रजनी द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

जापान के वैज्ञानिकों ने 8023 मीटर समुंदरी गहराई को छूने का नया रिकॉर्ड बनाते हुए समुंदर में दुर्लभ खनिजों (Rare Minerals) की खोज की है। ये सफलता जापानी शोध जहाज़ (Research ship) काइमी ने हासिल की है। ये शोध जहाज़ पहले से ही बड़े भुकम्प आने की वजहों की पड़ताल कर रहा है।

जापान के सामने पहली सबसे बड़ी चुनौती 6 हजार किमी. की गहराई में मिले दुर्लभ खनिजों को बाहर निकालना है।

क्या होते हैं खनिज?

खनिज शब्द दो शब्दों से मिल कर बना हुआ है- खनि + ज अर्थात् खादान  से उत्पन्न। इसे अंग्रेजी में मिनरल कहा जाता है। खनिज वो प्राकृतिक पदार्थ हैं जो खादान (Mines)  से खोद कर निकाले जाते हैं। लोहा, अभ्रक, कोयला, बॉक्साइट (जिससे अलुमिनियम बनता है), नमक आदि कुछ उपयोगी खनिज पदार्थों के नाम हैं।

खनिज के प्रकार:

मुख्य रूप से ख़निज तीन प्रकार के होते हैं-

▪धात्विक खनिज (Mettalic Minerals): धात्विक खनिजों में धातु कच्चे रुप में होती है, शुद्ध करने के बाद धातु प्राप्त होती है, उसे धात्विक खनिज कहते हैं। ये खनिज काफ़ी कठोर होते हैं, जैसे – लौह अयस्क (Iron ore), निकल इत्यादि।

▪अधात्विक खनिज (Non – Mettalic Minerals): अधात्विक खनिजों में धातु नहीं होती है, शुद्ध करने के बाद अधातु (non- metal) प्राप्त होती है, उसे अधात्विक खनिज कहते हैं- जेसे कोयला,चूना पत्थर इत्यादि।

▪ऊर्जा खनिज (Energy  Minerals): जिन खनिज पदार्थों से ऊर्जा मिलती हैं, वो ऊर्जा खनिज कहलाते हैं जेसे, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस इत्यादि।

कहां पाए जाते हैं खनिज?

आम तौर पर ख़निज अयस्कों में पाए जाते हैं। अयस्क वह खनिज है जिनसे सुविधा और लाभ के लिए धातु निकाली जाती है। मुख्य तौर पर खनिज शैल (Shell) समुहों में पाए जाते हैं।

1. आगनेय और  कायंत्रीत चट्टानों (Ignious and Metamorphic) में खनिज जोड़ और दरार में मिलते हैं।

2. कई खनिज अवसादी चट्टानों (Sedimentary) की परतों में पाए जाते हैं।

3. महासागर (Ocean) के जल में भी विशाल मात्रा में खनिज पाए जाते हैं।

गहरे समुद्र में खनिज:

हमारी धरती का  71 प्रतिशत भाग पानी (महासागर) से घिरा हुआ है। महासागर संसाधन (Resource) का भंडार हैं। समुद्र के भीतर छोटी छोटी सुरंगों में इंसान के काम की बहुत सी चीजें छुपी हुई हैं। बहुत से देशों ने समुंदर से खनिज निकालने के काम में दिलचस्पी दिखाई है। ऐसे में जापान के ओकिनावा के समुंदर की गहराई में ज़िंक की भारी मात्रा होने की संभावना जताई जा रही है। माना जा रहा है की समुंद्र की गहराई में इतनी भारी मात्रा में ज़िंक है जो जापान की साल भर की जरुरत को पूरा कर सकता है।

दुर्लभ खनिजों में दुनिया का नेतृत्व करेगा जापान:

जापान अपने दुर्लभ खनिजों के भंडार को बढ़ाने के लिए तेजी से आगे बढ़ रहा है। जापान के शोधकर्ताओं ने 8023 मीटर समुंदरी गहराई को छूने का नया रिकॉर्ड बनाते हुए समुंदर में दुर्लभ खनिजों की खोज की है। ऐसा माना जा रहा है कि ये दुर्लभ खनिज रक्षा, टेक्नालॉजी, और परमाणु क्षेत्र (Nuclear fields) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

समुद्र में खुदाई करते समय खतरे:

परेशानी की बात ये है कि अभी तक ऐसी तकनीक का विकास नहीं हुआ है, जिससे आसानी से समुंद्र की गहराई से खनिज को निकाला जा सके। इसके अलावा भी समुद्र में खुदाई के बहुत से खतरे हैं। सबसे ज्यादा चिंताजनक खतरा तो समुंदरी जीवन के खतम होने का है। समुंदर के जिस भाग में ये खनिज मौजूद हैं, वहां धरती की टेक्टोनिक प्लेट की गरमी के कारण से पानी खनिज की मौजूदगी वाले सुराखों में से निकलता है। इन सुराखों में अनगिनत छोटे जीवन के होने की भी संभावना है।

विभिन्न तकनीकों का उपयोग:

कुछ जानकारों का कहना है कि समुंदर की गहराई से खनिजों को बाहर निकालना बिलकुल भी आसान काम नहीं है। समुंदर की गहराई का वातावरण बहुत चुनौतीपूर्ण होता है। इन सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए नई तकनीक का विकास किया जा रहा है। ऐसी में कुछ कंपनियां समुंदर की गहराई को अच्छे से समझने के लिए इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरीकों का भी उपयोग कर रही है।

इन सभी बातों के साथ ही पर्यावरण की सुरक्षा पर भी पूरा ध्यान दिया जाएगा। खनिजों को बाहर  निकालते समय ये भी जरुरी होगा कि किसी भी समुंदरी जीव को किसी तरह की कोई हानि ना हो।

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