प्रदीप द्वारा लिखित, 19 साल का छात्र

सर्वाइकल कैंसर

आज की प्रदूषण से भरी दुनिया मे कई सारी बीमारियां हो रही हैं। मानव समाज में सबसे बड़ी बीमारी कैंसर है जो एक बार व्यक्ति को अगर लग जाए तो वे उसका जीवन समाप्त कर देती है। कैंसर कई प्रकार के होते हैं जिसमें से आज हम सर्वाइकल कैंसर के बारे में बात करेंगे।

सर्वाइकल कैंसर क्या है?

सर्वाइकल कैंसर मुख्य रूप से एचपीवी वायरस या पैपिलोमावायरस के संक्रमण के कारण होता है। यह एक यौन संचारित वायरस है। विशेषज्ञों का कहना है कि संक्रमित यौन साथी होने से इस प्रकार का कैंसर बढ़ जाता है। इसके अलावा कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली भी आपमें इस कैंसर के जोखिम को बढ़ा देती है।

सर्वाइकल कैंसर के कारण

सर्वाइकल कैंसर के मुख्य कारण महामारी अथवा पीरियड के दौरान अत्यधिक रक्त स्राव होना, बीच-बीच में ब्लीडिंग होना, यौन संबंध के बाद ब्लीडिंग होना, मेनोपोज के बाद ब्लीडिंग होना और गंदा बदबूदार पानी आना है।

सर्वाइकल कैंसर के मुख्य कारण

सर्वाइकल कैंसर के मुख्य कारण यह हैं जैसे कम उम्र में यौन संबंध बनाना, अथवा कम उम्र में गर्भ धारण करना, अधिक पार्टनर के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाना, गर्भनिरोधक गोलियों का लंबे समय तक सेवन करना, अस्वस्थ जीवनशैली, और ह्यूमन पैपिलोमा वायरस आदि।

ह्यूमन पैपिलोमा वायरस एक डीएनए वायरस है जो असुरक्षित यौन संबंध द्वारा फैलता है यह सर्वेकल सेल में रहता है और यह कोशिकाओं में बदलाव लाकर 10 से 15 साल के अंतराल में कैंसर बनाता है।

सर्वाइकल कैंसर से बचाव के उपाय

सर्वाइकल कैंसर  की प्रतिरक्षा के लिए वर्तमान स्थिति में टीका उपस्थित है जिससे कई सारी महिलाओं के जीवन की रक्षा हुई है। सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन उपस्थित है, यह वैक्सीन चतुर्भुजी या दुई संयोजक क्रोटर बैलेंस या बायो बैलेंस होती है जो कि ह्यूमन पैपिलोमा वायरस के विभिन्न सिरोटाइप के प्रति शरीर में रिस्पांस उजागर करती है। यह वैक्सीन 15 साल से कम उम्र में दो बार और 15 साल की अधिक उम्र में 3 डोजीज दी जाती है जो कि 2 महीने और 6 महीने के अंतराल में दी जाती हैं।

सर्वाइकल कैंसर के रोकथाम

सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम करना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि विश्व स्तर पर इसे 5वां सबसे बड़ा कैंसर मानते हैं और महिलाओं के लिए इसे दूसरा कैंसर माना गया है। सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए हम कुछ अंतराल में उसकी उपस्थिति कैनिंग टैस्ट द्वारा करके रोकथाम की जा सकती है। सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग टेस्ट पैपस्मीयर के द्वारा की जा सकती है। पैपस्मीयर टेस्ट 21 से 29 साल की उम्र में हर 5 साल के अंतराल पर की जा सकती है। कैंसर सेल्स को प्रिंइनवेजिव स्टेट स्थित इलेक्ट्रो सर्जिकल ऑक्सीजन और लेजर द्वारा हटा के उसका रोकथाम किया जा सकता है, इनवेजिव स्टेट एक और दो के दौरान सर्जरी द्वारा इसका उपचार संभव है। इसके आगे के स्टेजेस को रेडियोथैरेपी, कीमोथेरेपी और सर्जरी द्वारा उपचार किया जाता है।

