गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

आज के समय में लोग अपने आधुनिक जीवन में पूर्ण रूप से व्यस्त हैं। वे प्रकृति, आपसी संबंधों एवं नैतिक मूल्य को भूलते जा रहे हैं तथा बढ़ते हुए काम के बोझ के कारण मानसिक और शारीरिक थकान से पीड़ित होते जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में योग का महत्व और बढ़ जाता है क्योंकि योग ही एकमात्र वह रास्ता है जिस पर चलकर मनुष्य अपने को मानचित्र एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ रख सकता है तथा अपने जीवन का पूर्ण आनंद ले सकता है।

कुछ लोगों की यह धारणा हैं कि योग बुजुर्गों के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होता है तथा बच्चों एवं युवाओं को इसकी आवश्यकता नहीं है परंतु ऐसा नहीं है आज के समय में जहां बच्चों से लेकर युवाओं तक को बहुत ज्यादा मानसिक तनाव से गुजरना पड़ रहा है इसलिए आज के समय में बच्चों को बचपन से ही योगा का अभ्यास कराना आवश्यक है। आज हम योग का अर्थ, परिभाषा, इतिहास, महत्व तथा बच्चों के लिए योग के आसनों के बारे में जानेंगे।

योग का अर्थ

जिस प्रकार हर शब्द की उत्पत्ति किसी विशेष भाषा से होती है उसी प्रकार योग शब्द की उत्पत्ति भारत की जननी भाषा संस्कृत से हुई है। योग शब्द संस्कृत भाषा के युज धातु से बना है जिसका अर्थ होता है जोड़ना या मिलाना।

योग जीवन शैली है जिससे व्यक्ति को अपने मन मस्तिष्क एवं शरीर पर नियंत्रण करने में सहायता मिलती है। इसके द्वारा व्यक्ति अपने मन पर नियंत्रण कर सकता है तथा शरीर को स्वस्थ रख सकता है।

हम सभी जानते हैं कि हमारे सभी दुखों और पीड़ाओं का कारण शारीरिक रोग एवं मानसिक इच्छाओं पर नियंत्रण न पाना है। इसलिए योग करके हम सभी प्रकार के पीड़ाओं से दूर हो सकते हैं।

बच्चों के लिए योग करना बहुत आवश्यक है क्योंकि यह उनके मानसिक एवं शारीरिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

योग की परिभाषाएं

ऐसे तो योग की कोई एक निश्चित परिभाषा नहीं है परंतु विभिन्न विद्वानों ने विभिन्न रूपों में  इसे व्यक्त करने का प्रयास किया है।

“योग का अर्थ है मानसिक उतार-चढ़ाव पर नियंत्रण पाना”
“योग समाधि है”
“इंद्रियों तथा मान का नियंत्रण ही योग कहलाता है”
“योग सभी प्रकार के पीड़ा तथा दुख से मुक्ति का मार्ग है”
“ईश्वर से व्यक्ति की एकता या जुड़ना ही योग है”
“शिव और शक्ति के बारे में ज्ञान ही योग है”
“मनुष्य के शरीर तथा मन का संतुलन एवं समन्वय ही योग है”

योग का इतिहास

योग का इतिहास बहुत पुराना है इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई इसके बारे में कोई निश्चित जानकारी तो प्राप्त नहीं है परंतु यह कहा जाता है कि भारत ने ही योग का ज्ञान सम्पूर्ण विश्व को करवाया था तथा योग की उत्पत्ति भी भारत में ही हुई थी।

इतिहासकार योग की उत्पत्ति सिंधु घाटी सभ्यता से मानते हैं क्योंकि उस समय की मूर्तियों एवं चित्रकला में योगासन पाया गया है। विभिन्न वेदों, उपनिषदों, रामायण तथा महाभारत जैसे ग्रंथों में भी योग का वर्णन किया गया है।

महर्षि पतंजलि ने बहुत पुराने समय में ही “योगशास्त्र”  नाम का एक ग्रंथ लिखा था।

प्राचीन कवि जैसे कबीर, सूरदास, तुलसीदास आदि ने भी अपनी रचनाओं में योग का वर्णन किया है।

इतना प्राचीन तथा सुप्रसिद्ध योग का इतिहास योग के महत्व को आधुनिक समाज के सामने उजागर करता है।

बच्चों के लिए योग क्यों ज़रूरी है?

