कक्षा 9 के छात्र द्वारा लिखित

हम सभी को पता है कि कैसे ये कोरोना महामारी पूरी दुनिया को अपने घुटनों पर ले आया है ।

भारत अब दुनिया का सातवाँ सबसे अधिक प्रभावित देश बन गया है । देश 25 मार्च से लेकर 31 मार्च तक एक पूरे लोक डाउन में था । लोक डाउन के चलते सभी स्कूल, विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थान बंद हो गए, तो अब छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है । कभी किसी ने ऐसा सोचा भी नहीं होगा कि महीनों तक हम घर पर रहेंगे और ऑनलाइन शिक्षित होंगे । वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग 2010 से आम हो गई थी लेकिन इस लोक डाउन में इसका उपयोग सबसे ज़्यादा हुआ है ।

21वीं पीढ़ी होने के नाते हम भाग्यशाली हैं कि हमे ज़ूम, गूगल क्लासरूम, माइक्रोसॉफ़्ट टीम्स, गूगल फॉर्म्स आदि जैसी एप्स इस्तेमाल करने का मौका मिला है, जिससे हमे वास्तविक कक्षा का अनुभव मिला है और पाठ्यक्रम पूरा करने में मदद हुई है । शुरुयात में, ऑनलाइन कक्षा सभी के लिए नई थी – शिक्षक, छात्र और माता पिता के लिए लेकिन कहते हैं न समय सबसे बड़ा गुरु है, सबने सीख लिया और अब अच्छे से उसका इस्तेमाल कर रहे हैं । इन एप्स के माध्यम से छात्र शिक्षकों से बातचीत कर पाते हैं और अपने सवाल पूछ पाते हैं चाहें वो मीलों दूर ही क्यूँ न हों । टेक्नालजी ने शिक्षा को पंख दे दिये हैं जो पहले कक्षा की चार दीवारों में बंद थी ।

इस ऑनलाइन दुनिया में शिक्षा के अलग अलग उपकरण होते हैं, छात्रों को विभिन्न तरह की विडियो और पावरपॉइंट के द्वारा पढ़ाया जाता है जो बाद में समझने के लिए आसान रहता है । पहले लोगों को अपना करियर बनाने के लिए देश भर की विभिन्न संस्थानों के पास जाना पड़ता था लेकिन अब सही उपकरणों के साथ, ऑनलाइन शिक्षा कहीं भी और किसी भी जगह पहुँच सकती है । इसके अलावा, ऑनलाइन शिक्षा में बहुत आराम भी हैं, ऊर्जा ही बचत होती है जो पहले एक स्थान से दूसरे जाने में खर्च होती थी ।

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, हमे ये तो मानना पड़ेगा कि हम कहीं न कहीं अपने गुरुयों के साथ वो भावनात्मक संबंध खोते जा रहे हैं । ऑनलाइन की दुनिया में हम सामने वाले के चेहरे के भाव और शरीर की भाषा को नहीं समझ सकते । स्कूल जाने के जरिये से हम लोगों से मिल पाते थे, अपने विचार रख पाते थे, यह सब कोई भी एप नहीं प्रदान कर सकता । हमे यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि अच्छी ग्रूमिंग स्कूल जाकर एक उपयुक्त समूह और वातावरण के साथ ही हो सकती है । जो एक प्रतियोगिता की भावना बच्चे को बोलने के लिए उकसाती थी और अपने विचार रखने के लिए प्रेरित  करती थी वो आजकल गायब है ।

ऑनलाइन पढ़ना फायदेमंद तो है लेकिन यह निश्चित रूप से हमारे स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है । स्क्रीन से निकलने वाली नीले रंग की किरणें हमारी आँखों और दिमाग को प्रभावित करती हैं । ऑनलाइन कक्षायों ने स्क्रीन का समय बढ़ा दिया है और किशोरों में टेक-नेक का खतरा बढ़ गया है । स्कूल में सुबह की प्रार्थना और वर्कआउट से छात्रों का शारीरिक और आध्यात्मिक रूप बनता था जो कि अब घर रह कर नहीं हो पाता । इसके अलावा हम यह नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते कि स्कूल में अपने साथियों के व्यवहार से छात्र बहुत कुछ सीखते हैं ।

एक छात्र के रूप में, इस महामारी ने मेरा शिक्षा के प्रति नज़रिया बिलकुल बदल दिया है और अब मुझे स्कूल की हर छोटी चीज़ के मूल्य का एहसास होता है । हम मनुष्य का स्वभाव होता है कि जब हम कुछ खो देते हैं तब उसके महत्व का एहसास होता है हमे, मैं अपने शिक्षकों, दोस्तों, सुबह की एसम्ब्ली, सह पाठ्यक्रम गतिविधियों को याद करता हूँ और उनके प्रति आभार व्यक्त करता हूँ । मुझे लगता है कि शिक्षक भी ऐसा ही महसूस करते होंगे और वो फिर से अपने छात्रों के साथ एक भावनात्मक संबंध स्थापित करना चाहेंगे । हमे छात्र होने के नाते हमारे पास जो भी चीज़ें हैं उसका आभार व्यक्त करना चाहिए और शिक्षकों की सराहना करनी चाहिए जो हमे सिखाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और हमारे माता पिता जिनहोने हमे ये ऑनलाइन अनुभव करने के लिए चीज़ें उपलब्ध करवाई हैं ।

इस समय से मेरी सबसे बड़ी सीख यही है कि हमे अपनी मुश्किलों का सामना करना चाहिए और उनसे सीखना चाहिए । मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऑनलाइन पढ़ाई करूंगा । मैं हर किसी के लिए आभार व्यक्त करता हूँ जिनकी वजह से यह मुमकिन हो पाया है ।