विश्व स्तर पर सर्वाइकल कैंसर

सर्वाइकल कैंसर विश्व स्तर पर महिलाओं के लिए सबसे बड़ा दूसरा कैंसर है। सर्वाइकल कैंसर की विश्वव्यापी घटना में सालाना लगभग 510,000 नए मामले आ रहे हैं और जिसमें दुनिया भर में लगभग 288,000 मौतें होती हैं। एक अनुमान बताता है कि 80 पर्सेंट से अधिक महिलायों में सक्रिय महिलाएं 50 वर्ष की आयु पर एचपीवी कैंसर से संक्रमित होती हैं। तथ्य की मानें तो हम यह कह सकते हैं सर्वाइकल कैंसर से 74000 महिलाएं मौत का शिकार हो जाती हैं जो कि विश्व के आंकड़ों का एक तिहाई है।

एचपीवी संक्रमण का भारतीय परिदृश्य

सर्वाइकल कैंसर को भारत में महिलाओं में सबसे अधिक बार होने वाले कैंसर के रूप में स्थान दिया गया है। भारत में 15 वर्ष से अधिक उम्र की युवतियों को सर्वाइकल कैंसर का खतरा है। वर्तमान अनुमान के अनुसार भारत में लगभग एक सौ बत्तीस हजार हर साल नए मामलों का आना और सालाना 74000 मौतें खतरे का संकेत देती हैं। सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मौतों का लगभग 1/3 भारतीय महिलाओं का है।

लगभग 66% महिलाओं में सर्वाइकल एचपीवी संक्रमण होने का अनुमान है। एचपीवी सिरोटाइप 16 और 18 साल के बीच के युवतियों में लगभग 76.7% सर्वाइकल कैंसर के लिए जिम्मेदार हैं। सर्वाइकल कैंसर सभी कैंसर में चौथे स्थान पर है और वर्तमान में इस बीमारी से हर 2 मिनट में एक व्यक्ति की जान चली जाती है। महत्वपूर्ण रूप से भारत जैसे देशों में महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण यही कैंसर है।

भारत में सर्वाइकल कैंसर वर्तमान स्थिति में

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल 1.23 लाख सर्वाइकल कैंसर के मामले सामने आते हैं, इसमें लगभग 67000 महिलाओं की मौत हो जाती है। राज्य सरकार महिलाओं को वैक्सीन उपलब्ध कराकर इस वजह से हो रही मौतों पर काबू करना चाहती है।

सर्वाइकल कैंसर के मामलों में भारत का पांचवा स्थान है

वहीं 2020 में सर्वाइकल कैंसर 75,209 मामले आए थे और सर्वाइकल कैंसर से 33,095 मौतें हुई थी। 2022 में सर्वाइकल कैंसर से उत्तर प्रदेश में 4429, महाराष्ट्र मे 2952 , पश्चिम बंगाल में 2499, बिहार में 2232 और कर्नाटक में 1996 मौतें हुई थी।

आई एम ए के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2021-22 मे झारखंड मे 27 लाख महिलाओं की स्क्रीनिंग के बाद कई मामलों की पहचान की गई। सर्वाइकल कैंसर के मरीजों की बढ़ती रफ्तार की वजह से इस वर्ष 2.70 लाख महिलाओं की स्क्रीनिंग का लक्ष्य रखा गया है।

भारत में सर्वाइकल से संबंधित संस्थाएं

वर्तमान में भारत में कई सर्वाइकल कैंसर अनुसंधान कार्यक्रम है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा स्थापित राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम भारत में कैंसर के लिए एक निगरानी प्रणाली के रूप में कार्य करता है।

भारत में सर्वाइकल कैंसर रजिस्ट्री पूरे देश को सक्रिय रुप से कवर नहीं करती बल्कि देश में  स्थापित शहरी और ग्रामीण संस्थानों से ही जानकारी एकत्र कर पाती है।

विश्व स्तर पर डब्ल्यूएचओ के कार्य

डबल्यूएचओ ने साल 2020 में तीन स्तंभ रक्षा नीति अपनाकर इस बीमारी को एक लाख से 4 महिलाओं तक सीमित करने का संकल्प किया था। डब्ल्यूएचओ कहता है कि इस बीमारी में राहत की बात यह है कि सर्वाइकल कैंसर से ग्रसित व्यक्ति को वैक्सीन और स्क्रीनिंग द्वारा बचाया जा सकता है।

आशा है आपको यह लेख जानकारी पूर्ण लगा होगा। हम इसी प्रकार के विभिन्न जागरूकतापूर्ण लेखों के  साथ फिर मिलेंगे।

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