अभिषेक झा द्वारा लिखित, कक्षा 12 का छात्र

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट (Central Vista Redevelopment Project) लुटियंस दिल्ली के सबसे बड़े और महत्वकांक्षी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट में से एक है| इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, नेशनल म्यूजियम, नेशनल आर्काइव्स के अलावा इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स (IGNCA), उद्योग भवन, बीकानेर हाउस, हैदराबाद हाउस के साथ निर्माण भवन और जवाहर भवन भी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का ही एक अहम हिस्सा है, जिसे केंद्र सरकार के द्वारा नए सिरे से बनाए जाने का निर्णय लिया गया है| परंतु सुप्रीम कोर्ट ने अभी केंद्र सरकार के इस प्रोजेक्ट में किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर रोक लगा रखी है| साथ ही आपको बता दें कि 10 दिसंबर, 2020 को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने नए संसद भवन की आधारशिला रखी और भूमि पूजन किया| जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई भी आपत्ति जाहिर नहीं की| केंद्र सरकार की इस परियोजना को ही सेंट्रल विस्टा व सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के नाम से जाना जाता है| आपके दिमाग में बहुत सारे प्रश्न आ रहे होंगे कि आखिर नए संसद भवन की जरूरत क्यों पड़ी और इसकी क्या विशेषताएं हैं? इसके बारे में जानने से पहले हम आपको मौजूदा संसद भवन से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताने जा रहे हैं| बता दें कि मौजूदा संसद भवन का निर्माण ब्रिटिश हुकूमत के कार्यकाल में हुआ था| जिसका डिजाइन सर एडविन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर ने तैयार किया था| उन्होंने पूरे दिल्ली का डिजाइन तैयार किया था, जिसकी वजह से उस जगह को लुटियंस ज़ोन भी कहा जाता है| मौजूदा संसद भवन के निर्माण में कुल 6 साल लगे थे, जिसकी आधारशिला 12 फरवरी, 1921 को रखी गई थी| और इसका उद्द्घाटन 18 जनवरी,1927 को उस समय के तत्कालीन गवर्नर जनरल वायसराय लॉर्ड इरविन के द्वारा किया गया था| उस समय इसके निर्माण में तकरीबन (कुल) 83 लाख रुपए की लागत आई थी|

आखिर क्यों पड़ी नए संसद भवन की जरूरत?

नए संसद भवन की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि साल 2026 में लोकसभा सीटों का नए सिरे से सीमांकन का कार्य होना है| यह अनुमान लगाया जा रहा है कि सीमांकन के बाद संसद भवन में सांसदों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है| जिसके परिणाम स्वरूप न केवल सांसदों को उठने बैठने में बल्कि अपना काम करने में भी बहुत सारी तकलीफों का सामना करना पड़ सकता है| साथ ही मौजूदा संसद भवन को साल 2021 में 100 साल पूरे होने जा रहे हैं और यह भी बताया जा रहा है कि अब इसमें कोई भी बदलाव नहीं किए जा सकते क्योंकि यह इमारत बहुत ज्यादा पुरानी हो चुकी है| इस बात को मद्दे नजर रखते हुए ही केंद्र सरकार ने नए संसद भवन के निर्माण का निर्णय लिया है|

चलिए अब बात करते हैं सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की खासियत के बारे में:

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की अनेकों खासियत हैं:

  • इस प्रोजेक्ट का मुख्य आकर्षण नए संसद भवन पर होगा जो कि तिकोने आकार का होगा और यह 64,500 वर्ग मीटर में फैला होगा| यह संसद भवन मौजूदा संसद भवन की इमारत से काफी बड़ी होगी| जिसमें एक साथ लगभग 1224 से 1227 सांसद के बैठने की व्यवस्था होगी|
  • दूसरी खासियत यह है कि लोकसभा सदन में लगभग 888 सांसदों के बैठने की क्षमता होगी, जबकि राज्यसभा सदन में लगभग 384 सांसदों के बैठने की जगह होगी|  यह व्यवस्था भविष्य में सांसदों की संभावित संख्या के मद्देनजर किया गया है| फिलहाल अभी लोकसभा की क्षमता लगभग 545 सांसदों की है, जबकि राज्यसभा की क्षमता लगभग 245 सांसदों की है और बताया जा रहा है कि नए संसद भवन में सभी सांसदों को अपना एक अलग से दफ्तर भी दिया जाएगा|
  • साथ ही नए संसद भवन में एक भव्य कॉन्स्टिट्यूशन हॉल (Constitution Hall) भी मौजूद रहेगा, जिसमें संविधान की मूल कॉपी रखी जाएगी| वहां पर विजिटर गैलरी भी मौजूद होगी, जिसमें भारत के लोकतंत्र के विरासत को डिजिटली तौर पर डिस्प्ले करने का पूरा इंतजाम रहेगा|
  • इसका मतलब नया संसद भवन पूरी तरह से आधुनिक चीजों एवं सुख सुविधाओं से परिपूर्ण (भरा) होगा यानी इसमें डिजिटल इंटरफेस की पूरी व्यवस्था होगी, ताकि यह आसानी से पेपरलेस दफ्तर की तरह काम कर सकें|
  • सबसे खास बात तो यह है की संसद की नई इमारत पूरी तरह से भूकंप रोधी होगी| साथ ही इसमें वायु एवं ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त उपाय भी किए जाएंगे|

नए संसद भवन के निर्माण का कॉन्ट्रैक्ट टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को दिया गया है| इसके पूरे निर्माण कार्य की निगरानी न केवल लोकसभा सचिवालय को बल्कि आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के सदस्यों, सीपीडब्ल्यूडी और एनडीएमसी के साथ-साथ आर्किटेक्ट व डिजाइनरों के हाथों में सौंपी गई है| और यह बताया जा रहा है कि नए संसद भवन का निर्माण लगभग साल 2022 तक पूरा हो जाएगा| जबकि पूरा सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के पूर्ण होने की समय-सीमा 2024 (साल) रखी गई है| साथ ही आपको बता दें कि पूरे सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर कुल 971 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान भी लगाया जा रहा है|

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Image source: https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Parliament_of_India_in_New_Delhi_04.jpg