प्राची द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

जब सरकार ने भारत में लॉकडाउन लगाया तो लोगों को कुछ महीनों बाद प्रकृति का ऐसा रूप दिखा, जो हमने इससे पहले कभी भी नहीं देखा था, गंगा नदी स्वच्छ हो गई, आसमान में हवा साफ हो गई, लोगों को अपने घर की छतों से हिमालय की पहाड़ियाँ दिखने लगी, AQI( Air quality index) 50 से भी कम हो गया था।

परन्तु जब सरकार ने लॉकडाउन हटाया, लोग अपने घरों से बाहर निकले, हमने फिर से अपने पर्यावरण को प्रदूषित कर दिया। राजधानी दिल्ली को गैस चेंबर में बदल दिया। यहाँ कई जगह  AQI 500 के पार पहुँच गया जो कि बहुत खतरनाक की श्रेणी में आता है, इसका मतलब पर्यावरण में वायु जहरीली हो गई है।

क्या है प्रदूषण के कारण?

दिल्ली-एनसीआर और सिन्धु गंगा के मैदानों में प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या है। वायु में प्रदूषण इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि उत्तर-पश्चिम से आने वाली हवाएँ अपने साथ धूल लाती हैं, और अक्टूबर के समय से ही तापमान में गिरावट दर्ज की जाती है। धूल तापमान कम होने के कारण आगे नहीं बढ़ पाती है और दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में ही रुक जाती है।

दिल्ली में वायु की निम्न गुणवत्ता के दो मुख्य कारण हैं- धूल और प्रदूषण। प्रदूषण के अन्य कारण है- पराली जलाना, कूड़ा जलाना, शहरी विनिर्माण, वनोन्मूलन, कारखाने, परिवहन, ताप विद्युत गृह, खनन, आतिशबाजी आदि शामिल हैं। प्रदूषण में शामिल प्रदूषक है- कार्बनडाइऑक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड, क्लोरो फ्लोरो कार्बन, शीशा, ओजोन, सल्फ़र डाईआक्साइड और PM2.5 व PM10 आदि मौजूद हैं।

पराली: एक समस्या और इसका हल

अक्टूबर-नवंबर का समय दिल्ली, पंजाब-हरियाणा के किसानों के लिए धान की फसल काटने का होता है किसान को 10 से 15 दिनों में अपने खेत को साफ़ करके उसमें गेहूँ के बीज बोने होते हैं, इसलिए जल्दी करने के लिए और पैसों की कमी होने के कारण किसान अपने खेतों की पराली मे आग लगा देते हैं और थोड़े दिनों बाद गेहूँ की बुआई कर देते हैं। परंतु पराली जलाने से पंजाब-हरियाणा का सारा धुँआ दिल्ली की ओर आता है और दिल्ली को एक गैस चेंबर में बदल देता है। इस वर्ष करीब 4135 ज्यादा जगहों पर किसानों ने पराली जलाई है और दिल्ली के प्रदूषण में पराली की 42 प्रतिशत भागीदारी है।

पर जहाँ समस्या होती है हल भी वही होता है। पंजाब के मोगा जिले के रणसिंह कलां गाँव के सरपंच प्रीतइन्दर पाल सिंह कुछ सालों पहले कनाडा गए और वहाँ के विकसित गाँवों को देखकर उन्होंने अपने गाँव को भी विकसित और आत्मनिर्भर बनाने का फैसला किया। उन्होंनें अपने गाँव के लोगों को सरकार की मदद से एक मशीन उप्लब्ध कराई, जो धान को जमीन में नष्ट कर देती है और गेहूँ की बुआई भी कर देती है। इस मशीन के आने के बाद उनके गाँव में किसी ने भी पराली नहीं जलाई और उन्हें इसके लिए पंजाब सरकार से पुरस्कार भी मिला ।

प्रदूषण के प्रभाव

वायु प्रदूषण से अस्थमा, साँस लेने में दिक्कत होना, दम घुटना, सर्दी, अंधापन, सुनने में परेशानी होना, त्वचा रोग आदि बीमारियाँ होने का खतरा है। कोरोना काल में वायु प्रदूषण होने के कारण कोरोना मरीजों की हालत गम्भीर होने का भी खतरा है।

दुनिया-भर में हर साल तकरीबन 90 लाख लोगों को वायु प्रदूषण के कारण असमय अपनी जान गवानी पड़ती है। स्टेट ऑफ़ ग्लोबल एयर 2020 रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण भारत में 2019 में एक लाख से भी ज्यादा नवजात शिशुओ की मृत्यु हुई है। वायु प्रदूषण से पर्यावरणीय समस्याएं बढ़ी हैं। एसिड रेन, पृथ्वी का तापमान बढ़ना, मौसम पैटर्न बदलना जैसे बदलाव आए हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने “द कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट इन नेशनल कैपिटल रीजन एंड एडजाइनिंग एरियाज” नाम का कमीशन बनाया है, जिसका अध्यक्ष एम एम कुट्टी को बनाया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य दिल्ली व उसके आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण को नियंत्रण में रखना और नीतियाँ प्रावधान करने का है।

दीपावली पर हम एक-दूसरे को तोफहे देते हैं, पर शायद हम हर बार दिल्ली को दीपावली पर प्रदूषण का तोहफा देते हैं। प्रदूषण को कम करने की जिम्मेदारी सरकार या किसी एक व्यक्ति की नहीं है, हमारा छोटा सा प्रयास भी हमारे खुशहाल भविष्य का निर्माण करेगा। हमें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और दिल्ली को स्वच्छ वातावरण देने का प्रयास करना चाहिए।

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