आशु द्वारा लिखित, 20 साल की छात्रा

फेलुदा स्ट्रिप टेस्ट भारत की CRISPR (सीआरआईएसपीआर) जीन एडिटिंग टेक्नोलॉजी पर आधारित है। फेलुदा की फुल फॉर्म FNCAS9 Editor Linked Uniform Detection Assay है। फेलुदा पेपर स्ट्रिप टेस्ट RT-PCR जितना ही सही नतीजा देता है। हालांकि RT-PCR के नतीजे आने में काफी ज्यादा वक्त लग जाता है लेकिन फेलुदा के नतीजे 30 मिनट में आ जाते हैं। इसे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने भी मंजूरी दे दी है।

RT-PCR जितने सटीक नतीजे-

सभी प्राइवेट लैब या सरकारी लैब जो कोरोना का टेस्ट RT-PCR से करते थे, अब फेलुदा पेपर स्ट्रिप से भी कर पाएंगे। इसके नतीजे इतने ठीक हैं कि इसे बनाने वालों का दावा है कि एक बार इससे टेस्ट होने के बाद RT-PCR से पुष्टि करवाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। यदि इस टेस्ट में किसी शख्स को पॉजिटिव बताया है तो उसे पॉजिटिव माना जाएगा और यदि नेगेटिव बता दिया तो उसे नेगेटिव माना जाएगा।

फेलुदा पेपर स्ट्रिप में इस्तेमाल होने वाला डिवाइस काफी ज्यादा सस्ता है। इसमें प्रोटीन का इस्तेमाल किया जाता है। सीएसआईआर (CSIR) ने कहा, “यह टेस्ट कोरोनावायरस की पहचान करने में 96% सेंसेटिव और 98% स्पेसिफिक माना गया है।

CRISPR तकनीक क्या है?

फेलुदा टेस्ट में सीआरआईएसपीआर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। इसकी फुल फॉर्म क्लस्टरड रेगुलरली इंटरस्पेसड शॉर्ट पेलिंड्रमिक् रिपीट्स है। इसका उपयोग किसी भी बीमारी को रोकने या फिर उसका इलाज करने में किया जाता है। इस टेक्नोलॉजी के अंदर जीन में जो उपस्थित डीएनए होते हैं, उनकी एक सीक्वेंस की पहचान करी जाती है। इस तकनीक का इस्तेमाल आने वाले भविष्य में भी कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जा सकता है। इस टेस्ट को विकसित करने वाले वैज्ञानिकों के अनुसार कोई भी व्यक्ति इसका इस्तेमाल करना सीख सकता है। इसके लिए किसी को भी ज्यादा प्रशिक्षित होने की जरूरत नहीं है।

किसने किया इस टेस्ट की तकनीक को विकसित?

डॉक्टर देबोज्योति चक्रवर्ती डॉ सोविक मैती, इन दो साइंटिस्ट ने मिलकर फेलुदा टेस्ट को विकसित किया है। इसके नतीजे एकदम सही होते हैं और उन्हें आने में लगभग 30 मिनट से 1 घंटे के बीच का वक्त लगता है। इस टेस्ट के उत्पादन का अधिकार टाटा मेडिकल एंड हेल्थ के पास है। बताया जा रहा है कि इसकी कीमत काफी कम होगी। अभी तक कुछ स्पष्ट तो नहीं है लेकिन इसकी कीमत 450 – 500 तक होगी। देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन का कहना है, “कोई सटीक तारीख तो नहीं है कि किस दिन फेलुदा पेपर स्ट्रिप टेस्ट किट मार्केट में आएगी लेकिन जल्दी ही इसे उपलब्ध कराए जाने पर काम किया जा रहा है।

फेलुदा नाम रखने की वजह-

बंगाली में सत्यजीत रे की एक उपन्यास में एक जासूसी किरदार का नाम भी फेलुदा ही है। उपन्यासों में फेलूदा को कई एडवेंचर करते हुए दिखाया गया है। एक बंगाली साहित्य में फेलुदा के साथ उनके दो काल्पनिक साथी भी हैं जो अलग-अलग मामलों की जांच करते हैं। उपन्यास में फेलूदा एक ऐसा किरदार है जो बहुत जल्द किसी भी अपराध को सुलझा लेता है, बहुत ज्यादा हाजिर जवाब है और शातिर दिमाग का धनी है। डॉक्टर देवज्योति चक्रवर्ती ने बताया कि वे शुरू से ही सत्यजीत रे के काफी बड़े प्रशंसक रहे हैं। टेस्ट किट क नाम फेलुदा रखना चाहिए, यह सुझाव उनकी पत्नी ने दिया था। फेलुदा की इन सभी विशेषताओं को देखते हुए सीएसआईआर के वैज्ञानिकों ने इस टेस्ट किट का नाम फेलुदा रख दिया।

फेलुदा टेस्ट किट को उपयोग करने का तरीका-

इस टेस्ट में जिस व्यक्ति की जांच करनी है उसके नाक से सैंपल लिया जाता है। सैम्पल में से RNA को अलग किया जाता है। PCR मशीन में RNA से DNA बनाया जाता है। इसके बाद मशीन में 40 मिनट की प्रक्रिया के दौरान DNA की मात्रा को बढ़ाया जाता है। इन सबके बाद इसमें CAS-9 नाम के एक प्रोटीन के साथ गाइड RNA मिलाया जाता है। पेपर स्ट्रिप का नतीजा सही मिले, इसके लिए इसमें स्ट्रिप बफर का उपयोग किया जाता है। यदि स्ट्रिप पर एक लाइन आई, उसका मतलब है कि व्यक्ति नेगेटिव है लेकिन अगर दो लाइन आती है तो उसका मतलब व्यक्ति पॉजिटिव है।

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