गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल का छात्र

हमेशा से इतिहासकार एवं भाषाविद ऐसी चीजों की खोज में जुटे रहते हैं जो इतिहास, प्राचीन सभ्यता एवं प्राचीन भाषाओं का ज्ञान कराएं। ऐसे में ही रोसेटा स्टोन एक बड़ी उपलब्धि है जिसने सारी दुनिया को एक महान सभ्यता से रूबरू करवाया है। यह सभ्यता मिस्र की सबसे पुरानी सभ्यता है जिससे कई सारे पिरामिड, अवशेष तथा इतिहास से जुड़ी वस्तुएं मिली हैं परंतु रोसेटा स्टोन एकमात्र ज़रिया है जिसके द्वारा मिस्त्र की भाषा को समझा जा सकता है।

रोसेटा शिलालेख 

रोसेटा स्टोन एक प्रकार का काला पत्थर का टुकड़ा है जिसमें कई भाषाएं एवं लिपियां लिखी गई हैं। यह प्राचीन मिस्र में पाया गया था। यह लगभग मिस्र से 35 मील दूर रोसेटा शहर के पास पाया गया इसलिए इसे रोसेटा स्टोन के नाम से जाना जाता है।

रोसेटा स्टोन का आकार एवं भार 

रोसेटा स्टोन एक काले ग्रेनाइट का अनियमित आकार का पत्थर है जो 3 फीट 9 इंच (114 सेंटीमीटर) लंबा और 2 फीट 4.5 इंच (72 सेंटीमीटर) चौड़ा है। यह बहुत पुराना पत्थर है जो 460 किलो भार का है।

रोसेटा स्टोन का इतिहास 

1798 में नेपोलियन द्वारा ब्रिटेन पर विजय हासिल करने के लिए सैन्य कार्रवाई की जा रही थी। उसी दौरान अगस्त 1799 में बूचाड एवं बौसाड नाम के एक फ्रांसीसी इंजीनियर ने रोसेटा पत्थर को ढूंढा तथा उसे संभालकर रखवा दिया गया। 1801 में नेपोलियन ने फ्रांसीसी सेना के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। उसके बाद मिस्त्र और फ्रांस के बीच अलेक्जेंड्रिया की संधि हुई।

अलेक्जेंड्रिया की संधि के तहत मिस्र की बहुत सी बहुमूल्य एवं इतिहास से संबंधित वस्तुएं ब्रिटेन को सौंप दी गई। इसी दौरान रोसेटा पत्थर भी ब्रिटेन के पास चला गया तब से लेकर आज तक वह लंदन के ब्रिटिश संग्रहालय में है।

रोसेटा स्टोन पर लिखी भाषाएं 

रोसेटा स्टोन पर दो भाषाएं लिखी हैं तथा तीन लिपियों का उपयोग किया गया है जिसमें मिस्र भाषा की दो लिपिया, चित्र लिपि (चित्र द्वारा लेखन) तथा राक्षसी लिपि मौजूद है और ग्रीक भाषा की ग्रीक लिपि शामिल है।

इस पत्थर ने मिस्र के पुराने चित्र लिपि लेखन को समझने एवं अनुवाद करने का रास्ता प्रदान किया है। 

रोसेटा स्टोन पर लिखे शब्दों का अनुवाद किसने किया? 

रोसेटा स्टोन पर लिखे शब्द प्राचीन मिस्र की सभ्यता से संबंधित है जिसे पढ़ना बहुत कठिन था। कई दशकों तक विद्वानों एवं भाषाविदों ने इसे समझने का प्रयास किया परंतु वे असफल रहे। लंदन के संग्रहालय में इंग्लैंड के थॉमस यंग ने इसे समझने का प्रयास किया, परंतु वह पूर्ण रुप से इस शिलालेख पर लिखे शब्दों को नहीं पढ़ पाए। 1822 में फ्रांसीसी भाषाविद जीन फ्रांस्वा चैंपियन ने इसका पूर्ण रूप से अनुवाद किया।

रोसेटा स्टोन पर क्या लिखा है? 

इस शिलालेख पर प्राचीन मिस्र पुजारियों द्वारा उस समय के राजा ट्रोलमी के अच्छे कार्यों के बारे में लिखा गया है। बताया गया है कि राजा ने मंदिरों में बहुत अधिक दान दिया, गरीबों के करो को माफ किया इसलिए उनकी याद में उनके जन्मदिन एवं राज्य अभिषेक के दिन को उत्सव के रूप में मनाया जाएगा।

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