आज फिर गए थे जवान
आज फिर जा रहे हैं वो, अपने सीने पर बंदूक रखे । आज फिर जा रहे हैं वो, उस देश को समर्पित होने।
आज फिर जा रहे हैं वो, अपने सीने पर बंदूक रखे । आज फिर जा रहे हैं वो, उस देश को समर्पित होने।
हिंदी भाषा के विकास की जब बात आती है तो मुझे आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाने वाले महान साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र की दो पंक्तियां याद आती है
जन्म के पश्चात् शिशु जिस भाषा को अपनी माता से सीखता है, उसे मातृभाषा कहते हैं। मातृभाषा किसी भी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषाई पहचान होती है । मातृभाषा हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है। हिन्दी भारत में रहने वाले अधिकतर लोगों की मातृभाषा है। हिन्दी को भारत में रहने वाला हर व्यक्ति समझ सकता है, फिर चाहे उसे हिन्दी बोलनी या पढ़नी न आती हो ।
हर वर्ष 14 सितंबर को मनाया जाने वाला हिन्दी दिवस भारतीय संस्कृति को सजाने और हिन्दी भाषा को सम्मान देने का एक तरीका है । वर्ष 1929 में इस दिन भारत का संविधान सभा द्वारा हिन्दी को देश आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया था।
मेरे लिए सफलता बहुत ताकत वाला शब्द है और यह शब्द मेरी जिंदगी में बहुत महत्वपूर्ण है। बहुत सारे लोग या मैं कह सकती हूं कि सारे लोग इसके पीछे भागते हैं और इसे जीतना चाहते हैं । पर मैं यह कहना चाहती हूं कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हर एक इंसान इसको जाने इसको समझे और अपनी जिंदगी में कुछ ऐसा काम करें कि उसे सफलता प्राप्त हो ना की किसी और की नकल करे।
मुझे पहचानते हो खुदा का बनाया मैं इंसान हूं खुद का बनाया मैं गुनहगार हूं मुझे पहचानते होमैं इंसान हूं।
महिला सशक्तिकरण को बेहद आसान शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है, कि इससे महिलाएँ शक्तिशाली बनती हैं जिससे वो अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती हैं और परिवार व समाज में अच्छे से रह सकती है । समाज में अनेक वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हे सक्षम बनाना, महिला सशक्तिकरण है
पिछले तीन महीनों से, पूरे विश्व का ध्यान COVID-19 महामारी पर है, वैक्सीन के विकास से लेकर इसका अर्थव्यवस्था पर असर तक ...