सानिया बानो द्वारा लिखित, कक्षा 9 की छात्रा

महिला सशक्तिकरण क्या है?

महिला सशक्तिकरण को बेहद आसान शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है, कि इससे महिलाएँ शक्तिशाली बनती हैं जिससे वो अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती हैं और परिवार व समाज में अच्छे से रह सकती है । समाज में अनेक वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हे सक्षम बनाना, महिला सशक्तिकरण है ।

महिला सशक्तिकरण की क्यों ज़रूरत है ?

महिला सशक्तिकरण की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि प्राचीन समय से भारत में लैंगिक असमानता थी और पुरुष प्रधान समाज था। महिला को तो जैसे वे खिलौना समझते थे और पुरुष जात को राजा महाराजा का दर्जा दिया जाता था । वे चाहे महिला के साथ कुछ भी करे या महिला का इस्तेमाल कर के एक समान की तहा फेंक दे, समाज में कोई फरक नहीं पड़ता था । वे महिला को अपने पैरों की जूती के समान दर्जा दिया करते थे । हालांकि यह सभी चीज़ें हमारे समाज में आज भी उपस्थित हैं ।

हमारे देश में महिलायों के साथ परिवार व समाज में भेदभाव किया जाता था। केवल भारत में ही नहीं बल्कि और भी देशों में दिखाई पड़ता था और दिखाई पड़ता है । महिलायों के लिए प्राचीन काल से समाज में चले आ रहे गलत और पुराने चलन को नए रीति रिवाजों और परंपरा में ढाल दिया जाता था ।

महिलायों का सम्मान व अधिकार

लोगों को जगाने के लिए महिलायों का जागृत होना जरूरी है । एक बार जब कोई महिला अपना कदम उठा लेती है, तो परिवार को आगे बढ़ाती है, गाँव को आगे बढ़ाती है और राष्ट्रिय विकास को उन्मुख की और ले जाती है ।

भारत में महिलायों को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाली सभी शैतानी सोच को मारना ज़रूरी है । जैसे दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, भ्रूण हत्या, महिलायों के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार और ऐसे ही दूसरे विषय।

लैंगिक भेदभाव राष्ट्र में संस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शिक्षा में अंतर ले आता है जो देश को पीछे की और ढकेलता है। इस तरह की बुराइयों को मिटाने के लिए संविधान में उल्लिखित समानता के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए महिलायों को सशक्त बनाना सबसे प्रभावशाली उपाय है ।

भारत एक प्रसिद्ध देश है जिसने विविधता में एकता के मुहावरे को साबित किया है, जहाँ भारतीय समाज में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं और महिलायों को हर धर्म में अलग अलग स्थान दिया जाता है । लैंगिक समानता व महिलायों का सम्मान प्राथमिकता देने से पूरे भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला।

हर देशवासी को “महिला सशक्तिकरण” को बढ़ावा देना चाहिए

महिला सशक्तिकरण के उच्च लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इसे हर एक परिवार में बचपन से प्रचारित व प्रसारित करना चाहिए । ये ज़रूरी है कि महिलाएं शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से मजबूत हों । चूंकि एक बेहतर शिक्षा की शुरुयात घर से भी हो सकती है मगर महिलायों को इस लायक बनाने के लिए शिक्षा व साहस की शुरुयात विद्यालय से की जाए।

महिलायों के विकास के लिए एक स्वस्थ परिवार व स्वस्थ दिमाग मतलब कि जो भेदभाव या लड़कियों को दबा कर न रखें ऐसे परिवार की एक देश और हर राज्य की महिलायों को ज़रूरत है। जो राष्ट्र के विकास के लिए आवश्यक है। आज भी कई पिछड़े क्षेत्रों के माता पिता की अशिक्षा, असुरक्षा और गरीबी की वजह से कम उम्र में विवाह और बच्चे पैदा करने का चलन भी था और अभी भी है जो कि सही नहीं है। इस गरीबी के लिए भी सरकार ने उपाय निकाले हैं जिससे इस देश की कोई लड़की अनपढ़ न रहे ।

सरकार द्वारा महिलायों के लिए संविधानिक और कानूनी अधिकार

असमानता और बुरी प्रथाओं को हटाने के लिए सरकार द्वारा कई सारे संविधानिक और कानूनी अधिकार बनाए और लागू किये गए है । हालांकि ऐसे बड़े विषय को सुलझाने के लिए महिलायों सहित सभी का लगातार सहयोग चाहिए था और सभी का सहयोग मिला भी लेकिन अभी भी कुछ लोग इसके खिलाफ हैं । मगर कानूनी अधिकार में महिलायों को सफलता मिली । महिलायों की समस्यायों का उचित समाधान करने के लिए महिला आरक्षण बिल 108वां संविधान पास हुआ है। इस संसद में महिलायों की 33% हिस्सेदारी को सुनिश्चित करता है । महिलायों की स्थिति बदलने के लिए स्वयं सेवा समूह और एनजीओ आदि इस दिशा में कार्य कर रहे हैं ।