अनु द्वारा लिखित, 22 साल की छात्रा

अन्तरिक्ष में सौर मंडल स्थित है जिसमें कई सारे गृह है एवं उनके उपग्रह हैं। हमारी पृथ्वी सौरमंडल में तीसरे नंबर पर स्थित है। चंद्रमा यानि चाँद पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। यह सौर मंडल का पांचवे नंबर का सबसे विशाल उपग्रह है। यह आकार में क्रिकेट गेंद की तरह एकदम गोल है। चंद्रमा में अपना प्रकाश नहीं है बल्कि यह सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है।

चाँद को चाँद या चंद्रमा क्यों कहा जाता है या फिर इसकी उत्पत्ति कैसे हुई, यह अपने आप में एक रोचक कहानी है। जब मनुष्य की उत्पत्ति हुई भी नहीं थी या फिर जब वह एक बंदर था और इधर उधर घूमता था चंद्रमा तब से उस आकाश में है। चंद्रमा के भी अलग अलग आकार हैं जो कि पुर्णिमा से अमावस्या और अमावस्या से पुर्णिमा की और आते आते बदलते हैं। इन दोनों के बीच चाँद की आकृति बदलने में 15-15 दिन का समय लगता है। इंग्लिश का शब्द ‘मून’ लैटिन शब्द ‘मेतरी’ से निकला है जिसका मतलब है मापना या महिना। इससे यह पता चलता है कि पहले के समय में चाँद का प्रयोग महीने मापने के लिए किया जाता था।

पहले तो सिर्फ चंद्रमा की ही खोज हुई और इसका नाम रखा गया तब इसकी महत्ता ज़्यादा थी पर यह सब बदला 1610 में जब एक इटालियन एस्ट्रोनोमर गैलीलियो गैलीली ने बाकी ग्रहों की भी खोज की और इनके पास रहने वाले उपग्रह, इनके चंद्रमा। बाद में यूरोप के बाकी विशेषज्ञों ने अन्य गृह व उसके चंद्रमाओं की खोज की और इस तरह से पूरे सोलर सिस्टम की खोज हुई। समय के साथ साथ इन चन्द्रमाओं की खोज अभी भी जारी है और साल 2019 में तो विशेषज्ञों ने 20 और अन्य चन्द्रमाओं की खोज की जो शनि गृह के पास है।

हर गृह का अपना अलग एक चंद्रमा है जो उन ग्रहों का उपग्रह भी है। चंद्रमा को देखकर आज हमारे बीच कितनी कहानियां हैं जो कभी हमने अपने बचपन में तो कभी अपनी किताबों में पढ़ीं। चंद्रमा को प्यार से चंदा मामा भी कहते हैं। आज हमारे वैज्ञानिक चाँद और मंगल जैसे ग्रहों पर भी जीवन की खोज हो रही है। यह देखा जा रहा है कि वहाँ जीवन की कितनी संभावना है। चाँद अब बस किताबों, कहानियों और सिर्फ हमारी सोच में पीछे और दूर रह गया है लेकिन अब हम इससे दूर नहीं हैं बल्कि चाँद के करीब हैं।

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