निखिल वरदान द्वारा लिखित, सुमेरमल जैन स्कूल का कक्षा 10 का छात्र

भारतीय देवी-देवताओं की पौराणिक कथाएं बहुत रोचक हैं क्योंकि यह लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। आज हम उनमें से कुछ विशेष चीजों के बारे में जानने वाले हैं।

देवी दुर्गा के नौ रूप को जिन्हे नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है, को आप जानते होंगे। माना जाता है इस संसार का भी निर्माण इन्होंने ही किया है और अंत भी यही करती हैं। इन्हें देवी शक्ति या देवी आदि पराशक्ति के नाम से भी जाना जाता है। आज उन्ही देवी के दस रूपों के बारे में जानते हैं। उनके नाम कुछ इस प्रकार हैं।

1) काली – यह देवी दस महाविद्या में प्रथम हैं। इनका वर्ण (रंग) काला है इनके गले में मुंडमाला सुशोभित है। इनको काल की भी देवी कहते हैं। इन्होंने यह रूप राक्षसों का वध करने के लिए लिया था।

2) तारा – देवी तारा का अर्थ यह है कि जो दुखों को तारने वाली है। लोगों का मानना है कि इनके अराधना से सारे दुख दूर हो जाते हैं। इन्होंने ही अपनी ऊर्जा से सूर्य का निर्माण किया था। इन्हीं देवी ने स्वयं महादेव की रक्षा की थी।

3) षोडशी- इन देवी का नाम ललिता, राज राजेश्वरी भी है। यह वह देवी हैं जिनके द्वारा पृथ्वी पर पेड़ और जल की उत्पति की गई थी। लोगों का मानना है कि यह वह देवी है जो मनुष्य को भोजन प्राप्त कराती है जिससे मनुष्य की भूख मिट सके।

4) भुवनेश्वरी- यह वह देवी हैं जिन्होंने 14 लोकों का निर्माण किया है जिससे मनुष्य, दानव, देवता अलग रह सके और कोई किसी को भी परेशान नहीं करें। इन्होंने 14 लोकों का निर्माण किया है इसलिए उनका नाम भुवनेश्वरी है।

5) त्रिपुरा भैरवी- भैरवी देवी की आराधना मनुष्य को किसी से भी डरने नहीं देती है इसलिए इनका नाम भैरवी है। उन्हें मृत्यु की देवी भी कहा जाता है क्योंकि इन्होंने ही यम पाश को बनाया था।

6) छिन्नमस्तिका- इनके नाम का अर्थ है जिन का शीश कटा हुआ है। कहते हैं एक बार देवी ने अपनी 64 योगिनी को बुलाया जिससे वह राक्षसों का अंत कर सके पर योगिनी की भूख शांत नहीं हुई। तभी माता ने अपनी योगिनी की भूख शांत करने के लिए अपना शीश काट दिया और छिन्नमस्तिका के रूप में प्रकट हुईं।

7) धूमावती- माता पार्वती शिवजी का बचा हुआ ही भोजन ग्रहण करती थीं। वह, उसे अपना प्रसाद समझ कर खा लेती थीं लेकिन एक बार शिव जी ने पूरे कैलाश पर्वत का भोजन ग्रहण कर लिया। यह देखकर माता को बहुत ही क्रोध आया उन्होंने शिव जी को ही ग्रहण कर लिया। बाद में माता का यही रूप धूमावती के रूप में प्रकट हुआ। शिवजी माता के सामने प्रकट हुए और उनको कहा कि जो इस जन्म में पाप करेगा उसे अपने पाप का फल इस और अपने अगले जन्म में भोगना पड़ेगा।

8) बगलामुखी- सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा का ग्रंथ जब एक राक्षस ने चुरा लिया और पाताल में छिप गया तब उसके वध के लिए मां बगलामुखी की उत्पत्ति हुई। पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान मां का मंदिर बनाया और पूजा अर्चना की।

9) मातंगी- माता मातंगी की कथा यह है कि माना जाता है एक बार ऋषि भृगु कैलाश पर आए थे और माता व शिवजी को नृत्य करते हुए देखते हुए उन्होने कहा कि आपको इतना भी होश नहीं है कि धरती पर लोग भूखे प्यासे मर रहे हैं। यह बात सुनकर शिवजी व माता पार्वती को बहुत क्रोध आया और वह श्मशान में चले गए। तभी माता ने मातंगी रूप धारण किया।

10) कमला – लक्ष्मी, श्री, कमला आदि इनके कई सारे नाम हैं। यह बड़ी ही चंचल हैं। इनकी चंचलता के कारण ही इन्हे लक्ष्मी भी कहते हैं।

आज हमने दस महाविद्या देवियों के बारे में संक्षेप में बताया आशा है कि आपको कुछ नया जानने को मिला होगा। हमारा पूर्ण प्रयास रहता है कि हम आपको हर क्षेत्र की जानकारी उपलब्ध करवाएँ। हम जल्द ही नई जानकारियों के साथ मिलते हैं।

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शीर्षक छवि स्रोत: https://hi.wikipedia.org/