गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि प्रकृति तथा जलवायु के प्रभाव की कोई सीमाएं नहीं होती और जब प्रकृति अपना कहर दिखाती है तो उसे रोका जाना मानव तथा विज्ञान किसी के बस में नहीं होता। इसीलिए बार-बार पर्यावरण बचाने के लिए प्रयास किए जाते हैं। अभी कुछ समय पहले ही जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पाकिस्तान मे देखने को मिल रहा है। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव के कारण पाकिस्तान में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है जहां पर हजारों की संख्या में जान जा रही है तथा आर्थिक हानि भी हो रही है। आज हम पाकिस्तान में आने वाली बाढ़ तथा उसके पर्यावरण परिवर्तन से संबंधों पर चर्चा करेंगे।

पाकिस्तान की बाढ़

जुलाई – अगस्त के महीने में पाकिस्तान में हुई भारी वर्षा के कारण, नदियों का जलस्तर बढ़ गया है जिससे संपूर्ण पाकिस्तान में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। यहां तक कि पाकिस्तान के रेगिस्तानी क्षेत्रों में भी पानी लबालब भरा हुआ है। यह बाढ़ बहुत भयानक रूप ले चुकी है तथा पाकिस्तान के लोगों सहित संपूर्ण विश्व के हृदय को झकझोड़ कर रख दिया है।

बाढ़ का प्रभाव

अगर हम बाढ़ के प्रभाव की बात करें तो इस बाढ़ का बहुत ही भयानक प्रभाव देखने को मिल रहा है। 20 से 22 करोड़ की आबादी वाले पाकिस्तान का लगभग 15 से 20% जनसंख्या तो सीधा बाढ़ से प्रभावित हो रहा है। बहुत बड़ी मात्रा में लोगों का जीवन तथा आवास नष्ट हो गए हैं, प्रतिदिन हजारों जाने जा रही हैं।

अगर हम अप्रत्यक्ष प्रभाव को देखें तो इस भारी भयानक बाढ़ के कारण किसानों की सारी फसलें डूब गई हैं जिससे पाकिस्तान में भुखमरी जैसी स्थिति उत्पन्न होने का भी भय है।

लगभग 118 जिलों में बाढ़ की स्थिति बन गई है जिस कारण आपदा प्रबंधन ने उसे बाढ़ क्षेत्र घोषित कर दिया है। खाने पीने की वस्तुओं के अभाव के साथ साथ गरीबी में भी वृद्धि हुई है।

इस प्रकार से हम कह सकते हैं इस भयानक बाढ़ के कारण पाकिस्तान के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चुकी हैं।

एंटोनियो गुटेरेस का पाकिस्तान दौरा

ऐसी बाढ़ की स्थिति में पाकिस्तान को सहायता मुहैया करवाने के लिए एंटोनियो गुटेरेस देशों से अपील कर रहे हैं। एंटोनियो गुटेरेस जो संयुक्त राष्ट्र के महासचिव हैं, सितंबर में पाकिस्तान दौरे पर गए, जहां उन्होंने बाढ़ की भयानक स्थिति तथा प्रभावों को देखा और समझा। उन्होंने संपूर्ण विश्व के शक्तिशाली और आर्थिक रूप से मजबूत देशों से पाकिस्तान के लिए मदद की गुहार लगाई है तथा 16 करोड़ डॉलर के तत्कालीन सहायता की मांग भी की है।

पाकिस्तान की बाढ़ का जलवायु परिवर्तन से संबंध

संपूर्ण विश्व में आज कल प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव गहराता जा रहा है और यह मानव का ध्यान जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की ओर खींच रहा है। आज मानव भले विज्ञान में कितना भी सफल हो गया हो परंतु वह विज्ञान की सहायता से आज भी प्रकृति के प्रभावों को परिवर्तित करने योग्य नहीं बन पाया है इसीलिए पर्यावरण संरक्षण तथा जलवायु परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।

जलवायु परिवर्तन क्या है?

आप सभी अपनी पुस्तकों और विभिन्न न्यूज चैनलों पर पर्यावरण परिवर्तन के बारे में पढ़ते और सुनते होंगे। पर्यावरण परिवर्तन का संबंध मानवीय क्रियाओं के कारण धरती के तापमान में वृद्धि तथा पर्यावरण में आने वाले नकारात्मक बदलावों से हैं।

पाकिस्तान पर पर्यावरण परिवर्तन का प्रभाव

जब पाकिस्तान जैसे रेगिस्तानी क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई तो संपूर्ण विश्व का ध्यान पर्यावरण में होने वाले परिवर्तन तथा ग्लोबल वार्मिंग पर आ गया। ग्लोबल वार्मिंग के कारण ही संपूर्ण विश्व का तापमान परिवर्तन हो रहा है जिसके कारण बहुत अधिक वर्षा तथा बाढ़ का कहर देखने को मिल रहा है।

ऐसी स्थिति में एंटोनियो गुटेरेस ने कहा ग्लोबल वार्मिंग के सबसे अधिक जिम्मेदार विकसित देश जैसे अमेरिका, चीन, यूरोपीय देश आदि हैं परंतु इसका प्रभाव गरीब, विकासशील और अल्प विकसित देशों को सहना पड़ रहा है जिससे उनकी अर्थव्यवस्था और कमज़ोर होती जा रही है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने बताया कि किस प्रकार पाकिस्तान को भयानक बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है। अगर हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखें तो ग्लोबल वार्मिंग गैसों के उत्सर्जन तथा कार्बन उत्सर्जन में पाकिस्तान का हिस्सा ना के बराबर है परंतु उस पर जलवायु परिवर्तन के खतरे बहुत अधिक हैं। वहीं विकसित देश जलवायु परिवर्तन की मार से सुरक्षित हैं।

निष्कर्ष

निष्कर्ष रूप में हम आप सब को सतत पोषणीय विकास की ओर ध्यान दिलाना चाहेंगे। हमारा विकास ऐसा होना चाहिए जिससे ना तो हमारे पर्यावरण को क्षति पहुंचे और ना ही हमारे आने वाले भविष्य को खतरा परंतु आज मनुष्य अपने विकास करने की आड़ में विनाश की ओर जा रहा है। इसका प्रभाव सभी को झेलना पड़ रहा है चाहे वह पाकिस्तान में बाढ़ हो या यूरोप जैसे ठंडे क्षेत्र में गर्म हवाओं का चलना, यह सभी दिखा रहा है कि हमारे द्वारा किए गए जलवायु परिवर्तन का सम्पूर्ण मानव पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।

अभी हमारे पास समय है हम चाहें तो इस विनाश को रोक सकते हैं। हमें आशा है कि हमारे पाठकों को इस लेख से जागरूकता और ज्ञान प्राप्त हुआ होगा तथा वह दूसरों को भी जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए जागृत और प्रेरित करेंगे।

क्या आप भी नन्ही खबर के लिए लिखना चाहते हैं?
संपर्क करें nanhikhabar@gmail.com पर