अभिषेक द्वारा लिखित, कक्षा 12 का छात्र

आप सभी ने ‘अप्रैल फूल्स डे’ के बारे में तो सुना ही होगा। जिसे हर साल पूरे विश्व में 1 अप्रैल को मनाया जाता है। अगर नहीं तो आज हम आपको अप्रैल फूल डे से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें हम आपको ‘अप्रैल फूल्स डे’ से जुड़े सभी महत्वपूर्ण चीजों के बारे में बताएंगे कि आखिर ‘अप्रैल फूल डे’ क्या है? और क्यों हर साल 1 अप्रैल को ही ‘अप्रैल फूल डे’ मनाया जाता है? इसके पीछे क्या इतिहास है? तो आइए जानते हैं अप्रैल फूल डेके बारे में। बता दें कि अप्रैल की पहली तारीख यानी 1st April को पूरे दुनिया भर में ‘अप्रैल फूल डे’ बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग एक दूसरे के साथ हंसी मजाक कर उन्हें बेवकूफ (April fool) बनाते हैं। दुनिया के विभिन्न देशों में इस दिन को बड़े धूमधाम व अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। जैसा कि न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में हंसी-मजाक केवल दोपहर तक ही किए जाते हैं जबकि फ्रांस, आयरलैंड, इटली, दक्षिण कोरिया, जापान, रूस, नीदरलैंड, जर्मनी, ब्राजील, कनाडा व अमेरिका जैसे अन्य देशों में अप्रैल फूल का कार्यक्रम दिन भर चलता रहता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को बेवकूफ बनाकर उन पर हंसना है। ऐसा माना जाता है कि इस इस दिन किए गए सभी मजाक का कोई व्यक्ति बुरा नहीं मानते हैं।

अब बात करते है कि आखिर क्यों हर साल 1 अप्रैल को ही ‘अप्रैल फूल डे’ मनाया जाता है? जैसा कि हमने जाना कि हर साल 1 अप्रैल को विश्व भर में ‘अप्रैल फूल डे’ के रूप में मनाया जाता है, परंतु आखिर क्यों 1 अप्रैल को ही अप्रैल फूल डे मनाया जाता है, इसका अभी तक कोई ठोस प्रमाण मौजूद नहीं है। यह अभी भी सभी लोगों के लिए एक रहस्य बना हुआ है। विश्वभर में इस दिन को लेकर अलग-अलग कहानियां व तथ्य प्रचलित है। इतिहासकारों के मुताबिक अप्रैल फूल का इतिहास आज से नहीं बल्कि करीब 438 साल पुराना है। बता दें कि साल 1582 ईस्वी में फ्रांस के पोप ग्रेगोरी 13 के कहने पर लोगों ने जूलियन कैलेंडर को छोड़कर ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपनाया था क्योंकि जूलियन कैलेंडर में कई सारी त्रुटियां मौजूद थी। जिस वजह से लोगों को कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। जूलियन कैलेंडर में नया साल 1 अप्रैल से शुरू होता था, जबकि ग्रेगोरियन कैलेंडर में नया साल 1 अप्रैल से शिफ्ट होकर 1 जनवरी हो गया। इतिहासकारों के मुताबिक कैलेंडर में बदलाव होने के बाद भी काफी सारे लोग इस बदलाव को समझ नहीं पाए। जिस वजह से वह लोग 1 जनवरी के बजाय 1 अप्रैल को ही नया साल मना रहे थे। उन लोगों का सेलिब्रेशन मार्च के अंतिम सप्ताह से शुरू होकर 1 अप्रैल तक चलता रहता था। जिस कारण से वे लोग मजाक का पात्र बन गए और उन्हें अप्रैल फूल कहकर बुलाया जाने लगा और तब से ही अप्रैल फूल की शुरुआत हुई। इसके साथ ही अप्रैल फूल डे को लेकर इंग्लैंड के ‘राजा रिचर्ड द्वितीय का एक मजेदार किस्सा (कहानी) भी सबसे ज्यादा प्रचलित है। कहा जाता है कि ‘रिचर्ड द्वितीय’ और बोहेमिया की ‘रानी एनी ने ऐलान करते हुए कहा था कि वे दोनों 32 मार्च,1381 के दिन सगाई करेंगे। ये खबर सुनकर लोग बेहद खुश हुए, जश्न मनाया और इस दिन के लिए तमाम तैयारियां की। परंतु जब 31 मार्च का दिन आया तो उन्हें अहसास हुआ कि उन्हें मूर्ख बनाया गया है, क्योंकि 32 मार्च का दिन तो कभी आएगा ही नहीं। तभी से 31 मार्च के अगले दिन यानी 1 अप्रैल को ‘मूर्ख दिवस’ यानी ‘अप्रैल फूल डे’ मनाया जाने लगा।

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