अभिषेक झा द्वारा लिखित, कक्षा 12 का छात्र

जूलियन असांजे विकीलीक्स (Wikileaks) के ‘संस्थापक’ व ‘जनक’ हैं। उनका पूरा नाम ‘जूलियन पॉल असांजे’ है। उनका जन्म 3 जुलाई, 1971 को ऑस्ट्रेलिया में हुआ था। विकिलीक्स पर काम करने से पहले जूलियन असांजे न केवल एक बेहतरीन कंप्यूटर प्रोग्रामर थे बल्कि एक मशहूर हैकर भी थे। उन्होंने अपनी पढ़ाई ऑस्ट्रेलिया के ‘क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी’ और ‘मेलबॉर्न यूनिवर्सिटी से पूरी की। सबसे अहम बात तो यह है कि जब वह यूनिवर्सिटी में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे थे, तब ही उन्होंने हैकिंग की दुनिया में अपना कदम रख दिया था। 4 अक्टूबर, 2006 को उन्होंने आइसलैंड में ‘विकीलीक्स’ की स्थापना की। आप सोच रहे होंगे कि आखिर विकीलीक्स’ क्या है?

विकीलीक्स एक वेबसाइट का नाम है जिस पर खुफिया दस्तावेजों को गोपनीय रूप से प्रकाशित किया जाता है। इसी वेबसाइट पर जूलियन असांजे ने कई ऐसे खुफिया दस्तावेजों को प्रकाशित किया था, जिसने पूरे दुनियाभर में तहलका मचाकर रख दिया। यह ऐसे दस्तावेज थे, जिनका उनके पास साक्ष्य प्रमाण मौजूद था। जिसे सरकार व सेना अक्सर अपने नागरिकों से छुपा कर रखती है। जिसमें खासतौर पर 12 जुलाई, 2012 को अमेरिकी सेना की ओर से की गई बगदाद एयर स्ट्राइक से संबंधित अहम दस्तावेज मौजूद थे। जिसे जूलियन असांजे ने प्रकाशित कर दुनिया भर में तहलका मचा दिया। खासकर इस दस्तावेज में यह दावा किया गया था कि अभी तक बगदाद में जितने भी हवाई हमले किए गए हैं, वह पहले से ही प्लांड थे। केवल इतना ही नहीं, दस्तावेज में अमेरिकी सेना के कई और रहस्यों के ऊपर से पर्दा उठाया गया ताकि उनकी सच्चाई सबके सामने आ सके। यह सभी दस्तावेज जूलियन असांजे को चेल्सिया मैनिंग ने उपलब्ध कराए थे जो खुद कभी अमेरिकी सेना में कार्यरत थी। परंतु पता लगने के बाद चेल्सिया को यूएस आर्मी ने गिरफ्तार कर लिया और उसको देशद्रोह के आरोप में जेल भेज दिया गया। इसके साथ ही जूलियन असांजे के ऊपर भी कई आरोप लगाए गए। हालांकि उनकी वेबसाइट (Wikileaks) का खुफिया जानकारियों को प्रकाशित करने का काम चलता रहा। जूलियन असांजे के इस काम को लेकर काफी सारे देश उनसे नाराज थे, क्योंकि वह जितने भी दस्तावेजों को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करते थे, उनका उनके पास साक्ष्य प्रमाण मौजूद था। आपको जानकर बेहद हैरानी होगी कि उनके इस काम को बंद करने के लिए कई बार कोशिशें भी की गईं। साल 2010 में मास्टर कार्ड, बैंक ऑफ अमेरिका, VISA, वेस्टर्न यूनियन ने उनकी फंडिंग रोकने का फैसला किया जिससे उनके 95% फंडिंग रुक गई। इतना ही नहीं उनके इंटरनेट कनेक्शन को भी कट करने की कोशिश की गई। ताकि अनका खुफिया जानकारी को प्रकाशित करना बंद हो जाए। परंतु उन्होंने हार नहीं मानी और अपना काम जारी रखा।

जूलियन असांजे को उनकी निडरता व काम के लिए कई बार पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया|

