गीतांजलि पाण्डेय द्वारा लिखित, 18 साल की छात्रा

लता मंगेशकर भारत की स्वर कोकिला अब हमारे बीच नहीं रही। शायद ही कोई होगा जो लता मंगेशकर से परीचित न हो। सुरों की ये जादुई धुन मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में 28 सितंबर 1929 को उत्पन्न हुई जो आज भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व के हृदय पर छा चुकी है।

लता मंगेशकर जी ने अपने जीवन में कभी खुशी कभी गम मतलब अनेक चुनौतियों को सहा है परंतु वह हारी नहीं। उन्होंने अपने जीवन में अनेक संघर्ष किए हैं। वर्ष 1942 में उनके पिता जी का निधन हो गया था जिसके बाद परिवार की सारी जिम्मेदारी उनके नाजुक कंधों पर आ गई। उस समय वह केवल 13 वर्ष की थीं। उन्हें अभिनय बहुत पसंद नहीं था परंतु पिता की असामयिक मृत्यु के कारण घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई थी।‌ जिस वजह से उन्हें कुछ हिंदी और मराठी फिल्मों में भी काम करना पड़ा। उसके बाद उन्होंने  पार्श्वगायिका (पर्दे के पीछे गाने वाली गायिका) के रूप में अपने करियर की शुरुआत की  परंतु अनेक मशहूर गायकों के बीच उनके लिए अपनी एक नई पहचान बनाना इतना आसान नहीं था। अनेक मुश्किलों का सामना करते हुए वह इस मुकाम पर पहुंची है लता मंगेशकर ने 200 से अधिक भाषाओं में  30,000 से अधिक गाने गाए जो आज भी मशहूर हैं। उनकी आवाज ही उनकी पहचान थी, है और हमेशा रहेगी। 

उन्होंने अपने कठिन परिश्रम, जुनून और संगीत के प्रति प्रेम एवं साधना के कारण अनेक पुरस्कार अपने नाम किए। जिनमें से कुछ पुरस्कार इस प्रकार हैं:

  •  फिल्म फेयर पुरस्कार (1958, 1962,1965, 1969, 1993 और 1994)
  •  राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 और 1990)
  •  महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 और 1967)
  •  पद्मभूषण (1969)
  • दुनिया में सबसे अधिक गाने गाने का गीनीज रिकॉर्ड (1974)
  • दादा साहब फाल्के पुरस्कार (1989)
  • फिल्म फेयर का जीवन पर्यंत उपलब्धि पुरस्कार (1993)
  • राजीव गांधी पुरस्कार (1997) एन.टी.आर पुरस्कार (1999) पद्म विभूषण (1999 )
  • भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रतन”( 2001) नूरजहां पुरस्कार (2001 )
  • महाराष्ट्र भूषण (2001) आदि। 
  • उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और  कामयाबी की ओर बढ़ती रही।

6 फरवरी 2022 को राष्ट्र की आवाज शांत हो गई, लता जी हमें छोड़ कर चली गईं। आज संपूर्ण भारतीयों की ये नम आंखें एवं होंठों पर बस उनका ही नाम है एवं उनके हृदय से एक ही आवाज निकलती है तेरी याद आती है और तेरे बिना जग लगता है सुना। वे इक खुशरंग हिना थीं जो सबके दिल पर अपनी छाप छोड़ गईं एवं हृदय पर प्यार का तराना लिख गईं। आज संपूर्ण विश्व उनकी मृत्यु की खबर सुनकर उदास है परंतु लता जी के प्रति जो हमारा प्रेम एवं आदर है वह न बदली है न बदलेगी क्योंकि हर स्थिति में जिंदा रहती है मोहब्बत ।

हम कामना करते हैं ईश्वर उनकी आत्मा तो शांति प्रदान करें।

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