गुंजन द्वारा लिखित, कक्षा 6 की छात्रा

हिंदी भाषा के विकास की जब बात आती है तो मुझे आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाने वाले महान साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र की दो पंक्तियां याद आती है :–

उन्नति रहे, सब उन्नति के मूल। ‘निज भाषा
भाषा ज्ञान के , रहत मुढ़ -के- मुढ़। ‘बिनु निज

उपरोक्त दोहो से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आधुनिक हिंदी के जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र को अपनी भाषा हिन्दी से कितना लगाव था। यदि हम हिंदी भाषा के विकास की बात करें तो यह कहना गलत नहीं होगा कि पिछले 100 सालों में हिंदी का बहुत विकास हुआ है और हिंदी प्रतिदिन इसमें और तेजी आ रही है। हिंदी भाषा का इतिहास लगभग हज़ार वर्ष पुराना माना गया है।

संस्कृत भारत की सबसे प्राचीन भाषा है, जिसे आर्य भाषा संस्कृत की उत्तराधिकारिणि मानी जाती है, साथ ही ऐसा भी कहा जाता है कि हिंदी का जनम संस्कृत की कोख से हुआ है। बौद्ध ग्रंथों में बोलचाल की भाषा का शिष्ट और मानक रूप प्राप्त होता है। पाली के बाद प्राकृत भाषा का उद्भव हुआ।

भारत में संस्कृत 1000 ई. पूर्व से 1500 ई. पूर्व तक रही ये भाषा दो भागों में विभाजित हुई – वैदिक और लोकिक। मूल रूप से वेदों की रचना जिस भाषा में हुई उससे वैदिक संस्कृत कहा जाता है, जिसमें वेद और उपनिषद का जिक्र आता है, जबकि लौकिक संस्कृत में दर्शन ग्रंथों का जिक्र आता है।इस भाषा में रामायण, महाभारत ,नाटक, व्याकरण आदि ग्रंथ लिखे गए हैं ।

ऐसा कहा जाता है की हिंदी का जो विकास हुआ है वह अपभ्रंश से हुआ है और इस भाषा से कई आधुनिक भारतीय भाषाओं और उपभाषाओं का जन्म हुआ है, जिसमें शौरसैनी, पैशाची, ब्राचड़, खस, महाराष्ट्री,मांगनी, बांग्ला और अर्ध मागधी शामिल हैं।

बता दें कि अवहट्ट नाम का जिक्र मैथली महान कवि कोकिल विद्यापति की ‘ कीर्तिलता’ में आता है। पूरे देश के भक्त कवियों ने अपने द्वारा लिखित बातों को जन -जन तक पहुँचाने के लिए हिंदी भाषा का सहारा लिया। भारत के स्वतंत्रता सांग्राम हिंदी और हिंदी पत्रकारिता की बहुत अहम भूमि रही। महात्मा गांधी सहित अनेक राष्ट्रीय नेता हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने लगे थे। भारत के स्वतंत्र होने के बाद 14 सितंबर 1949 को हिंदी भाषा भारत में राजभाषा घोषित कर दी गई। यह तो था हिंदी के विकास का सफरनामा।

हिंदी भाषा के विकास में यदि और जानने की कोशिश करेंगे तो हिंदी भारतीय गणराज की राजकीय और मध्य भारतीय – आर्य भाषा है सन् 2001 जनगणना के अनुसार ,लगभग 25.79 करोड़ भारतीय हिंदी का उपयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं, जबकि लगभग 42.20 करोड़ लोग इसकी 50 से अधिक बोलियों में से एक इस्तेमाल करते हैं।

हिंदी विश्व की लगभग 3000 भाषाओं में से एक है। इतना ही नहीं हिंदी आज दुनिया की सबसे बड़ी आबादी द्वारा बोली और समझे जाने वाली भाषा है। भाषाई सर्वेक्षणों के आधार पर दुनिया की आबादी का 18 प्रतिशत इसे समझता है जबकि अन्य भाषा की बात करें तो चीनी भाषा मैंडरीन समझने वालों की संख्या 15.27 और वही अंग्रेजी समझने वालों की संख्या 13.85 प्रतिशत कही गई है।

हिंदी को हम भाषा की जननी, साहित्य की गरिमा, जन – जन की भाषा और राष्ट्रभाषा भी कहते हैं। ऐसा कहना कतई गलत नहीं होगा की हिंदी भविष्य की भाषा है। हाँ,एक बात जरूर है कि हम इस भाषा का प्रयोग वास्तविक जीवन में जरूर करते हैं लेकिन रोजगार और महत्वाकांक्षी की भाषा बनने में थोड़ी कारगर नहीं बन पई।

हमारे देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री अपना बधाई संदेश हिंदी में प्रसारित करते हैं क्योंकि हिंदी भाषा अपनात्व का बोध करती है ।