दीपाक्षी सिंगला द्वारा लिखित, 17 साल की छात्रा

एक अध्याय खत्म कर
दूसरा शुरू करने चली हूँ
नए सफर की उड़ान भरने चली हूँ!

आज फिर उस जगह को छोड़
नयी जगह अपनी बनाने चली हूँ
एक नए सफर की उड़ान भरने चली हूँ!

आज सोचती हूँ अगर वो लोग मेरी ज़िन्दगी में न होते
तो कैसे इस दुनिया में फ़रिश्ते होते
जिनके वजह से आज एक नया रास्ता चुनने चली हूँ!
उन्हीं को आज अलविदा कह चली हूँ

एक अध्याय खत्म कर
दूसरा शुरू करने चली हूँ!!
एक घर की नींव मजबूत हो तो
वो घर भी मजबूत होता है
आज एक नींव बना
दूसरी रखने चली हूँ!!

एक नए सफर की उड़ान भरने चली हूँ!

दिल करता है एक बार रुक तो जा
फिर से मुड़ कर उन्हें देख तो जा
आसान नहीं है आगे का रास्ता
उनसे तो न वास्ता तोड़ती जा

बहुत दिया साथ तेरा
उन्होंने पिरोया ख्वाब तेरा
आज फिर उस ख्वाब को पिरोने चली हूँ!!

एक नए सफर की उड़ान भरने चली हूँ!

एक अध्याय खत्म कर
दूसरा शुरू करने चली हूँ!

न जाने कल कोई साथ होगा या नहीं
मेरा बचपन मेरे पास होगा या नहीं
पर इतना विश्वास रखते हुए कि
उनकी सीख मेरे साथ होगी
एक जहाँ से दूसरे जहाँ
मेरी हिदायत होगी
उस जहाँ को छोड़ चली हूँ
नए सफर की शुरआत करने चली हूँ!!

इस जीवन का एक अधयाय खत्म कर
दूसरा लिखने चली हूँ
दूसरा लिखने चली हूँ!
एक नए सफर की आज उड़ान मैं भरने चली हूँ!!!