आज के समय में हर व्यक्ति किसी न किसी प्रकार की शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक समस्या का शिकार है जिसे समाप्त करने में योग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्राचीन समय में बच्चे पूर्णरूप से अपना बचपन जी पाते थे परंतु आज के समय में बचपन से ही बच्चों पर शिक्षा, अच्छे अंक लाने, आधुनिक बनने की जिम्मेदारी आ गई है। आज के इस प्रतिस्पर्धा वाले विश्व में बच्चे अपना सारा समय स्कूल तथा ट्यूशन में ही बिता रहे हैं तथा भोजन के रूप में भी पूर्ण रूप से स्वस्थ्य एवं शुद्ध भोजन का सेवन नहीं कर रहे हैं। ऐसे में उनको शारीरिक एवं मानसिक बीमारियों से बचाने के लिए एवं उनके विकास को तेज करने के लिए योगा बहुत आवश्यक हो गया है।

योग के कुछ और महत्व के बारे में जानते हैं-

  • रोगों से बचाव एवं उपचार
    विभिन्न यौगिक व्यायामों से केवल रोगों से बचाव ही नहीं होता बल्कि कई रोगों का उपचार भी होता है। योग द्वारा व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है तथा बीमारियों में कमी आती है। नियमित रूप से योग करने से विभिन्न बीमारियां जैसे मधुमेह, तनाव, उच्च रक्तचाप, पीठ दर्द आदि समाप्त हो जाता है।
  • शारीरिक सौंदर्य में वृद्धि
    हर व्यक्ति आज शारीरिक रूप से मजबूत एवं सुन्दर दिखना चाहता है जिसके लिए लोग बहुत अधिक पैसा भी बर्बाद करते हैं परंतु इस उद्देश्य की पूर्ति का सबसे सस्ता और सरल साधन है योग। योग के विभिन्न आसनों द्वारा चेहरे की दमक तथा शरीर की मजबूती बढ़ती है।
  • मानसिक तनाव को कम करना
    बहुत सारे प्रयोगों एवं अध्ययनों द्वारा यह देखा गया है कि योग मानसिक तनाव को कम करता है। बहुत सारे योगासन है जो मन को शांत करते हैं।
  • नैतिक मूल्य का बढ़ावा
    नैतिक मूल्य में कमी आज की सबसे बड़ी समस्या है। योग में विभिन्न प्रकार के नियम होते हैं जो नैतिक मूल्य को बढ़ाने का कार्य करते हैं इन नियमों में अहिंसा, चोरी ना करना, ब्रह्माचार्य के पथ पर चलना आदि शामिल है।

बच्चों के लिए योग का महत्व और बढ़ जाता है क्योंकि बचपन में बच्चे नैतिक मूल्य को सीखने के प्रथम चरण में होते हैं।

बच्चों के लिए विभिन्न योग

बच्चों के लिए योग बहुत आवश्यक है बहुत सारे योगासन ऐसे हैं जो बच्चे भी आसानी से कर सकते हैं तथा स्वयं को स्वस्थ रख सकते हैं। हम ऐसे ही कुछ आसनों से संबंधित लाभ तथा सावधानियां बताने जा रहे हैं।

सुखासन बच्चों के लिए योग

बच्चे योग मुद्रा

सुखासन का मतलब होता है ऐसा आसन जो सुख या आनंद की अनुभूति करवाता है। इस आसन से आत्मा को शांति और सुख की प्राप्ति होती है ऐसा माना जाता है कि पुराने समय में लोग पालथी मार कर खाना खाते थे जिससे उनके दोनों घुटनों में दर्द एवं कोई बीमारी नहीं होती थी परंतु आज के समय में लोग डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाना खाते हैं इसीलिए यह आसन करना बहुत आवश्यक हो गया है।

