गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

आज के समय में हिजाब एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना है जहां पर ईरान में हिजाब कानून का विरोध हो रहा है। कई लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा हैं तथा कई लोगों पर फायरिंग हो रही है। आज हम ईरान में हो रहे विरोध प्रदर्शन के बारे में जानकारी हासिल करने वाले हैं।

इरान
ईरान में होने वाले इस विरोध के बारे में जानने से पहले हम ईरान बारे में कुछ जानकारी हासिल करते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि ईरान मध्य पूर्व एशिया में स्थित एक देश है जहां पर जनतांत्रिक व्यवस्था है यहां की मुख्य आबादी मुस्लिम है इसलिए यहां पर मुस्लिम कानूनों को माना जाता है इराक की राजधानी बगदाद है।

क्या है मोरेलिटी पुलिस?
जैसे की हम सभी जानते हैं कि ईरान एक मुस्लिम देश है जहां पर मुस्लिम कानूनों के पालन को देखने के लिए एक विशेष पुलिस बनाई गई है जिसे मोरेलिटी पुलिस कहते हैं।

इस पुलिस का कार्य यह देखना होता है कि महिलाएँ मुस्लिम नियमों के अनुसार कपड़े पहन रही हैं या नहीं? ईरान में महिलाओं को सही रूप से हिजाब पहनना आवश्यक है। अगर कोई महिला सही रूप से हिजाब नहीं पहनती तो यह पुलिस उसे पुलिस स्टेशन ले जाते हैं तथा दंड देते हैं।

एक घटना विरोध की नींव
आपके मन में यह सवाल होगा कि ईरान एक मुस्लिम देश है जहां पर महिलाएं लंबे समय से हिजाब पहन रही है परंतु इन दिनों में ऐसा क्या हुआ कि महिलाओं ने हिजाब के विरोध में प्रदर्शन करना आरंभ कर दिया? यह विरोध एक घटना से जुड़ी हुई है।

ईरान में 13 सितंबर को महसा अमिनी नाम की एक औरत जो 22 साल की थी वो कार में सफर कर रही थी तभी ईरान की मोरेलिटी पुलिस ने उन्हें सही से हिजाब न पहनने के कारण गिरफ्तार किया। उस समय लड़की के पिता तथा भाई उसके साथ मौजूद थे परंतु उनके ऊपर ध्यान न देते हुए पुलिस उसे सीधा पुलिस स्टेशन ले गई।

पुलिस स्टेशन में 2 घंटे बाद उनकी मृत्यु हो गई तथा पुलिस ने बोला कि उन्हें हृदय रोग की वजह हार्टअटैक आया है परंतु उसके परिवार वाले तथा गवाहों का मानना है कि उसकी मृत्यु पुलिस द्वारा पीटे जाने तथा शारीरिक उत्पीड़न से हुई है।

विरोध प्रदर्शन की शुरुआत
16 सितंबर को महसा अमीनी की मृत्यु के बाद से यह यह घटना पूरी ईरान में फैल गई तथा लोगों ने विरोध प्रदर्शन आरंभ कर दिया।

बहुत सारी महिलाओं ने अपने हिजाब उतार उतार कर जलाना आरंभ कर दिया और कुछ नारावादी तथा समाजसेवी महिलाओं ने तो अपने बाल काटकर विरोध प्रदर्शन किया तथा वीडियो भी डाली।

अब यह मुद्दा पूरे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैल चुका है तथा विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं जैसे संयुक्त राष्ट्रसंघ, एमनेस्टी इंटरनेशनल और मानव अधिकार आयोग आदि महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे हैं तथा महिलाओं को पूर्ण सहयोग कर रहे हैं।

ईरान की बहुत सारी प्रसिद्ध हस्तियां भी महिलाओं का सहयोग कर रही हैं तथा ईरान सरकार का विरोध हो रहा है ताकि इस प्रकार के कानून को समाप्त करें और महिलाओं को उनकी आजादी दे।

इरान सरकार क्या कह रही है?
ईरान की सरकार ने बहुत सारे वीडियो और स्टेटमेंट के माध्यम से यह बताना चाहा कि महसा अमिनी की मृत्यु मे मोरालिटी पुलिस का कोई योगदान नहीं है।

