रजनी द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

नेपाल में जारी राजनीतिक संकट के बीच राष्ट्रपति विद्या भंडारी ने 22 मई 2021 को नेपाल की संसद को भंग कर दिया। नेपाल में अब फिर से नीचले सदन के चुनाव होंगे। नेपाल में होने वाले मध्यावधी चुनावों के लिए तारिख भी तय कर दी गई है। नई घोषणा के मुताबिक बताया जा रहा है की नेपाल में चुनाव दो चरणों में होगा। नेपाल में पहले चरण के चुनाव 12 नवंबर और दूसरे चरण के चुनाव 19 नवंबर को होने तय किए गए हैं। राष्ट्रपति हाउस से मिली जानकारी के अनुसार यह बताया जा रहा है की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री के पद के लिए शेर बहादुर देउबा और केपी शर्मा ओली दोनो के ही दावों को खरिज कर दिया है।

नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता 20 दिसंबर 2020 से शुरू हुई थी। उस वक़्त भी राष्ट्रपति विद्या भंडारी ने संसद भंग कर दी थी। इसके साथ ही अप्रैल और मई में चुनाव भी होने का ऐलान कर दिया गया था लेकिन कोर्ट ने फरवरी में दोबारा ओली को प्रधानमंत्री बना दिया।

अनुच्छेद 76(6) के अनुसार लिया गया ये फैसला:

संसद भंग करने का ये फैसला संविधान के अनुच्छेद 76(6) के अनुसार लिया गया है। नेपाल में बीते दिनों भारी राजनीतिक संकट देखने को मिला। नेपाल के विपक्षी दलों और प्रधानमंत्री केपी ओली दोनों ने अपना बहुमत साबित करने की इच्छा राष्ट्रपति के सामने रखी।

केपी शर्मा ओली के अनुसार उनके पास 153 सांसदों का समर्थन था। वहीं दूसरी ओर नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के अनुसार उनके पास 149 सांसदों का समर्थन था। इसके बाद दोनों ही दावेदारों को विश्वास मत न मिलने की घोषणा कर दी गयी क्योंकि नेपाल की इस सभा में कुल 275 सदस्य ही होते हैं।

ओली को करना था 30 दिन में बहुमत साबित:

15 मई 2021 को राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 76(3) के अनुसार ओली को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई थी क्योंकि कोई भी राजनीतिक दल सभा में अपना बहुमत साबित नहीं कर पाया था। एक दिन पहले नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने देश के राजनीतिक दलों को नई सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए कहा था। नेपाल के संविधान के अनुसार अनुच्छेद 76(3) में लिखा है कि जिसको भी प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किया जाएगा, उसे अगले 30 दिनों में संसद में विश्वास मत हासिल करना होगा।

नेपाल के विपक्षी दलों ने प्रधानमन्त्री ओली को उनके पद से हटाने के लिए और मौजूदा राजनीतिक स्थिति को थोड़ा हल करने के लिए आगे की रणनीति बनाने के लिए शुक्रवार को बैठक की थी।

पड़ोसी देशों पर भी हुआ नेपाल के राजनीतिक संकट का असर:

संसद भंग होने के बाद नेपाल में राजनीतिक संकट का वातावरण है। कम्युनिस्ट पार्टी में संघर्ष जारी है। नेपाल के राजकीय संकट का प्रभाव उसके पड़ोसी देशों पर भी हुआ है। नेपाल में विदेशी मामलों के विशेषज्ञ का कहना है कि कम्युनिस्ट पार्टी में संघर्ष चीन के लिए बहुत समस्या की बात है। उन्होने कहा कि नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी के सत्ता में आने के बाद से ही नेपाल या भारत के बीच संघर्ष को हवा मिलनी शुरू हुई थी। उनका कहना है कि अगर नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी कमजोर होती है तो नेपाल के भारत के साथ संबंध फिर से बेहतर होने की उम्मीद है।

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