विधि
सुखासन करने के लिए जमीन पर चटाई बिछा लें। अपने दोनों पैरों को सामने की तरफ सीधा रखें तथा आलथी – पालथी मारकर बैठ जाएँ। अपने पीठ को एकदम सीधा रखें तथा अपने कंधों को ढीला छोड़ दें और सांस को अंदर बाहर लें। अपनी हथेलियों को पालथी के ऊपर रखें तथा आंख बंद करके शांति का अनुभव करें।

लाभ
इस अभ्यास को नियमित रूप से करने से बच्चों को मानसिक सुख और शांति की प्राप्ति होती है।

बच्चों के अंदर कई बार चिंता, अवसाद एवं क्रोध देखा जाता है इस आसन को करने से क्रोध में कमी आती है।

इससे थकान कम हो जाता है एवं  पीठ मजबूत होती है।

इससे बच्चों में बैठने की सही आदत बनती है तथा बैठते समय उनके घुटनों में दर्द नहीं होता।

सावधानियां
अगर बच्चों को पहले से ही घुटने में परेशानी हो तथा पीठ में कोई चोट हो तो यह आसन करने से पहले डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।

ताड़ासन बच्चों के लिए योग

ताड़ासन का नाम ताड़ के पेड़ से बना है क्योंकि इस आसन को ताड़ के पेड़ के समान मजबूत बनने के लिए एवं लंबाई बढ़ाने के लिए किया जाता है।

विधि
एक समान स्थान पर दोनों पैरों को आपस में मिलाकर और दोनों हाथों को ऊपर उठाएं। दोनों हाथों को तेज सांस लेते हुए पीछे की ओर उठाएं। दोनों हथेलियों की उंगलियों को मिलाएं तथा हथेली को आसमान की तरफ करें। ऊपर उठने का प्रयास करें जैसे जैसे हाथ ऊपर उठाएं , पैरों की एड़ियां भी ऊपर जानी चाहिए। हाथ ऊपर उठाते समय पेट अंदर लेना चाहिए और शरीर का भार पंजो पर होना चाहिए। कमर सीधी, नजर सामने और गर्दन सीधी रहे। 1 से 2 मिनट तक आसन में रहे तथा फिर सामान्य स्थिति में आ जाइए।

लाभ

  • इस आसन में तेज सांस लेने से फेफड़े विस्तृत होते हैं और पैर और हाथ के स्नायु तंत्र मजबूत होते हैं। शारीरिक और मानसिक संतुलन बढ़ता है।
  • बच्चों में आत्मविश्वास मे वृद्धि होती है तथा उनके शैक्षणिक योग्यता मे सुधार आता है।
  • यह आसन बच्चों के पाचन तंत्र को मजबूत करता है तथा उनके कद की वृद्धि को भी तेज करता है आलस्य भी दूर होता है।

सावधानियां

ऑपरेशन हुए लोगों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
अगर बच्चे को सिर दर्द या निम्न रक्तचाप की परेशानी है तो उसे आसन मत करने दे।

नौकासन बच्चों के लिए योग

chote baccho ke leye yoga

नौकासन पीठ के बल लेट कर किया जाता है। इनमें नौका के समान आसन किया जाता है इसीलिए इसे नौकासन कहते हैं।

विधि
इस आसन को करना बहुत आसान है सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाएं। आपका शरीर सीधा हो अपने शरीर को ढीला छोड़ दें। अब आप सांस लेते हुए अपने सिर, पैर और पूरे शरीर को 30 डिग्री पर उठाएं, ध्यान रहे आपके हाथ आपके जांघ के ऊपर हो। धीरे-धीरे सांस ले और धीरे-धीरे सांस छोड़ें। तीन चार बार यह आसन करें।

