अभिषेक झा द्वारा लिखित, कक्षा 12 का छात्र

महाशय धर्मपाल गुलाटी एक विश्व विख्यात व्यवसायी होने के साथ-साथ एक समाजसेवी भी थे| उनका जन्म 27 मार्च,1923 को पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था| उनको अपने जीवन के शुरुआती दौड़ में काफी संघर्ष करना पड़ा| आपको बता दें की उन्होंने साल 1933 में अपनी पांचवी कक्षा की पढ़ाई पूरी करने से पहले ही स्कूल छोड़ दिया| उनके पिताजी (महाशय चुन्नी लाल गुलाटी) ने उन्हें पढ़ाने का खूब प्रयास किया लेकिन उन्होंने एक ना सुनी| जिसके बाद उनके पिता ने हार मानकर उनको बढ़ई के काम पर लगा दिया, परंतु उनका उस काम में बिल्कुल मन नहीं लगा और कुछ ही दिनों में उन्होंने उस काम को छोड़ दिया| पिता के बहुत कहने पर उन्होंने फिर कपड़ा, हार्डवेयर और चावल जैसे अनेक कामों का व्यापार किया परंतु उनका उस काम में भी बिल्कुल मन नहीं लगा और अंत में जाकर उन्होंने अपने पिता की दुकान महेशियां दी हट्टी जो देगी मिर्च वाले के नाम से मशहूर थी में काम करना शुरू कर दिया|

परंतु साल 1947 में भारत और पाकिस्तान का विभाजन होने के बाद वह अपने परिवार सहित दिल्ली आ गए| सबसे अहम बात यह है कि जब वह दिल्ली आए तब उनके पास केवल ₹1500 थे| जिससे उन्होंने ₹650 में एक तांगा खरीदा और उसे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से कुतुब रोड के बीच चलाया जिसका कुल किराया उन्होंने 2 आना रखा| लेकिन धर्मपाल गुलाटी कुछ और ही चाहते थे| उन्होंने अपना तांगा अपने भाई को दे दिया और करोल बाग की अजमल खां रोड पर ही एक छोटी सी दुकान लगाकर मसाले बेचना शुरू कर दिया| बस उनकी किस्मत कुछ इस तरह चमकी कि उनका मसालों का कारोबार धीरे-धीरे बढ़ता चला गया और एमडीएच ब्रांड की नींव पड़ गई और आज के समय में उनकी कुल 18 फैक्ट्रियां हैं जो भारत में ही नहीं बल्कि दुबई जैसे बड़े शहरों में भी मौजूद हैं। एमडीएच के कुल 62 प्रोडक्ट मार्केट में मौजूद है जो आज दुनिया के 100 से भी ज्यादा देशों में सप्लाई किए जाते हैं| एमडीएच अपने मसालों की शुद्धता के लिए देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जाना जाता है| सबसे मुख्य बात तो यह है कि महाशय धर्मपाल गुलाटी (एमडीएच के मालिक व संस्थापक) अपने सभी प्रोडक्ट का ऐड खुद ही किया करते थे| दुनिया के सभी लोग उन्हें सबसे उम्रदराज ऐड स्टार के रूप में जानते थे|

बता दें कि महाशय धर्मपाल गुलाटी ना केवल अपने व्यापार के प्रति सहज थे बल्कि वह सदैव समाजिक कार्यों में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान देते रहते थे| वह अपने पिता के नाम पर एक चैरिटेबल ट्रस्ट चलाते थे जिसका नाम महाशय चुन्नीलाल चैरिटेबल ट्रस्ट है| इस ट्रस्ट के अंतर्गत 250 बिस्तरों वाला एक अस्पताल और झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों के लिए एक मोबाइल अस्पताल भी चलाया जा रहा है, जो न केवल उनके स्वास्थ्य संबंधित गतिविधियों में मदद करता है बल्कि जरूरत पड़ने पर सामाजिक संगठनों को वित्तीय सहायता भी प्रदान करता है| साथ ही आपको बता दें कि उनके द्वारा अभी तक 20 से अधिक स्कूल भी खोले जा चुके हैं।

महाशय धर्मपाल गुलाटी को उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए अनेक पुरस्कारों एवं सम्मानों से भी सम्मानित किया गया है –

  • सबसे पहले उन्हें साल 2016 में एबीसीआई वार्षिक पुरस्कारों में इंडियन ऑफ द ईयर का पुरस्कार मिला|
  • फिर साल 2017 में उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए उत्कृष्टता पुरस्कार प्रदान किया गया|
  • और फिर उसी साल यानी 2017 में उन्हें FMCG क्षेत्र में सबसे ज्यादा भुगतान करने वाले CEO (₹21 करोड़ / वर्ष) का अवार्ड भी दिया गया|
  • साथ ही साल 2019 में महाशय धर्मपाल गुलाटी को व्यापार और उद्योग-खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्मभूषण जैसे उच्च सम्मान से भी सम्मानित किया गया|

बहुत ही दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि आज मसालों के शहंशाह व एमडीएच के मालिक-महाशय धर्मपाल गुलाटी’ हमारे बीच नहीं हैं| उनका 3 दिसंबर, 2020 को सुबह ठीक 5:38 मिनट पर 98 साल की उम्र में निधन हो गया| पिछले दिनों वह कोरोनावायरस से संक्रमित हुए थे| बताया जा रहा है कि वह कोरोनावायरस से ठीक हो चुके थे| परंतु हार्ट अटैक आने की वजह से उनका निधन हो गया।

क्या आप भी नन्ही खबर के लिए लिखना चाहते हैं?
संपर्क करें nanhikhabar@gmail.com पर