अनु द्वारा लिखित, 22 साल की छात्रा

बढ़ते प्रदूषण के प्रभाव के कारण अब हमे ग्लोबल वार्मिंग में भी बदलाव दिखने लगा है। यह प्रदूषण सभी विकसित देशों की देन है जो कि विकासशील देशों पर अब भारी पड़ने लगा है। दिसंबर 2015 में 195 देश साथ आए और जलवायु के ऊपर समझौते पर हस्ताक्षर किए।

पेरिस जलवायु समझौते को पहला पूर्ण कानूनी रूप से अपनाया हुआ समझौता माना जाता है जिसमें इतने सारे देशों ने साथ में आकर इसके विरुद्ध लड़ाई की साझा ज़िम्मेदारी ली। अंतराष्ट्रीय स्तर पर यह ग्लोबल वार्मिंग के प्रति पहली बार बड़ी साझा कोशिश है। पेरिस समझौते के अंतर्गत सभी सहभागी देश प्रतिबद्ध होंगे, ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन हेतु एवं ग्लोबल वार्मिंग कम करने हेतु।

समझौते के अंतर्गत सभी 195 देशों को ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन के लिए अलग अलग टार्गेट दिया गया है जिसे हर पाँच साल में देखा जाएगा। बड़े देशों की यह पूर्ण ज़िम्मेदारी रहेगी कि वे छोटे देशों की पूर्णरूप से मदद करेंगे। पूर्ण रूप से यह समझौता 4 नवम्बर 2016 से इम्प्लीमेंट किया गया। 2017 में विश्व के लिए एक आश्चर्यजनक सूचना सामने आई जिसमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि अमेरिका इस समझौते से पीछे हट रहा है “उनका यह कहना था कि यह बहुत ही भेदभावपूर्ण रवैया है जहां पर भारत एवं चीन जैसे देश कोयलें एवं पेट्रोल का बराबर प्रयोग कर रहे हैं जबकि अमेरिका जैसा देश नहीं कर रहा”। पूर्ण रूप से ट्रम्प का यह फैसला 4 नवंबर 2020 से प्रसार में आने वाला था। पर 2021 में नवनिर्वाचित सदस्यों का यह फैसला रहा कि अमेरिका इस समझौते से पीछे नहीं हटेगा अपितु इसका पालन करेगा।

नवनिर्वाचित अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडेन का यह फैसला रहा कि अमेरिका इस समझौते का एक हिस्सा ज़रूर रहेगा। जलवायु परिवर्तन को लेकर बाइडेन का यह फैसला है कि एक ऐसा निश्चय किया जाएगा जिसमें 2050 तक की समयसीमा रखी जाएगी। ग्रीन हाउस उत्सर्जन को लेकर जो बाइडेन की अमेरिका को दोबारा एक ग्लोबल लीडर बनने में पूर्णरूप से मदद देगा।

बाइडेन एक पाइपलाइन पहले ही बंद करा चुके हैं जो कि कनाडा से अमेरिका के बीच कच्चे तेल की आपूर्ति के लिए स्थापित थी। इस पाइपलाइन के विरुद्ध पहले ही बहुत विरोध हो रहा था लोगों के बीच क्योंकि करीब 830,000 बैरल कच्चा तेल इस पाइपलाइन से होकर गुज़रता है जो कि बाकी तेल के मुक़ाबले कुछ ज़्यादा ही महंगा था। बाइडेन के नवनिर्वाचित होने पर पर्यावरण के प्रति अनेक फैसलों ने लोगों के बीच पर्यावरण को लेकर एक नई आशा जगाई है।

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