प्राची द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

धरती से अलग एक अनोखी दुनिया अंतरिक्ष में है। बहुत सारे लोग अंतरिक्ष में जाना चाहते हैं, उनका यह सपना अब NASA और  SpaceX का मिशन Crew 1 पूरा करेगा। यह मिशन अंतरिक्ष की दुनिया में एक नया कदम है।

क्या है Crew 1 मिशन?

15 नवम्बर को फ्लोरिडा के जॉन एफ केनेडी स्पेस सेंटर से Crew 1 मिशन के तहत चार अंतरिक्ष यात्री ISS (इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन) के लिए रवाना हुए। जिनमें 3 अंतरिक्ष यात्री नासा से माइकल हॉपकिंस, विक्टर ग्लोवर, शैनन वॉकर और 1 अंतरिक्ष यात्री जापान ऐरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी से सोइची नोगुची है।

यह मिशन सबसे अलग इसलिए है क्योंकि इस मिशन में उपयोग स्पेसशिप नासा का नहीं है, बल्कि एक प्राईवेट कंपनी स्पेस X का है। यह मिशन नासा के कमर्शियल क्रू प्रोग्राम का हिस्सा है। इस प्रोग्राम के तहत नासा और स्पेस X छ: क्रू मिशन अंतरिक्ष में भेजेंगे। जिसमें यह पहला अंतरिक्ष मिशन है।

इस मिशन के लिए स्पेस X द्वारा निर्मित क्रू ड्रैगन कैपसूल, जिसका नाम Resilience रखा गया है, जिसमें अंतरिक्ष यात्री बैठकर जाऐंगे, और फ़ाल्कन 9 रॉकेट का इस्तेमाल किया गया है। इस मिशन से पहले नासा ने स्पेस X के क्रू ड्रैगन कैपसूल और फ़ाल्कन 9 रॉकेट को सर्टिफाइड किया था। इसका प्रयोग नासा ने मई 2020में किया था, जब यह स्पेसक्राफ्ट और रॉकेट दो अंतरिक्ष यात्रियों रॉबर्ट बेकन और डगलस हार्ले को ISS ले गया और वापिस पृथ्वी पर लाया।

क्या कारण है इस मिशन की शुरुआत के पीछे?

इस मिशन की नींव तब पड़ी जब 2011 में नासा ने स्पेस सटल प्रोग्राम के बंद होने के बाद खुद अंतरिक्ष में यात्रियों को भेजना बंद कर दिया। 1998 से अमेरिका और रूस ने अंतरिक्ष में ISS बनाने का काम शुरू किया जो कि 2011 में पूरा हुआ। नासा के स्पेस सटल प्रोग्राम के बन्द होने का कारण है, नासा के 1986 के स्पेस सटल चैलेंजर के साथ हुआ हादसा, जिसमें लॉन्च होने के 73 सेकंड बाद स्पेस सटल चैलेंजर ब्लास्ट हो गया। इसमें बैठे सातों अंतरिक्ष यात्रियों की मृत्यु हो गई। दूसरा हादसा 2003 में स्पेस सटल कोलम्बिया के साथ हुआ,जब यह स्पेसशिप पृथ्वी के वायुमंडल में दाखिल हुआ तो इसके टुकड़े टुकड़े हो गए। इसमें बैठे सभी सात अंतरिक्ष यात्रियों को अपनी जान गवानी पड़ी,जिनमे से एक भारतीय मूल की कल्पना चावला थी। नासा को 2011 के बाद अपने अंतरिक्ष यात्रियों को ISS भेजने के लिए रूस के सोयूज स्पेसक्राफ्ट पर सीट खरीदनी पड़ती थी, जो नासा को काफी मँहगी पड़ती थी और रूस पर से अपनी निर्भरता कम करने के लिए नासा ने इस प्रोग्राम की शुरुआत की।

क्या है मिशन के लक्ष्य ?

इस मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्री ISS मे जाकर दो और पहले से ही रह रहे अंतरिक्ष यात्रियों के साथ जुड़ेंगे और छ: महीने तक वहाँ रहकर जाँच करेंगे।

Crew- 1 मिशन के लक्ष्य है – माइक्रोग्रेविटि के बारे में, लोगों के ब्रेन फंक्शन पर स्पेसफ्लाइट के द्वारा पड़ने वाले प्रभावों, और Dietary changes से अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर पर क्या प्रभाव पड़ते हैं, आदि सभी के बारे में जाँच और अध्ध्यन करना।

नासा इस कमर्शियल क्रू प्रोग्राम से स्पेस में आसानी से आवागमन को सुनिश्चित करना चाहता है। नासा ISS पर क्रू और कार्गो की आवाजाही के लिए निजी फर्मों को शामिल करना चाहता था, जिससे मिशन की लागत कम हो सके। कम लागत के लिए सबसे अच्छी कंपनी Space X है, जिसके मालिक एलन मस्क है। जिनका सपना अंतरिक्ष में ट्रांसपोर्टेशन की लागत को कम करना है व साथ ही साथ मंगल ग्रह पर इंसानी बस्तियां बनाने का भी है।

नासा के इस मिशन के बाद प्राईवेट कंपनी भी अंतरिक्षयान की रेस में आ गई है, जिससे अब आम आदमी का अन्तरिक्ष में जाने का सपना पूरा हो सकेगा। इससे विज्ञान में अब कई खोजें होंगी और अब लोग अंतरिक्ष यात्रा भी कर सकेंगे।

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