ईरान की सरकार कह रही है कि महसा अमिनी को हृदयरोग था जिसकी वजह से उनकी मृत्यु हुई है।

इराक के एक डॉक्टर जिन्होंने महसा अमीनी का इलाज किया, उन्होंने बहुत साहस जुटा कर एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें दिखाया गया है कि महसा अमिनी के सिर में फ्रेक्चर हुआ है जो उन्हें सर पर मारने की वजह से आया है जो यह दर्शाता है कि पुलिस स्टेशन में उन्हें पीटा गया था।

इस रिपोर्ट के विरोध में सरकार कह रही है कि उन्हें बचपन से ही वह चोट थी जिसकी वजह से उनकी मृत्यु हो गई परंतु उनके परिवार वालों का कहना है कि उन्हें कोई चोट नहीं थी।

सरकार का विरोध
सरकार के विरोध में बहुत से समाजसेवी तथा नारीवादी लोगों ने कदम उठाया है और विरोध प्रदर्शन पर उतर आए हैं।

बहुत सारी महिलाएं जिन्होंने इस प्रकार की चीजें सहनी पड़ी थी तथा मोरेलिटी पुलिस ने उनके साथ भी गलत व्यवहार किया था वो भी अपने वीडियो इंटरनेट पर डाल रही हैं जिससे विरोध प्रदर्शन और बढ़ रहा है।

इराक की मोरेलिटी पुलिस के द्वारा किए जाने वाले अत्याचारों की पूरी कहानी निकलकर बाहर आ गई और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भी पुलिस तथा सरकार की निंदा कर रही है।

महिलाओं की मांगे
अगर हम महिलाओं की मांगों की बात करें तो उनकी प्रमुख मांग स्वतंत्रता ही है।

महिलाएं “नारी, जीवन और आजादी” के नारे लगा रही हैं और शासकों के लिए मृत्यु मांग रही हैं।

महिलाओं का मानना है कि चाहे हिजाब पहनना हो या ना पहनना हो वह उनकी खुद की मर्जी होनी चाहिए ना की किसी और की जबरदस्ती।

क्या यह हिजाब नियम हमेशा से था?
आप सोच रहे होंगे कि क्या मुस्लिम कानून में यह हिजाब पहनने का नियम हमेशा से है? तो हम आपको बता दें कि नहीं 1779 से पहले इस प्रकार का कोई भी नियम नहीं था परंतु 1779 में एक नए शासक आए। उन्होंने महिलाओं के लिए हिजाब पहनने को वरीयता दी तथा 1981 में एक ऐसा कानून आया जिसने महिलाओं का हिजाब पहनना जरूरी बना दिया। हिजाब न पहनने पर उन्हें दंड दिया जाता था। कई बार महिलाओं ने इसका विरोध करना चाहा और सोशल मीडिया पर भी बहुत विरोध हुआ परंतु कोई हल नहीं निकला।

ईरान के वर्तमान राष्ट्रपति ने भी हिजाब पहनने को जरूरी बना रखा है तथा हिजाब तो सही प्रकार न पहनने पर भी महिलाओं को दंड दिया जाता है।

वर्तमान स्थिति
वर्तमान में सरकार विरोधियों को रोकने के लिए हर कदम उठा रही है।

सरकार ने विरोधियों को रोकने के लिए उन पर फायरिंग करवाई, जिसकी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा निंदा हो रही है।

ईरान के विभिन्न स्थानों पर हो रहे विरोध प्रदर्शन को विश्व के सामने लाने से रोकने के लिए ईरान में इंटरनेट सुविधाओं को बंद कर दिया गया है।

पूरे देश में अलग-अलग स्थानों पर विरोधियों द्वारा हिजाब को जलाया जा रहा है और पुलिस उन्हें रोकने के लिए बल प्रयोग कर रही है।

आज हमने ईरान में हो रहें विरोध प्रदर्शन की जानकारी हासिल की। देखना यह है कि यह विरोध क्या मोड़ लेता है आगे की अपडेट के लिए हमारे साथ जुड़े रहे तथा देश दुनिया की खबरों से खुद को परीचित रखें।

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