  • पहली बार जूलियन असांजे को उनकी निडरता व सच्चाई को सबके सामने लाने के लिए टाइम मैगजीन ने उन्हें पर्सन ऑफ द ईयर’ के खिताब से नवाजा।
  • साल 2008 में उनको द इकोनॉमिस्ट फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन अवार्ड से नवाजा गया।
  • और फिर साल 2009 में उन्हें एमनेस्टी इंटरनेशनल ब्रिटेन मीडिया पुरस्कार से नवाजा गया।
  • इतना ही नहीं साल 2010 में उनको सैम एडम्स पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया।

जूलियन असांजे की मुसीबतें तब बढ़ी जब साल 2012 में उनके ऊपर स्वीडन की दो महिलाओं ने रेप व यौन शोषण का आरोप लगाया। जिसके बाद स्वीडन में उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी कर दिया गया। जिसके बाद से जूलियन असांजे सवालों के घेरे में आ गए। इतना ही नहीं अंतराष्ट्रीय लोक अभियोजन अधिकारी ने भी उनके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस’ जारी कर दिया। जिससे उनकी मुसीबतें और बढ़ गईं। इन सभी मामलों व ब्रिटेन द्वारा स्वीडन को प्रत्यपर्ण (Extradition/सौंपे जाने) किए जाने के डर से उन्होंने इक्वाडोर के दूतावास से मदद मांगी और तब से ही वह लंदन में शरणार्थी के तौर पर रह रहे थे। एक बार फिर साल 2016 में उनके ऊपर यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूसी हैकर्स की मदद से क्लिंटन व डेमोक्रेटिक पार्टी के कंप्यूटरों से दस्तावेज चुराए हैं जिससे वह और भी शक के घेरे में आ गए। जूलियन असांजे करीब 7 सालों से (साल 2012 से साल 2019 तक) लंदन के इक्वाडोर के दूतावास में रह रहे थे। परंतु जब साल 2019 में इक्वाडोर की सरकार बदली तो उन्होंने जूलियन असांजे के साथ हुए समझौते को तोड़ दिया यानी इक्वाडोर की सरकार ने उनसे (जूलियन असांजे से) अपनी नागरिकता को वापस ले लिया। जैसे कि हमने जाना कि वह करीब 7 सालों से लंदन के इक्वाडोर दूतावास में ऑस्ट्रेलियाई नागरिकता के तौर पर रह रहे थे, जिस कारण से लंदन पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर पा रही थी। परंतु जब इक्वाडोर ने अपनी नागरिकता वापस ले ली, तब उन्हें लंदन के इक्वाडोर दूतावास से गिरफ्तार कर लिया गया।

हाल ही में जूलियन असांजे के रिहाई के लिए कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसे ब्रिटिश अदालत ने सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने (ब्रिटिश अदालत के जज वेनेसा बराइटर) अपने बयान में कहा कि अगर असांजे को रिहा कर दिया गया तो उसके भागने का खतरा हो सकता है, ना केवल वह खुदकुशी कर सकता है बल्कि उसकी मानसिक स्थिति को देखते हुए ऐसा करना दमनकारी भी होगा। इसीलिए उन्होंने इन सभी बातों को मद्देनजर रखते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया। इसी अदालत ने विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे’ को अमेरिका प्रत्यर्पित किए जाने का अनुरोध भी ठुकरा दिया था। जैसा कि हमने देखा कि उन्होंने अपनी वेबसाइट पर काफी सारे खुफिया दस्तावेजों को प्रमाण सहित प्रकाशित किया था, जिसमें अमेरिका से जुड़े खास दस्तावेज मौजूद थे जिसने पूरी दुनिया में तहलका मचाकर रख दिया था। इन्हीं दस्तावेजों के प्रकाशन के आरोप में अमेरिकी अभियोजकों (US Prosecutors) ने विकिलीक्स के संस्थापक ‘जूलियन असांजे’ पर जासूसी से संबंधित 17 आरोप लगाएं हैं, जबकि उसमें से एक आरोप कंप्यूटर के दुरुपयोग से संबंधित है। यदि उन पर लगाए गए सभी आरोपों की पुष्टि (साबित) हो जाती है, तो उनको अधिकतम 175 वर्षों के लिए जेल की सजा हो जाएगी|

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