जैसे की हम सब जानते हैं  हमारा देश धर्मनिरपेक्ष (secular)  देश है जहाँ सभी धर्म और जाती के लोग मिलजुलकर रह सकते हैं | भारत का संविधान सभी नागरिकों को शिक्षा, व्यवसाय ,अधिकार और अवसर में  सामान्यता प्रदान करता है |  अल्पसंख्या ( Minority) जातीय और धार्मिक नागरिकों के अधिकारों की रक्षा भी हमारा संविधान  प्रदान करता है|  अनुच्छेद ३० (Article 30) अल्पसंख्या नागरिकों की सुरक्षण  का एक प्रावधान (Provisions) है|

भारत, भाषा, धर्म, जाति, संस्कृति और अन्य सामाजिक-आर्थिक अंतर से विभाजित है । संविधान लेखकों  का उद्देश्य था एक  ऐसी संविधान बनायें जिससे अल्पसंख्यों पर जातीय और धार्मिक भेदभाव से बचाए, साथ ही हमारे देश में जो भाषा, धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक मतभेद हैं, उनको भी साथ लेकर आगे बढ़ें | इसलिए  जातीय, धार्मिक अल्पसंख्या समुदाय/कम्युनिटी को संविधान रक्षा करता है|  हालाँकि, कुछ लोगों का यह गलत   विचार है कि ऐसी अल्पसंख्या आरक्षण देने से, असमानता बढ़ सकती है|

इस पर गौर करने के लिए पहले हमें यह समझना है की अल्पसंख्या( Minority) क्या है ,या कौन हैं? साधारण शब्दों में, एक अल्पसंख्यक समूह/कम्युनिटी किसी भी समाज की छोटी समूह/ कम्युनिटी होती है जिसे उनकी जाति, धर्म, या राजनीतिक मान्यताओं के कारण बाकी लोगों से अलग माना जाता है। भारत का संविधान अल्पसंख्यक शब्द का उपयोग करता है लेकिन उसका विवरण (डिटेल्स) नहीं किया है।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम (National Commission of Minorities Act) छह समुदायों/ कम्युनिटी को धार्मिक अल्पसंख्यक घोषित करता है। वे हैं: मुस्लिम, बौद्ध, ईसाई, सिख, जैन, और ज़ोरास्ट्रियंस (पारसी)।

जिन लोगों की मातृभाषा बहुसंख्य लोगों से अलग है, उन्हें भाषाई अल्पसंख्यक( Linguistic Minority)  माने जाते हैं | भारत का संविधान इन भाषाई अल्पसंख्यकों ( Linguistic Minority) के अधिकारों की भी रक्षा  करता है। अनुच्छेद 30(Article 30)  केवल धार्मिक(Religious) और भाषाई (Linguistic) अल्पसंख्यकों( minorities) के बारे में ही बात करता है।

अनुच्छेद 30 (Article 30) क्या है?

सरल शब्दों में कहा जाए, तो भारतीय संविधान का अनुच्छेद 30(Article 30)  अल्पसंख्यकों( Minority)  को शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन का अधिकार देता है।

अनुच्छेद 30(Article 30)  की घोषणा है कि

  • कोई भी अल्पसंख्या जाति  नागरिक, भले ही, वे किसी भी धर्म या भाषा के हों, उन्हें अपनी पसंद के शिक्षण संस्थानों की स्थापना और प्रशासन का अधिकार होगा।
  • राज्य, किसी भी संस्था पर ,चाहे वह धर्म या भाषा पर आधारित हो, इसलिए भेदभाव नहीं करेगा कि  वह संस्था एक अपल्पसंख्यक ( Minority) चला रहा है|

इस अनुच्छेद(Article) यह साबित करती है कि अल्पसंख्यकों( Minority)  के साथ समान अधिकार, अवसर या उपचार से भेदभाव नहीं  किया जायेगा । हालांकि, कुछ लोगों  ने इसका यह मतलब निकला कि बहुमत ( Majority) लोग, संस्था अपने तरीके से नहीं चला सकते|

2007 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए एक फैसले में, यह फिर से घोषित किया गया था कि अनुच्छेद 30(Article 30) के तहत अल्पसंख्यक समुदायों( Minority community) को दिया गया अधिकार केवल बहुमत के साथ समानता का आश्वासन देना है। यह अल्पसंख्यकों को अधिक लाभ स्थिति में रखने के इरादे से नहीं है।

29 मई 2020 को, एक सोशल मीडिया पोस्ट पब्लिश हुआ, जिसमें कहा गया कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 30 मदरसों( Madrassas) को कुरान पढ़ाने की अनुमति देता है, लेकिन अनुच्छेद 30 (ए) (Article 30A) भारतीय स्कूलों में भगवद गीता, वेद और पुराणों की शिक्षा पर रोक लगाया है।

सच तो यह है, कि हमारे संविधान में अनुच्छेद ३० (ए) (Article 30A), है ही नही | यह भी पुष्टि की गई है कि संविधान में किसी भी धार्मिक पाठ का उल्लेख नहीं है। हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष ( secular) है और सोशल मीडिया पर किया गया आरोप बेबुनियाद हैं और सिर्फ भारतीय संविधान को बदनाम करने की एक कोशिश है। अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यक समुदायों ( Minority communities) को अपनी भाषा में अपने बच्चों को शिक्षा प्रदान करने का अधिकार देता है। भारत धर्मनिरपेक्ष ( secular) देश है और सभी नागरिकों को सामान्य अधिकारों और अवसर प्रधान करने की हित से, अल्पसंख्यक समुदायों( Minority community)  के लोगों को बाकि नागरिकों  से बराबरी लाने  का प्रयत्न   करता है।  धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों (Minorities) के अधिकारों की रक्षा करना भारत की संविधान का एक मूल धार्य  है|