कक्षा 11 की छात्रा द्वारा लिखित

चिली (दक्षिण अमेरिका का एक देश) ने कोरोनोवायरस से लड़ने का एक प्रभावी तरीका सोचा है । यह उन लोगों को ‘इम्युनिटी पासपोर्ट’ दे रहा है जो कोरोना वाइरस से लड़ने में सफल रहे (वे यह कार्ड डिजिटल रूप में भी प्राप्त कर सकते हैं) ।

सभी देशों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने के अलावा, कोविड-19 महामारी ने सब की अर्थव्यवस्था को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है । अब जब चिकित्सा रिसर्च आगे बढ़ रहा है और स्थिति थोड़ी नियंत्रण में आ रही है तो ज्यादतर देश अब अपनी अर्थव्यवस्था को सामान्य करने के तरीके ढूंढ रहे हैं। 

चिली (दक्षिण अमेरिका का एक देश) ने कोरोनोवायरस से लड़ने का एक प्रभावी तरीका सोचा है । यह उन लोगों को ‘इम्युनिटी पासपोर्ट’ दे रहा है जो कोरोना वाइरस से लड़ने में सफल रहे (वे यह कार्ड डिजिटल रूप में भी प्राप्त कर सकते हैं) । इसके पीछे बहुत ही सरल भाव था कि एक बार जब कोई व्यक्ति वायरस से उबर जाएगा, तो उसके पास इससे लड़ने की क्षमता और प्रतिरक्षा होगी । हालांकि इम्युनिटी पासपोर्ट वहाँ उपलब्ध होंगे लेकिन वे केवल उन लोगों को दिये जाएंगे जो संक्रमण बिलकुल नहीं फैलाएँगे । यह बहुत सही लग रहा होगा क्योंकि स्कारलेट बुखार के समय भी ऐसा हुआ था, लेकिन इसके कुछ गलत परिणाम भी हो सकते हैं ।

बहुत से स्वास्थ्य अधिकारी इसकी आलोचना कर रहे हैं । सबसे मुख्य कारण था कि इसकी शुरुयात चिली इम्यूनोलॉजी सोसायटी की सलाह के बिना करी गई जिनकी भूमिका इसमें सबसे अहम है क्योंकि चिली में उन लोगों को पासपोर्ट देना शुरू किया था जिनके पास वाइरस से लड़ने की प्रतिरक्षा थी ।

दूसरा यह कदम तब लिया गया जब  कोरोना वाइरस के बारे में वैज्ञानिक रूप से ज़्यादा कुछ पता भी नहीं था । इसलिए इस बात की कोई गारंटी नहीं थी कि जो मरीज़ ठीक हो गए हैं, वे दोबारा संक्रमित नहीं होंगे । दक्षिण कोरिया के रोग नियंत्रण केंद्र ने ये बताया भी था कि 141 मरीज़ जो ठीक हो गए थे उन्हे दोबारा कोरोना हो गया ।

इससे न केवल वाइरस के तेजी से फैलने का खतरा है बल्कि इम्युनिटी पासपोर्ट की बिक्री के लिए काला बाज़ार भी बन सकता है । मायूस कर्मचारी ऐसा कर सकते हैं । चिली के मेडिकल यूनियन ने यह भी कहा कि यह कार्यस्थल भेदभाव बढ़ा सकता है क्योंकि काम देने वाले जिनके पास इम्युनिटी कार्ड है उनको प्राथमिकता दे सकते हैं और जिन लोगों को अभी के हालातों में मजबूरी में घर से काम करना पड़ रहा है वो नौकरी खो सकते हैं ।

ऐसे समय में यह विचार या तो काफी अलग हो सकता है या काफी खतरनाक भी । आर्थिक रूप से देखा जाए तो ये काफी अच्छा तरीका है स्थिति को सही करने का । हालांकि, वैज्ञानिक रूप से यह सही नहीं है और लोगों को झूठी उम्मीद दे सकता है ।