जिया द्वारा लिखित, 16 साल की छात्रा

आज फिर जा रहे हैं वो,
अपने सीने पर बंदूक रखे ।
आज फिर जा रहे हैं वो,
उस देश को समर्पित होने।

आंखो में ख्वाब है,
जुबां पर खुशियों का स्वाद है,
दिल में, कुछ जज़्बात हैं,
और दिमाग में, बस जीतने का भूत सवार है।
और इन सबको लिए,
आज फिर जा रहे हैं वो ।

सरहद पर शांति है,
पर दिल में तूफान है ।
आशा लगाए उनके आने की ,
बैठा उनका संसार है।
कुछ कीमती यादे हैं,
और घर लौट आने के लिए वादे हैं।
कुछ पत्र भी हैं,
ममता और स्नेह से लिपटे,
और इन सबको लिए,
आज फिर जा रहे है वों!
युद्ध लड़ने को तैयार है
और दूसरी सेना
बस सीमा पार है ।
गोलियां चली, खून बहें।
अब इस मिट्टी में, हम जीवन भर रहे
यह कह के जवान, देखे आसमान
और फिर क्या, आज गए थे जवान !!

घर पर पहुंचे ये दुख भरे पैगाम
और फिर उदासी का बवंडर था महान
टूटी चूड़ियां, हुआ देहांत !
उन ख्वाबों का भी,
उन जज़्बातों का भी ,
और लौट आने के वादों का भी ।
आज फिर गए और थे जवान
उस सीमा पार!!