइल के इर्दगिर्द घूमता है । मोबाइल ने तकनीकी युग में सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है । आज बच्चों की शरारतें खिलौने तथा सभी खेल भी मोबाइल में कैद होकर रह गए हैं । मोबाइल में रहकर सभी उसके गुलाम बन गए हैं । आज हम शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति तथा मनोरंजन सभी क्षेत्रों मोबाइल पर निर्भर हो गए हैं ।
लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुसकुराती है, मैं उर्दू में ग़ज़ल क़हत हूँ हिन्दी मुसकुराती है …..
किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र की अपनी एक भाषा होती है जो उसका गौरव होती है, इसी भाषा को राष्ट्र भाषा के नाम से जाना जाता है, राष्ट्रीय एकता और राष्ट्र के स्थायित्व के लिए राष्ट्रभाषा की अनिवार्यता किसी भी शब्द के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है अतः यही भाषा शिक्षा के माध्यम तथा सरकारी काम-काज चलाने के लिए प्रयुक्त की जाती है ।
किसी भी समाज में भाषा का स्थान महत्वपूर्ण होता है। भाषा के जरिए एक व्यक्ति अपनी भावनाओं और संवेदनाओं को दूसरे व्यक्ति तक संप्रेषित करता है।
भारत में हिन्दी दिवस 14 सितम्बर को हर साल मनाया जाता है। अंग्रेजी, स्पेनिश और मंदारिन के बाद हिन्दी दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। दुनिया में हिन्दी भाषा चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।
आज की दुनिया में हम बच्चों की समस्याओं को कोई नही समझता। आज छोटे-छोटे एकाकी परिवारों में भौतिक सुख सुविधाओं के बीच हम बच्चों का बचपन सिमट कर रह गया है। आज हम भागदौड़ भरी व्यस्त जिन्दगी में नितांत अकेले हैं। पैसे कमाने की लगी माँ-बाप की होड़ में बचपन में ही बच्चे बड़े होते जा रहे हैं। माता-पिता अपनी व्यस्त जिन्दगी से बच्चों के लिए समय नहीं दे पाते और बच्चे लगातार भौतिक सुख-सुविधाओं के बीच अकेले तथा अपराध की दुनिया में घिरते जा रहे हैं।
हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा है। हम प्रतिवर्ष 14 सितम्बर को ‘हिन्दी दिवस’ के रूप में मनाते है। हिन्दी भाषा हमारे राष्ट्र का गौरव तथा हमारी शान है। हमारे देश में अनेक भाषाएं बोली जाती है। हिन्दी भाषा हमारे देश की सर्वाधिक प्रचलित भाषा है। पिछले कुछ दशकों में विदेशी सभ्यताओं ने हमारे देश में पैर पसारे तथा साथ ही विदेशी भाषाओं ने भी इस कारण हमारे देश में अंग्रेजी भाषा का भी बाहुल्य हो गया। अंग्रेजी भाषा के ज्ञान तथा प्रयोग के साथ ही साथ हमें अपनी मातृभाषा की महत्ता को कभी भी कम नहीं करना चाहिए।
भारत एक ऐसा देश है, जिसके बारे में कहा जाता है विविधता में एकता इसकी विशेषता है। ‘‘यह बात इस देश के भूगोल, धर्म, जाति, वेशभूषा, रहन-सहन, रंग-रूप’’ पर लागू नहीं होती अपितु भाषा की दृष्टि से भी यह बात खरी उतरी है। भाषा की दृष्टि से भारत एक बहुभाषि देश है। हिन्दी न केवल इसकी राष्ट्र भाषा है, अपितु मातृ भाषा है।
आज फिर जा रहे हैं वो, अपने सीने पर बंदूक रखे । आज फिर जा रहे हैं वो, उस देश को समर्पित होने।
14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मानया जाता है 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत वर्ष 1949 से हुई थी। 14 सितम्बर 1949 को भारत की संविधान सभा ने हिन्दी भाषा को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया था।
प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है और प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत वर्ष 1949 से हुई थी। 14 सितम्बर 1947 को भारत की संविधान सभा ने हिन्दी भाषा को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया था तक से इस भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए प्रतिवर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाने की शुरूआत हुई थी।
देवों के देव महादेव की निवास भूमि कैलाश को अपनी गोद में संजोए पर्वतराज हिमालय की उपत्यकाओं में स्थित उत्तराखण्ड राज्य को प्रकृति के आलोकिक सौन्दर्य का वरदान मिला है। हिमालय को जहाँ देवी पार्वती का पिता कहा जाता है, वहीं यह दवेताओं की सर्वाधिक रमणीय भूमि के रूप में हिमालय की गोद में स्थित है तो देवी गंगा का उद्गम स्थल भी यही स्थित है।