गीतांजलि द्वारा लिखित, 18 साल का छात्र

रूस और यूक्रेन के बीच आपसी तनाव बढ़ता जा रहा है। विश्व भर के देशों की यही चिंता है कि यदि तनाव बढ़ता रहा और युद्ध की स्थिति में बदल गया तो संपूर्ण विश्व में तबाही बढ़ेगी और जान माल की भी हानि होगी। इस विवाद को समझने के लिए हमें इसके इतिहास, कारण एवं परिणाम सभी पहलुओं को समझना आवश्यक है।

  1. यूक्रेन रूस का इतिहास

यूक्रेन पहले सोवियत संघ का हिस्सा था। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद  यह स्वतंत्र राष्ट्र बना एवं रूस की छत्रछाया से अलग होकर, यूरोपीय देशों से नजदीकी संबंध बनाने लगा। यूक्रेन ने अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए नैटो (NATO) में शामिल होने की इच्छा भी प्रस्तुत की।

साल 2010 में जब पश्चिमी देश यूक्रेन को नैटो की सदस्यता देने को राजी हो गए तो विक्टर यानूकोविच यूक्रेन के राष्ट्रपति बने और उन्होंने पश्चिमी देशों पर ध्यान ना देकर रूस से बेहद करीबी संबंध स्थापित किए। इसी कारण उन्होंने यूरोपीय संघ में शामिल होने के समझौते को खारिज कर दिया।

राष्ट्रपति द्वारा रूस के साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए उठाए गए कदमों के कारण से देश की जनता में गुस्सा भड़का। इसके परिणामस्वरूप देशभर में भारी विरोध प्रदर्शन उभरा और 2014 में जनता ने राष्ट्रपति को अपने पद से इस्तीफा देने को मजबूर कर दिया। नए राष्ट्रपति यूरोपीय संघ में  शामिल होने को मान गए।

इसके बाद रूस ने यूक्रेन के खिलाफ आक्रमकता दिखाई और कथित तौर पर यूक्रेन के अंदर के अलगाववादियों की मदद की और उन्हें पैसे और हथियार उपलब्ध कराया। 2014 में संपूर्ण विश्व चौंक गया जब रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया।  

इस क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों का एक बहुत बड़ा भंडार था। इस युद्ध में रूस तथा यूक्रेन के हजारों लोग मारे गए।

2015 में फ्रांस और जर्मनी ने एक शांति समझौते के द्वारा मध्यस्था की थी जिससे युद्ध रूक गया परन्तु कोई स्थाई समाधान नहीं निकला।

वर्तमान समय में दोनों देशों के बीच आपसी तनाव बढ़ता जा रहा है एवं लग रहा है कि तीसरे विश्व युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है जिसमें एक और रूस वहीं दूसरी ओर यूक्रेन का साथ देता हुआ अमेरिका है।

  • वर्तमान तनाव की स्थिति

रूस ने यूक्रेन के लूहान्सक एवं डूलेस्टक के आसपास 90000  सैनिकों को तैनात कर दिया ताकि वे यूक्रेन पर आक्रमण कर सकें। यूक्रेन के रक्षा मंत्री का कहना है कि रूस की 41वीं आर्मी की यूनिट रूस में येलनया शहर के नजदीक है। यूक्रेन के उत्तरी सीमा से यह शहर केवल 260 किलोमीटर दूर है।

अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने बीते सप्ताह आशंका जताई थी कि रूस यूक्रेन की सीमा पर 175000 जवानों को तैनात करने जा रहा है अर्थात रूस युद्ध के लिए पूर्ण रूप से तैयार है।

  • कारण

रूस के इस आक्रामक व्यवहार का कारण यूक्रेन को नैटो के देशों में शामिल होने से रोकना है। रूस, अमेरिका एवं पश्चिमी देशों से कानूनी गारंटी चाहता है कि वह यूक्रेन कोनैटोमें शामिल नहीं करेंगे एवं उन्हें सुरक्षा संबंधी सहायता प्रदान नहीं करेंगे।

  • युद्ध के प्रभाव

भारत पर प्रभाव

भारत ने अभी किसी एक पक्ष का साथ नहीं दिया है। पिछले कुछ दशकों में भारत के अमेरिका और रूस दोनों ही देशों के साथ अच्छे संबंध रहे हैं। ऐसी स्थिति में किसी एक को चुनना बहुत कठिन है भारत अभी भी दोनों पक्षों में शांति स्थापित करवाना चाहता है।

यूक्रेन की स्थिति को देखते हुए यूक्रेन में रह रहे भारतीय नागरिकों को भारत में वापिस बुलाया जा रहा है एवं भारतीयों को यूक्रेन जाने से रोका जा रहा है इस तनाव के कारण कुछ समय से भारत के शेयर मार्केट में भी नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है।

विश्व व्यवस्था पर प्रभाव

यदि युद्ध की स्थिति उत्पन्न होती है तो विश्व अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी। मंहगाई में वृद्धि होगी क्योंकि रूस प्राकृतिक गैस एवं क्रूड ऑयल का सबसे बड़ा उत्पादक है। ईंधनों की कीमत बढ़ेगी जिसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ेगा। युद्ध से मानवता एवं मानव अधिकारों को भी क्षति पहुंचेगी।

क्या आप भी नन्ही खबर के लिए लिखना चाहते हैं?
संपर्क करें nanhikhabar@gmail.com पर