गीतांजली पाण्डेय द्वारा लिखित, 17 साल की छात्रा

“नारी शारीरिक रूप से कमजोर होती है,

इन्हे मानसिक रूप से कमजोर पुरुष समाज ने बनाया है”

इन पंक्तियों को रेचल ब्लैकमोर ने सही सिद्ध करके दिखाया। 10 अप्रैल, 2021 को रेचल ने खेलों की दुनिया की सबसे बड़े लैंगिक बाधाओं में से एक को तोड़ते हुए इंग्लैंड की कठिन ग्रैंड नेशनल प्रतियोगिता को जीतने वाली पहली महिला जॉकी बन गई हैं। आयरलैंड की रहने वाली 31 वर्षीय ब्लैकमोर ने जीत हासिल करने के बाद कहा, “मैं अभी पुरुष या महिला जैसा महसूस नहीं कर रही हूँ बल्कि मैं अभी इंसान जैसा भी महसूस नहीं कर रही हूँ। यह अविश्वशनीय है”

एक डेयरी किसान और स्कूल शिक्षक की बेटी ब्लैकमोर एक कृषिप्रधान परिवेश में पली बढ़ीं। उन्हे किसी भी प्रकार का परम्परागत शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्राप्त नहीं हुआ। आज वह खेल जगत में सम्पूर्ण महिला समुदाय के लिए प्रेरणास्त्रोत बन चुकी हैं।

                             “अनेकों संघर्षों एवं चुनौतियों का रास्ता है,

                             परंतु इससे ही शुरू होता सफलता का कारवां है”

आज सम्पूर्ण विश्व ब्लैकमोर की सफलताओं का गुणगान कर रहा है परंतु इन सफलताओं के पीछे एक लंबा संघर्ष रहा है। 2015 के बाद से वह एक पेशेवर जॉकी रही, 2018-19 में आयरिश जंप रेसिंग में दूसरी सबसे अच्छी विजेता रही, उसी सीज़न में उन्होने प्रतिष्ठित चेल्टन्हम फेस्टिवल में अपनी पहली रेस जीते थी।

रेचल ब्लैकमोर ने शनिवार को आइंट्री में अपने घोड़े मिनेला टाइम्स के साथ पहले नंबर पर फिनिशिंग लाइन पार करके अपनी जीत का परचम लहराया और रेस जीतने वाली पहली महिला जॉकी बनकर ग्रैंड नेशनल इतिहास रच दिया।

जीतने के बाद रेचल ब्लैकमोर ने कहा “मुझे आशा है कि यह किसी की भी मदद करेगा जो जॉकी बनना चाहता है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह मेरे लिए संभव होगा। मैंने जॉकी के रूप में करियर बनाने का सपना नहीं देखा था क्योंकि मैंने कभी नहीं सोचा था यह संभव है”

“कोई भी राष्ट्र तब तक विकसित नहीं हो सकता है जब तक उस देश की महिलाएं भी देश के विकास में कंधे से कंधा मिलकर न चलें”

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