दीपाली द्वारा लिखित

भारत एक ऐसा देश है, जिसके बारे में कहा जाता है विविधता में एकता इसकी विशेषता है। ‘‘यह बात इस देश के भूगोल, धर्म, जाति, वेशभूषा, रहन-सहन, रंग-रूप’’ पर लागू नहीं होती अपितु भाषा की दृष्टि से भी यह बात खरी उतरी है। भाषा की दृष्टि से भारत एक बहुभाषि देश है। हिन्दी न केवल इसकी राष्ट्र भाषा है, अपितु मातृ भाषा है।

राष्ट्रभाषा हिन्दी

15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ, तब महात्मा गांधी ने अनौपचारिक रूप से हिन्दी को राष्ट्रभाषा कहा। 14 सितम्बर, 1949 को औपचारिक रूप से इसे भारत की राजभाषा घोषित किया और जब से लेकर 15 वर्ष तक राजकाज अंग्रेजी भाषा में ही पेश करने की मजबूरी पेश की गयी। यह केवल खेद की बात है आज तक हिन्दी औपचारिक रूप से हमारी राष्ट्र भाषा नहीं बन पाई और आज हिन्दी की दशा भी भारतीय राष्ट्रपति के जैसी हो गयी है, जिसका केवल नाम है, सारे काम तो अंग्रेजी के।

वर्तमान युग में हिन्दी महत्व

भारत की 80% जनसंख्या हिन्दी बोलती व समझती है। भारत के अतिरिक्त हिन्दी मारीशस, फिजी, पाकिस्तान, वेस्टइंडीज में बोली जाती है। आज हिन्दी का प्रभाव अमेरिका में अत्यधिक बढ़ रहा है। अभी कुछ समय पूर्व तक अमेरिका के मात्र 2-3 विश्वविद्यालय में पढा़ई जाने वाली हिन्दी भाषा वर्ष 2007-2008 से वहाँ के 60 से अधिक विश्वविद्यालयों में वैकल्पिक विषय में रूस में पढ़ाई जा रही है।

जहाँ 1975 ई0 में पहला ‘‘विश्व हिन्दी सम्मेलन’’ नागपुर में हुआ वही आठवां ‘‘विश्व हिन्दी सम्मेलन’’ 13 से 15 जुलाई 2007 तक अमेरिका के न्यूयार्क नगर में आयोजित किया गया। विश्व हिन्दी सचिवालय मारीशस में खोला गया है। इन आंकड़ों के सहज यह ज्ञान होता है कि हिन्दी भाषा कितनी महत्तवपूर्ण बनती जा रही है।

हिन्दी का समृद्ध साहित्य

हिन्दी में साहित्य न केवल रचा गया है अपितु अनवरत रचा जा रहा है। हिन्दी भाषा में रचित साहित्य सम्पूर्ण देश को एक सूत्र में पिरोने में अहम् भूमिका अदा कर रहा है। तुलसी, सूर, का साहित्य जहाँ देश का धार्मिक एकता को स्थिर है। वहीं कबीर का साहित्य तमाम भेदभावों की दीवारों को गिराता है। यही नहीं विदेशी साहित्य भी जब तक हिन्दी की शरण प्राप्त नही करता, अपना प्रभाव संसार तक पहुँचने में असफल रहता है। ‘‘हैरी पाटा’’ इस तथ्य का ज्वलंत उदाहरण हैं।

राष्ट्र भाषा का प्रचार-प्रसार

हालांकि हिन्दी अघोषित रूप से भारत की राष्ट्रभाषा है और अभी तक सरकार ने इसे राष्ट्रभाषा घोषित नहीं किया है। परन्तु अनेक अन्य तरीकों से भारत सरकार कई राज्य सरकारें इसका प्रचार-प्रसार कर रही हैं। अनेक राज्यों में प्रशासन का काम-काज हिन्दी में होता है। भारत सरकार हिन्दी में उत्कृष्ट लेखन के लिए ‘‘ज्ञान-पीठ’’ पुरस्कार देती है, तो अनेक राज्य सरकारें इसे हेतु साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान करती हैं। इसी प्रकार व्यास सम्मान व भारत-भारती सम्मान राष्ट्रभाषा के प्रचार-प्रसार के हित में दिये जाने वाले पुरस्कारों में अग्रगण्य है। सरकार को चाहिए कि वो परोक्ष रूप से हिन्दी का प्रचार-प्रसार करने वाले इन संस्थानो को भी विशेष रूप से सहायता प्रदान करें।