गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल का छात्र

हमेशा से विश्वविद्यालय में दाखिला करवाना छात्रों के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण रहा है। विशेष रुप से कुछ प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में दाखिला का सपना विद्यार्थियों का रहता है परंतु वहां अंकों की कट आफ बहुत ज्यादा आती है। इन विश्वविद्यालय में दिल्ली विश्वविद्यालय भी शामिल है।

इस वर्ष विभिन्न विश्वविद्यालय में दाखिला करवाने के लिए विद्यार्थियों को सामान दाखिला परीक्षाएं देनी पड़ेगी।

मैरिट सिस्टम

मैरिज सिस्टम का अर्थ है ऐसी व्यवस्था जहां विद्यार्थियों को दाखिला लेने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा जारी अंकों की लिस्ट से अधिक अंक होने आवश्यक हैं। सभी विश्वविद्यालय विभिन्न कोर्स के लिए अलग-अलग अंक जारी करती है एवं उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को दाखिला दिया जाता है। दिल्ली विश्वविद्यालय के अंक हर वर्ष आसमान छूते थे।

सीयूईटी परीक्षा

विश्वविद्यालय अनुदान समिति (यूजीसी) इस वर्ष विश्वविद्यालय में दाखिला के लिए नई प्रणाली लेकर आई है जिसमें 12वीं पास विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय में दाखिले से पहले एक समान दाखिला परीक्षा देना पड़ेगा। उसमें प्राप्त अंकों के आधार पर विश्वविद्यालय में दाखिला होगा। इसे ही यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) के नाम से जाना जा रहा है।

सीयूईटी की कुछ विशेषताएं

  • यह परीक्षा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीई) द्वारा करवाई जा रही है जो एमए तथा पोस्टग्रेजुएट के अन्य एंट्रेंस एग्जाम भी करवाती है।
  • इसमें विद्यार्थियों को केवल एक ही परीक्षा देनी होगी। उसी के अंको के आधार पर विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय चुनने का अवसर प्राप्त होगा। अधिक अंक प्राप्त होने पर उनके पास विश्वविद्यालय चुनाव के अधिक विकल्प होंगे।
  • अभी तक यह जानकारी मिल रही है कि यह परीक्षाएं कंप्यूटर आधारित होगी अर्थात कंप्यूटर पर करवाई जाएंगी।
  • यह परीक्षा 13 विभिन्न भाषाओं में आयोजित करवाई जाएंगी ताकि किसी भी भाषा एवं माध्यम के विद्यार्थियों को कोई परेशानी ना हो। यह भाषाएं हैं तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी, गुजराती, उड़िया, बंगाली, असमिया, पंजाबी, अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू।
  • सीयूईटी की परीक्षाएं सीबीएसई सिलेबस पर ही आधारित होंगी जिसमें एनसीईआरटी के प्रश्न पूछे जाएंगे।

सीयूईटी लाने के पीछे के कारण

शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के विभिन्न राज्यों के बोर्ड और बोर्ड परीक्षाओं में बहुत अंतर है। कुछ राज्य की बोर्ड परीक्षाएं बहुत आसान होती हैं तथा अंक भी अधिक दिए जाते हैं जबकि कुछ राज्यों में बोर्ड परीक्षाओं में बहुत कम अंक दिए जाते हैं। जिस कारण से अधिक अंक प्राप्त करने वाले राज्य के बच्चों को आसानी से दाखिला मिल जाता है इसीलिए यूजीसी को सामान परीक्षा के जरिए दाखिला देना चाहिए और विभिन्न बोर्ड के द्वारा दिए गए अंकों के अंतर को समाप्त करना चाहिए।

इस परीक्षा प्रणाली के आने पर विभिन्न शिक्षकों और विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं जबकि कुछ लोग इसका का समर्थन कर रहे हैं। अब हम इसके लाभ एवं हानियों को समझने का प्रयास करेंगे-

