गीतांजली पाण्डेय द्वारा लिखित, 17 साल की छात्रा

“हर घर की शोभा है नारी

तब क्यों बनी है अभागी और बेचारी ”

आज आजादी के 70 सालों के बाद भी भारतीय लोकतंत्र में महिलाओं की स्थिति संतोषजनक नहीं है। आधुनिकता के विस्तार के साथ-साथ देश में दिन-प्रतिदिन महिलाओं के प्रति अपराधों में तेजी से वृद्धि हुई है। आज के समय में भी महिलाएं कई सामाजिक, राजनितिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक समस्याओं को झेल रही है। भारतीय लोकतंत्र में महिलाओं की स्थिति लगातार दयनीय होती जा रही है।

महिलाओं की आर्थिक स्थिति

भारतीय अर्थवयवस्था में महिलाओं की भूमिका लगातार बढ़ रही है। कृषि क्षेत्र से लेकर सेवा सेक्टर तक महिलाओं की स्थिति में सुधार आया है, परन्तु आज भी महिलाओं के काम को कम महत्त्व दिया जाना, उन्हें पुरुषों की तुलना में कार्य का कम वेतन देना, परिवार द्वारा आर्थिक सहयोग की कमी तथा कार्य क्षेत्र पर यौन उत्पीड़न आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

महिलाओं की सामाजिक स्तिथि

आज के आधुनिक समय में भी महिलाओं की सामाजिक स्थिति काफी बुरी है। भारतीय समाज में बढ़ते घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, कन्या भ्रूण हत्या, लिंग के अनुसार गर्भपात, दहेज़ प्रथा, बाल विवाह एवं बलात्कार आदि के बढ़ते मामलें, लोगों के नैतिक मूल्यों में हास्र को दर्शाते हैं।

महिलाओं की राजनीतिक स्थिति

भारतीय महिलाओं द्वारा उच्च राजनीतिक उपलब्धियाँ हासिल करने के बाद भी महिलाओं का शासन एवं नीति- निर्माण में बहुत कम योगदान है, उन्हें महत्वपूर्ण राजनीतिक फैसलों से दूर रखा जाता है, तथा राजनीतिक फैसलों पर पुरुषों का ज्यादा प्रभाव देखा जा सकता है।

शैक्षणिक स्तिथि

कुछ बीते दशकों में महिलाओं की साक्षरता दर में वृद्धि हुई है, परन्तु अब भी यह पुरुषों की तुलना में बहुत कम है। आज भी माता-पिता पुत्र की शिक्षा को पुत्री की शिक्षा से अधिक प्रधानता देते हैं।

सरकार को महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए उचित कदम उठाने चाहिए एवं महिलाओं को भी जागरुक बनकर अपने अधिकारों को पहचानना चाहिए। उन्हें अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।

“जब होगा नारी का सम्मान

तब बनेगा भारत देश महान ”

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