मनीषा द्वारा लिखित, कक्षा 10 की छात्रा

प्रवाल भित्ति यानी (coral reef) एक समुद्रीय जीव हैं जो करोड़ों साल पुरानी हैं। ये माइक्रो ऑर्गेनिज्म होते हैं जो दिखने में काफी आकर्षित और संवेदनशील पर्यावरण प्रणाली के होते हैं। ये समुंद्र के अंदर अपना एक अलग का शहर बनाते हैं। कोरल सैंकड़ों हजारों जीवों की मिली जुली बस्ती होती है। जिस तरह मनुष्य एक दूसरे पर निर्भर होते हैं उसी प्रकार ये सारे जीव भी  एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं। ये अलग अलग रंग के होते हैं और इनकी बहुत सारी प्रजातियां होती है ।

प्रवाल भित्ती कैसे बनता है?

प्रवाल भित्ती को मूंगे भी कहा जाता है। जैसे जमीन पर रहने वाले सारे जीव जंतु कोशिकाओं और अलग अलग तत्त्व से मिलकर बने होते हैं उसी प्रकार प्रवाल भित्ति भी कैल्शियम कार्बोनेट (Calcium carbonate) से बने होते हैं। उनके ऊपर कैल्शियम कार्बोनेट की एक अलग सी परत होती है तथा इनका खाना भी कैल्शियम कार्बोनेट ही होता है। ये दिखने में बहुत छोटे आकार के होते हैं और इन्हे हम अपनी नंगी आंखों से नही देख सकते। ये जीव हमेशा समूह में होते हैं और रोज करोड़ों की संख्या में पैदा होते हैं और मरते हैं जिन्हें गिनना न के बराबर है। जब ये मरते हैं तब इनके ऊपर गाठ मिट्टी (sediment) जमा हो जाती है, फिर मरते  हैं, फिर से गाठ मिट्टी जमा हो जाती है, इस तरह बार बार होने के कारण इतनी मिट्टी जमा हो जाती है कि ये एक द्वीप (island) बना लेते हैं और इनमें पेड़ पौधे उगने लगते हैं और लोग इनके ऊपर रहना भी शुरू कर देते हैं।

मूंगे कहाँ पाएँ जाए जाते हैं और इनको जीने के लिए किन चीजों की ज़रूरत होती है?

मूंगे यानी प्रवाल भित्ति हमारे पृथ्वी के 30°C उत्तरी और 30°C दक्षिणी दिशा में पाए जाते हैं। इनको जिंदा रहने के लिए 20°C से लेकर 21°C तक तापमान चाहिए होता है। अगर इससे कम या ज्यादा तापमान होता है तो ये जीव समुंद्र में ही मर जाते हैं। ये जीव करीब 200-250 फीट या 66-77 मी. की गहराई में पाए जाते हैं।

प्रवाल विरंजन (coral bleaching) क्या होता है?

तापमान पोशाक तत्वों में बदलाव की वजह से कोरल अपने, सूर्य के प्रकाश, उत्तकों (tissue) में रहने वालों को अलग कर देते हैं जिसकी वजह से प्रवाल विरंजन या कोरल ब्लीचिंग की समस्या पैदा होती है।

प्रवाल भित्ति (Coral reef) होने से प्रवालों की मौत नहीं होती जैसा कि आम तौर पर समझा जाता है। लेकिन इसके कारण कोरल के अस्तित्व पर असर पड़ता है। जिससे इनकी मरने की संभावना बढ़ जाती है। महा सागरों का बढ़ता हुआ तापमान कोरल ब्लीचिंग की सबसे बड़ी समस्या है ।

भित्ति (The great barrier reef) को खतरे की लिस्ट में क्यों रखा गया?

दुनिया का सबसे बड़ा प्रवाल भित्ति ऑस्ट्रेलिया में है और यह लगभग 345000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और इसे विश्व धरोहर का दर्जा मिला हुआ है और ये किसी भी देश के लिए गर्व की बात है ।

इस साल द ग्रेट बैरियर रीफ़ की 40वीं सालगिरह थी और इसके लिए हमे खुशी मनानी चाहिए, लेकिन यूनेस्को ने इसे इंडेंजर लिस्ट में डाल दिया है  यूनेस्को का कहना है कि पर्यावरण में हो रहे बदलाव की वजह से कोरल रीफ़ को खतरा है। इसका मुख्य कारण है इन प्रवालों की ब्लीचिंग है और महासागरों का बढ़ता हुआ तापमान और ईंधन का इस्तेमाल करना। इसकी वजह से भूमंडलीय ऊष्मीकरण हो रहा है। जिसकी  वजह से ऑस्ट्रेलिया आर्थिक परेशानियों का सामना कर सकता है और इसकी वजह से बहुत सारे नुकसान होने की संभावना है ।

आखिर इसकी वजह से ऑस्ट्रेलिया को क्या नुकसान है?

यहां पर करीब 1500 मछलियों की प्रजाति पाई जाती हैं। इससे ऑस्ट्रेलिया को हर साल लगभग  करीब 4.8 डॉलर मिलता है। यहां पर तरह तरह के जानवरों का घर है जैसे – डॉल्फिंस, कछुए, सपें, शार्क, मगरमच्छ जैसे जानवर। इससे आस्ट्रेलिया का पर्यटन बढ़ता है और जिसकी वजह से काफी आर्थिक सहायता मिलती है। पर अब इंडेजर होने की वजह से ऑस्ट्रेलिया को  आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़  सकता है और इसी की वजह से बहुत सारे नुकसान होने की संभावना भी  है।

इसलिए हम सभी को अपने पर्यावरण और प्रवाल भित्ती जैसे छोटे जीव जो हमारे जीवन के लिए आवश्यक है, उन्हें लुप्त होने से बचाना होगा वरना हमारा पर्यावरण नष्ट हो जाएगा।

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