कौन हैं सुनील छेत्री: द ऐस फ़ुटबॉलर

फुटबॉल की अंतरराष्ट्रीय शासी निकाय- फीफा - ने भारतीय फुटबॉलर सुनील छेत्री के जीवन पर आधारित "कैप्टन फैंटास्टिक" नामक एक वृत्तचित्र श्रृंखला जारी करने की घोषणा की है।

टेनिस के बादशाह रोजर फेडरर ने लिया संन्यास

गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा रोजर फेडरर बहुत प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी हैं उन्होंने कई मुकाबले और खिताब जीते हैं और अपने ही देश...

मीराबाई चानू

मीराबाई चानू का जीवन परिचय

भारतीय खिलाड़ी मीराबाई चानू ने कॉमनवेल्थ गेम में वेटलिफ्टिंग के रिकार्ड को तोड़कर स्वर्ण पदक अपने नाम किया तथा भारत देश का झंडा गर्व से ऊंचा कर दिया। कॉमनवेल्थ गेम में भारत का यह पहला स्वर्ण पदक था।

नीरज चोपड़ा का जीवन परिचय

नीरज चोपड़ा का जीवन परिचय|भाला फेंक एथलीट

नीरज चोपड़ा का ओलंपिक खेलों में एक विशेष स्थान है। उन्होंने पिछले दो सालों में अपने बेहतरीन प्रदर्शन से अंतरराष्ट्रीय खेलों में अपना विशेष स्थान बनाया है तथा भारत के लिए अनेकों मैडल जीते हैं।

भगवानी देवी डागर

भगवानी देवी डागर का जीवन परिचय | एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने वाली दादी

दिल्ली के नजफगढ़ देहात की रहने वाली 94 साल की भगवानी देवी डागर ने फ़िनलैंड वर्ल्ड मास्टर्स एथलिटिक्स चैंपियनशिप में अपने हुनर से गोल्ड मैडल हासिल किया।

लुका छिपी

बच्चों के लिए इंडोर गेम्स और आउटडोर गेम्स (घर के बाहर खेले जाने वाले खेल)

आज के इस आधुनिक समय में बच्चे बहुत छोटी उम्र से ही वीडियो गेम में लग जाते हैं जिससे उनका विकास प्रभावित होता है तथा उन्हें विभिन्न प्रकार की बीमारियां होने का खतरा बना रहता है।

ओलंपिक खेलों में विजेताओं द्वारा पदक (मैडल) को दांतों से काटना – एक परंपरा या कुछ और?

किसी भी खिलाड़ी का सपना होता है कि वह ओलंपिक खेलों में भाग लेकर अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपने देश का प्रतिनिधित्व करे तथा स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक जीतकर अपने देश का नाम गौरवान्वित करें।

वर्ल्ड चैंपियन: निखत ज़रीन

सभी लोग इतिहास पढ़ते हैं परंतु कुछ लोग ऐसे होते हैं जो इतिहास रचने का सपना लेकर चलते हैं और अपनी मेहनत और लगन से उसे हासिल भी करते हैं। ऐसा ही व्यक्तित्व एक भारतीय मुक्केबाज खिलाड़ी निखत ज़रीन का था।

थॉमस कप 2022 जीत कर भारत ने रचा नया इतिहास

भारतीय बैडमिंटन टीम ने 15 मई, 2022 रविवार को इंडोनेशिया को 3-0 से हराकर जीत हासिल की। यह भारतीय बैडमिंटन टीम की 73 वर्षों के बैडमिंटन इतिहास में पहली विजय थी।