प्राची द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

आर्मेनिया और अज़रबैजान में जो युद्घ हो रहा था, अब वह थम चुका है। इस युद्घ में सबसे ज्यादा नुकसान मानव समुदाय और मानवता को हुआ है। इस युद्घ में हज़ारों लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी और लाखों लोगों को अपने घरों से बेघर होना पड़ा और कई शहर तबाह हो गए। अब इन दोनों देशों के बीच शांति स्थापित हो गई है।

आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच युध्द का क्या कारण था? दोनों देशों के बीच संघर्ष का क्या इतिहास था? इन सभी बातों को हम अपने पिछ्ले आर्टिकल में जान चुके हैं।

आइए जानते हैं कैसे आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच शांति स्थापित हुई।

क्या है सीजफायर डील में?

27 सितम्बर से आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच नागोर्नो- काराबाख को लेकर भीषण युद्घ चल रहा था। 10 नवम्बर को डेढ़ महीने बाद इन दोनों देशों के बीच रूस की मध्यस्थता से सीजफायर डील हुई है। इस समझौते पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, अज़रबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव और आर्मेनियाई प्रधानमंत्री निकोल शिनयान के हस्ताक्षर हुए हैं, और शांति प्रक्रिया में आगे तुर्की भी भाग लेगा।

● इस शांति संधि में यह तय हुआ है कि 10 नवम्बर से पहले तक अज़रबैजान ने जितने इलाकों पर कब्जा किया था, अब वो इलाके अज़रबैजान के पास ही रहेंगे। इसके साथ ही आर्मेनियाई फौज को कुछ और इलाके भी छोड़ने होगें और अज़रबैजान को सौंपने पड़ेंगे, जिन पर अब अज़रबैजान का नियंत्रण होगा।

●दूसरा मुख्य बिंदु संधि का यह है कि सभी युद्घ बंधियो को रिहा कर दिया जाएगा। इसके अलावा युद्घ के कारण हुए बेघर लोगों को दोबारा बसाया जाएगा।

● तीसरा मुख्य बिंदु यह है कि नागोर्नो काराबाख पर अब रूसी सेना को तैनात किया जाएगा। इसके लिए रूस ने विवादित इलाके पर अपने 1960 सैनिकों को भेजा है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच शांति बनी रहे।

● यह समझौता दशकों से आर्मेनियाई राष्ट्रिय पहचान का एक आधार रहे दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों पर आर्मेनियाई सैन्य नियंत्रण को समाप्त करता है।

सीजफायर डील से किसको हुआ फायदा और नुकसान?

इस सीजफायर डील से अज़रबैजान को नागोर्नो काराबाख तो पूरा नहीं मिला परन्तु कुछ इलाके जरुर मिल गए हैं। लेकिन इस डील से आर्मेनिया को कुछ मिला तो नही पर अपने कुछ इलाकों को अज़रबैजान को सौंपना पड़ा। आर्मेनिया के कुछ लोग आर्मेनियाई प्रधानमंत्री का विरोध कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने सीजफायर डील पर हस्ताक्षर कर आर्मेनियाई इलाकों को अज़रबैजान को सौंप दिया। इस सीजफायर डील से आर्मेनिया को नुकसान उठाना पड़ा। वैसे तो इस युद्घ में दोनों देशों के बहुत सारे सैनिकों को अपनी जान गवानी पड़ी और लोगों की सम्पत्ति का नुकसान हुआ और मानवता का हनन भी हुआ है। लेकिन सीजफायर डील से अज़रबैजान को फायदा और आर्मेनिया को नुकसान हुआ है।

इस युध्द से बहुत सारे लोगों को अपने घरों से बेघर होना पड़ा। उन्होने अपने आशियाने को गोला-बारूद से तबाह होते देखा। अपनों की जान जाते हुए देखा। इस सीजफायर डील से आने वाले समय के युध्द को रोक दिया गया व भविष्य के लिए शांति स्थापित कर दी गई है। परंतु इस डील से उन लोगों को नहीं लौटाया जा सकता है, जो लोग युद्घ में मारे गए है। इसलिए आपस में प्रेम रखने से, दूसरों का सम्मान करने से व मानवता की राह पर चलने से ही विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है।

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