प्राची द्वारा लिखित, 20 साल की छात्रा

भारत को 14 कलाकृतियाँ (आर्ट्वर्क) लौटाने का अहम फैसला आस्ट्रेलिया ने लिया है। अब आपको लगेगा आस्ट्रेलिया भारत को क्यों लौटा रहा हैऔर भारत की कलाकृतियाँ आस्ट्रेलिया कैसें पहुँची?

आइए जानते हैं विस्तार से।

कैसे कलाकृतियाँ पहुँची आस्ट्रेलिया?

सन् 1989 से 2009 के बीच ये सारी कलाकृतियाँ जिनमें पीतल व पत्थर की मूर्तियों के अलावा पेंटिंग व कुछ तस्वीरें शामिल हैं।इनमें से ज्यादातर कलाकृतियाँ 11वीं और 12वीं शताब्दी की चोल वंश की मूर्तियाँ हैं।ये सारी कलाकृतियों को चोरी या फिर तस्करी के ज़रिए,भारत से लेजाया गया और फिर द नेशनल गैलरी ऑफ आस्ट्रेलिया को इन्हें बेचा गया।

किसने इन कलाकृतियों को बेचा या इनकी चोरी की?

आपको यह जानकर बहुत हैरानी होगी कि इन मूर्तियों को चुराकर बेचने वाला और कोई नहीं बल्कि एक भारतीय है,जिसका नाम सुभाष कपूर है। सुभाष कपूर अमेरिका में रहते थे। उनकेवहाँ के शहर मैनहैट्न में एक आर्ट गैलरी थी,जिसका नाम Art of the Past था।करीबन 30 सालों तक सुभाष कपूर ने निजी व्यक्तियों और बहुत सारे देशों के नेशनल म्यूजियम को भारत,पकिस्तान,अफगानिस्तान,बंग्लादेश और श्रीलंका आदि दशों में से चोरी करके अमेरिका,आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसे देशों को बेचा है।

कैसे पकड़ा गया सुभाष कपूर?

सुभाष कपूर पर अमेरिका की FBI को शक हो गया थाऔर उन्होंने ‘Operation Hidden Idol’ चलाया।जिसमें मूर्तियों के तस्कर सुभाष कपूर का नाम सामने आया।इसके बाद 2011में सुभाष कपूर को जर्मनी से गिरफ्तार किया गयाऔर आज के समय सुभाष कपूर भारत में तमिलनाडु की त्रिचरापल्ली सेंट्रल जेल में बन्द है।

इससे पहले भी आस्ट्रेलिया भारत को कई मूर्तियाँ लौटा चुका है,जो सुभाष कपूर ने बेची थी।

14 कलाकृतियाँ जो लौटाई जा रही है,उनकी लगभग कीमत 3 मिलियन डॉलर है।ऐसे कई सारे आर्ट्वर्क भारत में धीरे-धीरे वापस दिए जा रहे हैं,जिन्हें सुभाष कपूर या फिर किसी और के द्वारा चोरी करके विदेश ले जाया गया था।

ये कलाकृतियाँ भारत की धरोहर हैं और हमारे गौरव इतिहास की साक्ष्य हैं।हमें इन्हें सुरक्षित रखना होगा।

क्या आप भी नन्ही खबर के लिए लिखना चाहते हैं?
संपर्क करें nanhikhabar@gmail.com पर