लाभ
आज के समय में बच्चे बहुत बाहर की चीजें खाते हैं जिससे मोटापे की समस्या हो सकती है। यह आसन पेट की चर्बी को काम करता है, वजन कम करने में मददगार है, पाचन तंत्र को मजबूत करता है और रीढ़ की हड्डियों के लिए भी लाभदायक होता है।

वृक्षासन बच्चों के लिए योग

वृक्षासन दो शब्दों से मिलकर बनाएं – वृक्ष का अर्थ होता है पेड़ तथा आसन का अर्थ होता है मुद्रा।

यह आसन वृक्ष की आकृति में किया जाता है इसलिए इसे वृक्षासन कहते हैं इसका वर्णन राजाओं के समय से ही था।

विधि
सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं और ताड़ासन में आ जाएं। पैरों के बीच की जगह को कम कर लें, दायाँ पैर उठाए और बाएं जांघ पर सीधा रखें। पंजे की दिशा नीचे की ओर तथा तलवे की दिशा जांघों की ओर हो। मुड़े हुए पैर को दूसरे पाव के साथ समकोण बनाएं। दोनों हाथ को ऊपर की तरफ मिलाकर प्रार्थना मुद्रा में सीधा कर लें। दोनों हाथ सिर से चिपके हों। कुछ देर तक शरीर का संतुलन बनाकर इसी आसन में खड़े रहें फिर सामान्य स्थिति में आ जाएं।

लाभ

  • इस आसन को करने से बहुत लाभ है घुटने का दर्द एकदम कम हो जाता है, पैरों में मजबूती आती है गठिया के दर्द की समाप्ति में भी सहायक है।
  • यह आसन मानसिक तनाव, अवसाद आदि की समाप्ति में भी सहायक होता है।
  • वजन को बढ़ने से रोकता है तथा शरीर का संतुलन बनाता है।

शवासन – बच्चों के लिए योग

बच्चों के लिए योग आसन

शवासन भी एक प्रकार का बहुत महत्वपूर्ण आसान है जो सभी आसनों के बाद किया जाता है।
इस आसन का नाम शव से बना है अर्थात आराम की मुद्रा में होना।

विधि

दंडासन की मुद्रा में जमीन पर बैठ जाएं। हाथों से जमीन को दबाते हुए सांस लेते हुए रीढ़ की हड्डी को सीधी करके बैठने का प्रयास करें।
सीधा कमर के बल पर लेट जाएं और पैरों के बीच में फासला रखें।
आंखों को बंद करें परंतु सोना नहीं है शरीर को शांत करना है। श्वास को धीरे करने का प्रयास करें ताकि किसी भी प्रकार का व्यवधान ना हो।
मन एवं मस्तिष्क को शांत करके आराम की मुद्रा में आसन करें। 5 से 10 मिनट तक इसी मुद्रा में रहें तथा फिर उसके बाद सामान्य स्थिति में आने के लिए धीरे-धीरे सांसो पर ध्यान देना शुरू करें तथा हाथों को मलकर आंखों पर लगाए।

लाभ

  • मस्तिष्क को शांत करता है तथा हलके तनाव एवं अवसाद को समाप्त करता है।
  • पूरे दिन के थकान को एक बार में ठीक करता है तथा आराम की अनुभूति होती है।
  • रक्तचाप को कम करने में सहायक होता है तथा अन्य बीमारियों से भी बचाता है।
  • एकाग्रता और याददाश्त तेज करता है जिससे बच्चों का शैक्षणिक प्रदर्शन अच्छा होता है।

सावधानियां

शवासन बहुत आसान आसन है जिसे कोई भी कर सकता है इसके लिए किसी प्रकार की सावधानी की आवश्यकता नहीं है।

आज हमने बच्चों के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण आसनों के बारे में जाना है आगे भी हम इस तरह के आसनों के बारे में आपको जागरूक करके रहेंगे। आप इन आसनों को अपनाकर अपना जीवन सरल तथा स्वस्थ्य बनाएं।

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