साक्षी तिवारी द्वारा लिखित

वर्तमान में भारत की अर्थव्यवस्था बहुत कमजोर हो चुकी है हालांकि जन जागरूकता इस विषय में थोड़ी कम है। जी.डी.पी. अर्थात सकल घरेलू उत्पाद एक वर्ष के भीतर देश में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य का आकलन इसके अंतर्गत किया जाता है।

जी.डी.पी. के आकलन द्वारा देश के विकास दर को समझा जा सकता है, जी.डी.पी. का प्रत्येक तीन माह के अंतराल में आकलन किया जाता है। वर्तमान में जी.डी.पी. में -23% की गिरावट आयी है। वर्ष 1947 के बाद देश में कई युद्धों के बाद भी देश की जी.डी.पी. इतने खराब स्थिति तक नहीं पहुंची। देश में अभी केवल कृषि क्षेत्र में 3.5% की वृद्धि देखी जा रही है। कृषि क्षेत्र के अलावा सभी क्षेत्र घाटे का सामना कर रहे हैं। 2020-21 के पहले तिमाही में ही -23.9% की गिरावट देखी जा रही है ।

2020-21 के वित्तीय वर्ष के पहले तिमाही (अप्रैल-जून) में औद्योगिक क्षेत्र (-38.1%) सेवा क्षेत्र (-20.6%) उत्पादक क्षेत्र (-39.8%) व्यापार, होटल आदि (-47%) पर आकर रूके इससे ही ज्ञात होता है कि स्थिति क्या है।

देश में आजादी के बाद सर्वपथम 1957-78 में देश की जी.डी.पी. ऋणात्मक हुई थी जब देश में दूसरा लाकेसभा चुनाव हो रहा था। तब -1.2 % की गिरावट देखी गई थी। 1965 में -2.6% यह चीन के युद्ध व पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद की स्थिति थी। इसके बाद 1972-73 में इंदिरा गांधी जी द्वारा गरीबी हटाओं के नारे के बुलंद होने की स्थिति में -0.6% जी.डी.पी. थी। यह नारा मुख्यतः लोगों का ध्यान विकास दर से हटाकर अपनी ओर आकर्षित करने के लिए था।

1979-80 जिसे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बुरा दौर माना जाता है, -5.2% जी.डी.पी. का आकलन किया गया। इसके बाद देश में कभी ऋणात्मक स्थिति नहीं देखी गई। 1990-91 जब देश में आर्थिक सुधार का दौर था तब 1.4% जी.डी.पी. अंकित की गई। इस समय पी.वी. नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री व डा. मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे। उन्होने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए जो उपाय किये उसके बाद कभी अर्थव्यवस्था ऋणात्मक नहीं हुआ।

1991 के बाद 2000-01 में अटल बिहारी बाजपेयी जी के शासनकाल में जी.डी.पी. 3.9% थी। इसके बाद 2011-12 में डा. मनमोहन सिंह जी के सरकार में जी.डी.पी. 5.5% की थी। इसके बाद देश के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के शासन काल में 2018 के पहले तिमाही में 8.2% जी.डी.पी. अभी तक सर्वाधिक थी। परन्तु इसके पश्चात उसके घटने का चलन प्रारम्भ हुआ और 2018 में जी.डी.पी. गिरी 2019 के (जनवरी-मार्च) में 5.7% व (अप्रैल-जून) 2019-20 की पहली तिमाही 5.2% (जुलाई-सितंबर) 4.4% (अक्टूबर-दिसम्बर) 4.1%  (जनवरी-मार्च) 3.3%।

इन स्थितियों के बाद देश ने कोरोना महामारी का सामना किया और स्थितियाँ और खराब हो गईं। इसका फलस्वरूप आज जी.डी.पी. में (-23.9%) की गिरावट है । इसका कारण सीधा है सभी आर्थिक क्रियाओं पर लगा आकास्मिक रोक जिसके फलस्वरूप आयकर व वस्तु सेवा कर भी सरकार को प्राप्त नहीं हुए। हालांकि इसका अनुमान पहले ही लगाया जा चुका था।

इस वर्ष 2020 (जनवरी-मार्च) में उत्पादन क्षेत्र -1.4% था अतः अब -38% निर्माण कार्य (जनवरी-मार्च) -2.2% अब -42% व्यापार, होटल, यात्राएं संचार जो महामारी के दौरान पूर्णतः बंद थे, -44% की गिरावट का सामना कर रहे थे।

सुधार की आवश्यकता

1.       लोगों को राहत पैकेज उपलब्ध कराए जाएँ ।

2.       सरकारी योजनाओं जैसे- मनरेगा आदि के द्वारा ग्रामीण इलाकों में रोजगार उपलब्ध किए जाएँ।

3.       भुखमरी की स्थितियां उत्पन्न न हो उसके लिए अनाज उपलब्ध कराये जायें।

4.       छोटे उद्योगों व व्यापारियों को बढ़ावा देने के लिए जी.एस.टी. में कुछ कटौती की जाए।

5.       निर्माण कार्यों को शुरू किया जाये जिससे रोजगार के अवसर उपलब्ध हो।

6.       निजी कंपनियों द्वारा कर्मचारियों को कुछ वेतन अतिरिक्त उपलब्ध कराया जाये।

7.       प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग कर उत्पादन में वृद्धि की जाये।

8.       आयात-निर्यात कर थोड़े कम किये जायें जिससे अंतर्राष्ट्रिय व्यापार को बढ़ावा मिले।

9.       बेरोजगारी की स्थिति को सुधारने के लिए सरकार योजनाओं का निर्माण करे।

10.     लोगों के माँग में वृद्धि करने के लिए उनके पास उचित आर्थिक सहायता हो।