सीयूईटी के लाभ

  1. समानता पर आधारित

यह परीक्षा समानता पर आधारित है। अर्थात विभिन्न राज्यों के बोर्ड के अंक विद्यार्थियों का दाखिला निर्धारित नहीं करेंगे। सभी के लिए समान परीक्षाएं होंगी।

  • सीटों की बर्बादी की समाप्ति

यह व्यवस्था सीटों की बर्बादी को समाप्त करेगा। पहले अच्छे अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी विभिन्न विश्वविद्यालयों में दाखिला के लिए फॉर्म भरते थे तथा अंत में किसी एक विश्वविद्यालय में दाखिला ले लेते थे। अंत में अन्य विश्वविद्यालय में सीटें खाली रह जाती थी। वही कुछ विद्यार्थी कम अंक के कारण किसी भी विश्वविद्यालय में फॉर्म नहीं भर पाते थे।

  • समय, ऊर्जा और संसाधनों की बचत

इस परीक्षा के द्वारा समय, ऊर्जा एवं संसाधनों की बचत होगी। पहले विभिन्न विश्वविद्यालय अपना अलग-अलग दाखिला परीक्षा करवाते थे जिससे अधिक समय, अधिक मानव संसाधन (अध्यापकों) अधिक पेपर की आवश्यकता पड़ती थी परंतु अब एक सामान परीक्षा के आधार पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में दाखिला होगा जिससे विभिन्न विश्वविद्यालयों  के संसाधन भी बचेंगे।

सीयूईटी की हानियां एवं चुनौतियां

  1. बच्चों पर मानसिक तनाव

कुछ लोगों का मानना है कि सीयूईटी के आने से विद्यार्थियों पर दबाव बढ़ जाएगा उन्हें बारहवीं कक्षा के बाद से ही एंट्रेंस टेस्ट देना पड़ेगा।

  • बोर्ड परीक्षा के महत्व में कमी

कुछ शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रणाली के आने से बोर्ड और उनकी परीक्षाओं के महत्व कम हो जाएंगे। विद्यार्थी बोर्ड परीक्षाओं की जगह दाखिला परीक्षा की तैयारी पर ज्यादा ध्यान देंगे।

  • शिक्षा का व्यवसायीकरण

सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि इस प्रणाली के आने से बच्चे और उनके माता-पिता पर कोचिंग का आर्थिक दबाव बढ़ेगा। बच्चे विश्वविद्यालय की दाखिला परीक्षा को पास करने के लिए विभिन्न प्रकार की कोचिंग लेंगे। जिससे कोचिंग सेंटर को बहुत अधिक लाभ होगा एवं शिक्षा व्यवसाय बनती चली जाएगी।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां

सीयूई टी परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन 6 अप्रैल से आरंभ हो चुका है।

इस वर्ष विद्यालय में दाखिला लेने वाले विद्यार्थी सीयूईटी ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।

विद्यार्थियों को रजिस्ट्रेशन करने के लिए फोटो, आधार कार्ड, 10वीं 12वीं की बोर्ड की मार्कशीट, एक आईडी प्रूफ और स्कैनड साइन की आवश्यकता होगी तथा किसी अनुसूचितजाति और जनजाति से संबंधित विद्यार्थियों को जाति प्रमाण पत्र की भी आवश्यकता होगी।

निष्कर्ष

अतः इस बार दाखिला की पूर्ण प्रणाली बदल गई है इसीलिए विद्यार्थियों को एनसीईआरटी की पुस्तकें ध्यान से एवं सभी चीजें को समझकर पढ़नी पड़ेगी क्योंकि उसको आधार मानकर ही विश्वविद्यालय की दाखिला परीक्षाएं बनाई जाएंगी। सरकार एवं शिक्षा संस्थानों से उम्मीद है कि वह यह परीक्षाएं व्यवस्थित रूप से करवा पाएंगे।

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