कक्षा 7 की छात्रा द्वारा लिखित

ज़्यादातर इजिप्ट की मूर्तियों की नाक टूटी होती है या चेहरे नष्ट हुए होते हैं । हमेशा से यह सोचा जाता था कि यह बहुत समय से रखे रहने से हो जाता है या गिरने से । करीब से जांच करने पर, पुरातत्त्वज्ञ (Archaelogist) ने देखा कि 2 डी रिलीफ (जो नक्काशी दीवार पर बनी होती हैं) की नाक भी टूटी हुई थी ।

बहुत सारे कारण हैं जिनकी वजह से मूर्तियों को नष्ट कर दिया गया था, आइए जानते हैं ।

पहला, कुछ छोटे अपराधी मंदिरों और मकबरों में कीमती वस्तुयों की चोरी करने आते थे और उन्हे लगता था कि जो वहाँ खड़ी मूर्तियाँ हैं वो उनसे चोरी का बदला लेंगी तो वो उन मूर्तियों के कुछ हिस्सों को काट देते थे जिससे वो उनसे बदला न ले पाएँ ।

दूसरा, बहुत सारे राजा और बड़े लोग कई देवताओं की पूजा करते थे और मूर्तियों को प्रसाद चड़ाते थे। उनका मानना था कि अगर वो उन्हे प्रसाद चड़ाएंगे तो बदले में मूर्तियाँ इजिप्ट की रक्षा करेंगी । शत्रु आकर उन मूर्तियों के अंग तोड़ देते थे जिससे वो यह कार्य न कर पाएँ ।

आइकोनोक्लास्म (iconoclasm) के कारण कुछ इसाई और इजिप्ट के फैरो (pharaoh – प्राचीन इजिप्ट में एक शासक) भी कलाओं को नष्ट कर देते थे । आइकोनोक्लास्म एक तरीके का विश्वास है जिसमें धार्मिक और राजनीतिक कारणों से ऐसे छवि या स्मारक नष्ट कर दिए जाते हैं ।

तीसरा, इजिप्ट के वासियों का माना था कि मूर्तियाँ वो अलौकिक प्राणी हैं जो दिव्य आत्माओं में बदल जाती हैं । उन्हे लगता है कि नाक नष्ट करने से अलौकिक और पृथ्वी के लोगों के बीच संबंध टूट जाएगा ।

कुशल मूर्तिकार और साक्षर पुरुष भी मूर्तियों के चेहरे नष्ट कर देते थे क्योंकि पढ़ कर वो समझ पाते थे  कि कौनसी मूर्ति को नष्ट करना है ।

अंत में, जैसे कि नाक वह अंग है जिससे लोग सांस लेते हैं, इसलिए इजिप्ट के लोग यह सोचकर मूर्तियों की नाक काट देते थे कि इस से मूर्तियों की आत्माएँ मर जाएंगी ।

टूटी हुई नाक का एक और कारण लिंग भेदभाव था । दो सबसे शक्तिशाली महिला फैरो हत्शेपसुत और नेफ़रतती की मूर्तियों की भी नाक टूटी हुई है । इजिप्ट के लोगों ने उन्हे इजिप्ट के इतिहास से मिटाने की कोशिश करी । हालांकि कुछ मूर्तियाँ अब भी मौजूद हैं बिना चेहरों के ।

फैरो अखेनाटेन के समय में मकबरों और मंदिरों में अट्टन (सूर्य देवता) की पूजा होती थी, लेकिन उनके शासन समाप्त होने के बाद, इजिप्ट के लोगों ने उनकी सभी मूर्तियाँ नष्ट कर दीं और अमुन (एक सूर्य देवता) की पूजा करने लगे । सभी मूर्तियाँ ग्रेनाइट और बसाल्ट से बनी थीं जो कि बहुत सख्त होता है । इसलिए खुद से टूट जाना तो बिलकुल असंभव है और यह साबित करता  है कि यह जानबूझ कर किया गया है ।