प्रिया द्वारा लिखित, कक्षा 10 की छात्रा

देश की आज़ादी में किसी ने बलिदान दिया तो किसी ने योगदान। कुछ तो ऐसे हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। उन्हीं में से एक है ‘भीकाजी कामा’, जिनका नाम इतिहास में पहली बार विदेश में झंडा फहराने वाली महिला के नाम से दर्ज है। उन्हें मैडम कामा के नाम से भी जाना जाता है।

भीकाजी रुस्तम कामा नारीवाद का एक बहुत बड़ा उदाहरण हैं जिनका नाम बहुत से क्रांतिकारी आंदोलनों में लिया जाता है। उनके दिये गये भाषण और लिखे गये लेख, उस वक़्त आज़ादी के लिये जान गँवाने को तैयार लोगों के लिये बहुत बड़ी प्रेरणा बने।

जीवन परिचय

भीकाजी कामा का जन्म 24 सितंबर 1861 को बम्बई में एक पारसी परिवार में हुआ था । उनके पिता बहुत प्रसिद्ध व्यापारी थे। उन्हे लोगों की मदद करना और सेवा करना बहुत पसंद था । साल 1896 में मुम्बई में प्लेग फैलने के बाद भीकाजी ने इसके मरीजों की सेवा की । बाद में उन्हे ही यह बीमारी हो गई। इलाज के बाद वह ठीक हो गई लेकिन उन्हे आराम करने की सलाह दी गई ।  इसके बाद उन्हें आगे के इलाज के लिए यूरोप जाने को बोला गया।

कार्य

स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ वे पहली भारतीय क्रांतिकारी बनी जिन्होने विदेश में सबसे पहले राष्ट्रीय झण्डा फहराया । भीकाजी कामा भारतीय मूल की फ्रांसीसी नागरिक थीं। इन्होने दुनिया के विभिन्न देशों में जाकर भारत के स्वतंत्रता के पक्ष में माहौल बनाने का कार्य किया । उन्होंने लिंग समानता के लिए भी कार्य किया था ।

देश की आज़ादी के लिए कार्य

उन्होने लंदन, जर्मनी तथा अमेरिका का भ्रमण कर भारत की स्वतंत्रता के पक्ष का माहौल बनाया था। उन्होने अपनी शिक्षा अलेक्सांद्रा गर्ल्स संस्थान में पूर्ण की थी । वे शुरू से ही तेज़ बुद्धि वाली और भावुक थीं। साल 1906 में उन्होने लंदन में रहना शुरू किया।  वहाँ उनकी मुलाक़ात प्रसिद्ध भारतीय क्रांतिकारी श्यामजी, कृष्ण वर्मा, हरदयाल और वीर सावरकर से हुई । जब वे हॉलैंड में थी, उस समय उन्होने अपने साथियों के साथ मिलकर क्रांतिकारी रचनाएँ प्रकाशित करवाईं थीं और उनको लोगों तक पहुंचाया था । उनके सहयोगी उन्हे भारतीय क्रान्ति की माता मानते थे ।

पहला भारतीय झंडा किया तैयार

भीकाजी ने साल 1905 में अपने सहयोगी विनायक दामोदर सावरकर और श्यामजी कृष्ण वर्मा की मदद से भारत के झंडे का पहला डिजाइन तैयार किया । इनका तिरंगा आज के तिरंगे जैसा नहीं था । भीकाजी उनके द्वारा लगाए गए झंडे में देश के भिन्न- भिन्न धर्मों की भावनाओं और संस्कृति को समेटने की कोशिश की गई थी । उसमें इस्लाम, हिन्दू, बौद्ध को प्रदर्शित करने के लिए हरा, नीला और लाल रंग इस्तेमाल किया गया था । इसके साथ ही इसके बीच में देवनागरी लिपि में ‘वंदे मातरम’ लिखा हुआ था ।

भारत में मिला बहुत सम्मान

भीकाजी के मान सम्मान में भारत में कई स्थानों और गलियों का नाम उनके नाम पर रखा गया । 26 जनवरी 1962 में भारतीय डाक ने उनके समर्पण और योगदान के लिए उनके नाम का डाक टिकट जारी किया था । भारतीय तटरक्षक सेना में जहाजों का नाम भी उनके नाम पर रखा गया था ।