भावना गर्ग द्वारा लिखित

हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा है। हम प्रतिवर्ष 14 सितम्बर को ‘हिन्दी दिवस’ के रूप में मनाते है। हिन्दी भाषा हमारे राष्ट्र का गौरव तथा हमारी शान है। हमारे देश में अनेक भाषाएं बोली जाती है। हिन्दी भाषा हमारे देश की सर्वाधिक प्रचलित भाषा है। पिछले कुछ दशकों में विदेशी सभ्यताओं ने हमारे देश में पैर पसारे तथा साथ ही विदेशी भाषाओं ने भी इस कारण हमारे देश में अंग्रेजी भाषा का भी बाहुल्य हो गया। अंग्रेजी भाषा के ज्ञान तथा प्रयोग के साथ ही साथ हमें अपनी मातृभाषा की महत्ता को कभी भी कम नहीं करना चाहिए। हिन्दी भाषा हमारे देश के गौरव के साथ-साथ विश्व में हमें अपनी पहचान भी दिलाती है, जिसे हमें किसी भी कीमत पर विलुप्त नहीं होने देना चाहिए।


हमारा देश अपने हिन्दी भाषी होने पर गर्व करता है। हमें अपने विद्यार्थियों तथा युवा पीढ़ी को इसके महत्तव को बराबर समझना चाहिए। हिन्दी भाषा सरल, सहज, तथा सुगमता से समझी जाने वाली भाषा है। हिन्दी भाषा का साहित्य विश्व के सर्वश्रेष्ठ साहित्यों में से एक है। भारत की मातृभाषा होने के करण हिन्दी को सर्वत्र सम्मान तथा गौरव प्राप्त है। हम भारतीयों को अपने हिन्दी भाषी हाने पर गर्व होना चाहिए। हमने अंग्रेजी भाषा के ज्ञान को आज प्रतिष्ठा चिह्न बना लिया है। जबकि ऐसा कदापि नहीं होना चाहिए। हमें अपनी हिन्दी को भी पूरा मान सम्मान देना चाहिए। हम हिन्दी भाषा को अपनाकर भी अपने देश के विकास में अपना योगदान दे सकते है। 14 सितम्बर 1949 में हिन्दी भाषा को राजभाष्ज्ञा के रूप में मनोनीत किया गया। हमारे देश के सभी सरकारी कार्यालयों के काम-काज में हिन्दी भाषा का प्रयोग किया जाता है। हमें भी हिन्दी भाषा के पर्याप्त ज्ञान तथा जानकारी से इसके प्रचार तथा प्रसार में अपना योगदान देना चाहिए। हिन्दी भाषा के साहित्य की वृद्धि के लिए प्रयास करने चाहिए। हमें एकवर्ग को हिन्दी भाषा की विविध विधाओं की जानकारी देकर उन्हे नई विधाओं में लेखन कला के विकास के लिए जागरूक करना चाहिए। भाषा की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए रोचक समग्री उपलब्ध कराएँ तथा विविध प्रतियोगिताओं के माध्यम से युवावर्ग में हिन्दी के प्रति जागरूकता बढ़ाए। सरकार द्वारा उठाए गये प्रस्तावित कदमों से सभी स्थानीय भाषाओं के विकास के साथ-साथ हिन्दी भाषा को भी पर्याप्त महत्व प्राप्त होगा। हिन्दी भाषा भावों की अभिव्यक्ति का श्रेष्ठतम् व सरलतम माध्यम है । हम भारतीयों का अपनी हिन्दी भाषा पर गर्व है। आओ हम सब मिलकर हिन्दी अपनाएँ। अपने देश का मान बढ़ाएँ।

हम कह भी सकते है कि-
‘‘प्रभव यही है, पली यहीं है
बढ़ी इसी भारत में है।
एक बार अपनाकर देखो
कितनी प्यारी हिन्दी है।

हिन्दी भाषा ने हमारे समाज को साहित्य की नई-नई विधाओं से समृद्ध किया है। हमारी संस्कृति, सभ्यता, संगीत तथा धार्मिक ग्रन्थ सभी हिन्दी भाषा की देन है। हमें अपने देश का राष्ट्रगान, राष्ट्रगीत सभी का महत्त्व बहुत सरलता तथा सहजता से समझा जाता है। हमें अपनी भाषा के महत्व को ध्यान में रखते हुए इसके विकास और प्रचार-प्रसार में अपना सहयोग देना चाहिए। आज आत्मनिर्भर भारत में हम अपनी राष्ट्रभाषा को उचित सम्मान प्रदान करे तथा एक बार अपने देशवासियों से मिलकर यह आह्वान करें कि अपनी राष्ट्रभाषा को दिल से अपनाएँ। गर्व से कहे हम भारतीय है तथा हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी है। हमे अपनी हिन्दी भाषा पर गर्व है।

हिन्दी दिवस हिन्दी के सम्मान तथा लोगो तक पहुंचाने के लिए किया जाता है। हिन्दी भाषा हमारे संस्कारों का प्रतिबिम्ब है यह भाषा हमारे देश को एकता के सूत्र में बांधती है। आज हिन्दी भाषा अर्न्तराष्ट्रीय भाषा बन गई है। हमें हिन्दी को अपनाकर अपने देश का विकास करना चाहिए।

‘‘ना समझे हिन्दी को कम, गर्व से बोले हिन्दी हम’’।