श्वेता बंसल द्वारा लिखित

प्रियंका मोहिते एक भारतीय पर्वतारोही है, जिसका जन्म 30 नवंबर 1992 को महाराष्ट्र के सतारा शहर में हुआ था। प्रियंका बचपन से ही शिवाजी महाराज के बारे में जानने को जिज्ञासु रहती थी,  उन्हीं के कारनामों से वह बचपन से ही प्रेरित रही और अपने चाचा के साथ अलग-अलग छोटे-छोटे पर्वत नापती रही। प्रियंका की मानें तो- “मुझे इतिहास बहुत पसंद है, मेरा पसंदीदा किला अजिन्कया (सतारा) है। जैसे-जैसे मेरे ट्रैक मुश्किल होते गए मेरे अंकल ने मुझे व्यवसायिक ट्रैकिंग से जुड़ने की सलाह दी”।

प्रियंका मोहिते के मां-बाप भी बाकी भारतीय मां-बाप की तरह अपनी बेटी को पढ़ते हुए, नौकरी करते हुए और एक दिन शादी करके अपनी गृहस्थी संभालने देखना चाहते थे, पर किस्मत को और बादल जो प्रियंका के गुरु थे उन्हें यह कबूल नहीं था। प्रियंका के जज्बे को देखते हुए बादल ने उन्हें रॉक क्लाइंबिंग सिखाई। प्रियंका के साहस और कभी ना हार मानने वाले जज्बे को  देख बादल ने प्रियंका के माता-पिता से प्रियंका को पर्वतारोही बनाने की सलाह दी।

अपनी 10वीं  व 12वीं की परीक्षाओं को सफलतापूर्वक पूर्ण करने के बाद प्रियंका ने पर्वतारोहण में कोर्स करना उचित समझा। प्रियंका अपने पहले पर्वतारोहण को याद करते हुए बताती है –  “मैंने गंगोत्री में पहली बार बर्फ देखी, जहां हम 17000 फीट की ऊंचाई पर थे। मैं उस माहौल में बहुत सुकून के साथ-साथ बहुत ही उत्साहित महसूस कर रही थी”। बस उस दिन के बाद से एक के बाद एक प्रियंका ने कई पर्वतों पर चढ़ भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया तथा अपने पर्वतारोही होने का सपना भी पूरा किया।

प्रियंका मोहिते केवल 28 वर्ष की है और उसने अब तक कई पर्वतों पर फतेह पाई है:

1) 2013 में माउंट एवरेस्ट (8849 मीटर)- ऐसा करने वाली प्रियंका भारत की तीसरी तथा महाराष्ट्र की पहली महिला थी।

2) 2016 में माउंट मकालु (8485 मीटर) और माउंट किलिमंजारो (5895 मीटर)

3) 2018 में माउंट लहोत्से (8516 मीटर)

4) 2021 में माउंट अन्नपूर्णा (8091 मीटर) – पहली भारतीय महिला जिसने माउंट अन्नपूर्णा को फतह किया। यह पर्वत उत्तर मध्य नेपाल के हिमालय में स्थित है, जिसमें 8000 मीटर से अधिक एक चोटी, 7000 मीटर से अधिक 13 चोटी और 6000 मीटर से अधिक 16 चोटियां शामिल हैं। यह पर्वत फतह करना बहुत ही जटिल माना जाता है पर 16 अप्रैल 2021 को प्रियंका मोहिते ने इस मुश्किल काम को भी अपने ही अनोखे अंदाज में बहुत आसानी से कर दिखा कर भारत को गर्वित किया।

प्रियंका मोहिते बेंगलुरु के एक फार्मास्यूटिकल कंपनी में काम करती है। भरतनाट्यम में प्रशिक्षित प्रियंका अपने खाली समय में – रॉक क्लाइंबिंग तथा पर्वतारोहण पर आधारित फिल्में देखना पसंद करती है। वह अपने खाली समय में से कुछ समय सोशल नेटवर्क पर भी बिताना पसंद करती हैं। प्रियंका की मानें तो-” हर पर्वत फतेह के बाद मेरे कम से कम 1000 अनुयायी (Followers) बढ़ जाते हैं, मैं उम्मीद करती हूं कि मैं उन पर एक सकारात्मक प्रभाव छोड़ पाऊँ।

प्रियंका पर उसके अभिभावकों को भी बहुत गर्व है।  प्रियंका कहती है – “मेरे पेरेंट्स मेरे हर निर्णय में मेरा साथ देते हैं तथा मुझे पहले से बेहतर करने के लिए प्रेरित भी करते हैं”। भारत को न केवल प्रियंका जैसी साहसी लड़कियों की जरूरत है पर प्रियंका के अभिभावक जैसे अभिभावकों की भी जरूरत है – जिनके लिए लड़की बोझ नहीं, गर्व है, मान है, सम्मान है। उसके सपने केवल घर की चारदीवारी तक नहीं – उन मुश्किल पर्वत चोटियों पर पूरे होते हैं जहां जाना सबके बस की बात नहीं।

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