कक्षा 6 की छात्रा द्वारा लिखित

हांगकांग में 1841 से लेकर आज तक कोई न कोई विरोध चलता ही रहता है । जानते हैं क्यूँ?

हांगकांग का इतिहास

1841 के पहले अफीम युद्ध (चीन और ब्रिटेन के बीच अफीम युद्ध हुआ था, जिसमें ब्रिटेन जीता था) के बाद से यूनाइटेड किंगडम ने हांगकांग पर (एक कॉलोनी के रूप में) शासन किया । हार के हिस्से के रूप में, 1842 में, चीन ने हाँग काँग का द्वीप अंग्रेजों को दे दिया । यूनाइटेड किंगडम ने तब से हांगकांग पर नियंत्रण कर लिया और 1898 में चीन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए कि अगले 99 सालों तक हांगकांग ब्रिटेन का रहेगा । यह समझौता 1 जुलाई, 1997 को पूरा हुआ ।

समझौते में यह भी लिखा हुआ था कि 1997 के बाद 50 वर्षों तक, यानि 2047 तक हांगकांग अपनी राजनीतिक और आर्थिक स्वतंत्रता बनाए रखेगा और चीन हांगकांग पर सीधा शासन नहीं करेगा । तो हांगकांग चीन का हिस्सा तो है लेकिन वह अपने स्वयं के आर्थिक, कानूनी और राजनीतिक प्रणालियों का पालन करता है । तो इसे – वन कंट्री टू सिस्टम कहा जाता है और वास्तव में हांगकांग (SAR) कहते हैं जिसका मतलब है विशेष प्रशासनिक क्षेत्र ।

तो अब क्या समस्या हो गई है?

चीन अब हांगकांग को नियंत्रित करना चाहता है । चीन एक नया सुरक्षा कानून लागू करना चाह रहा है जिसका नाम है ‘प्रत्यर्पण (extradition) बिल’ । इस कानून का कहना है कि सभी हांगकांग नागरिकों को चीन की आर्थिक, कानूनी और राजनीतिक प्रणालियों का पालन करना होगा । यह कानून हांगकांग को प्रत्यर्पण (जिसका मतलब है – कोई ऐसे व्यक्ति को सौंप देना जो आपराधी है या उस पर अपराध का आरोप लगा है) करने की अनुमति दे देगा, वो लोग जिन्होने आपराधिक गतिविधि किसी और देश में की है उन्हे चीन को दे दिया जाएगा । तो इसका मतलब यह होगा कि हांगकांग की चीन के साथ ‘वन कंट्री टू सिस्टम’ वाली प्रणाली नहीं रहेगी ।

ये विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहें हैं?

लोगों में इस बिल को लेकर काफी गुस्सा है क्योंकि चीन हांगकांग की तरह आज़ादी की गारंटी नहीं देता और अगर यह कानून बन गया तो इसका इस्तेमाल उन लोगों को डराने के लिए किया जा सकता है जो लोकतंत्र की लड़ाई लड़ रहे हैं । हांगकांग में 2019 से सड़कों पर इसको लेकर काफी हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं । हांगकांग की लगभग 1/7 वीं आबादी सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रही है । विरोध प्रदर्शन नियंत्रण से बाहर हो गए हैं और पुलिस को गंभीर कारवाई करनी पड़ी । प्रदर्शनकारी खुद को मिर्च स्प्रे से बचाने के लिए छाते का इस्तेमाल कर रहे हैं, कई लोग आँसू गैस से घायल और मारे जा चुके हैं । पुलिस अब लोगों को गोली मारने की हद तक पहुँच चुकी है लेकिन विरोध अब भी जारी है ।