प्राची द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

पैदा हुए तो झूला झुलाया,
उंगली पकड़ कर चलना सिखाया,
हमारे लिए चंदा को बुलाया,
रोने पर हमको हँसाया,
अपने हाथों से खाना खिलाया,
रूठने पर हमको मनाया,
पिता की डाँट से हमें बचाया,
गिरकर उठना सिखाया,
अपनी ममता से हमारा
जीवन महकाया,
जीवन का सार समझाया,
हमारी चिंता में सारे संसार को भुलाया,
माँ के साथ बिताया
हर पल, हर लम्हा मेरे दिल में
आज भी समाया।