आयुषी साहा द्वारा लिखित, 18 साल की छात्रा

जो भरा नहीं है भावों से बहती,जिसमें रसधार नहीं ।
हृदय नहीं वह पत्थर है ,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं ।।
मैथिलीशरण गुप्त

इस वर्ष आजादी के अमृत महोत्सव पर प्रत्येक भारतवासी 73वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है जो कि एक ‘ राष्ट्रीय पर्व’ भी कहलाता है। इस दिन नई दिल्ली एक ‘मुख्य स्थल’ के रूप में जानी जाती है। पूरा भारत देश गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम बड़े ही उत्साह पूर्ण देखता है और अपने भारत के विभिन्न इतिहास को जानता और समझता है। गणतंत्र दिवस के दिन आयोजित परेड प्रत्येक भारतवासी के लिए आकर्षणीय होती है। इसी उमंग, जोश और उत्साह के साथ हम सभी यह राष्ट्रीय पर्व मनाने है। 

इस अवसर के महत्व को चिह्नित करने के लिए हर साल राजपथ पर एक भव्य परेड इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक राजधानी नई दिल्ली में आयोजित की जाती है। इस भव्य परेड में भारतीय सेना के विभिन्न रेजिमेंट, वायु सेना, नौसेना आदि सभी भाग लेते हैं। राज्यों की झांकियों का भी प्रदर्शन काफी दर्शनीय होता है। इन झांकियों का चयन काफी मुख्य रूप से किया जाता है।

आज का लेख इसी से संबंधित है जहां पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को परेड में झांकियों के चयन को लेकर पत्र लिखकर कहा कि वह गंभीर रूप से स्तब्ध हैं क्योंकि गणतंत्र दिवस परेड के लिए पश्चिम बंगाल की झांकी को बिना कोई कारण या औचित्य बताए खारिज कर दिया गया है। उन्होंने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि झांकी-  नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनके आई एन ए के 125 ए जयंती वर्ष पर उनके योगदान की स्मृति में लगाई गई थी। 

अब इस विषय पर अपनी राय को निष्पक्ष बनाना बहुत जरूरी है कि आखिर झांकियों का चयन कैसे होता है।

झांकियों का चयन

हर वर्ष सितंबर के आसपास रक्षा मंत्रालय गणतंत्र दिवस परेड और समारोह की आयोजन करते हैं। सभी राज्य, केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्र सरकार के विभागों और कुछ संवैधानिक अधिकारियों को झांकी के माध्यम से परेड में भाग लेने के लिए आमंत्रित करता है। रक्षा मंत्रालय सभी राज्यों के अपने सचिवों और चुनाव आयोग और नीति आयोग को पत्र लिखकर भाग लेने के लिए आमंत्रित करता है। पत्र में उल्लेख किया जाता है कि गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए झांकी प्रस्तावों को आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। सितंबर के अंत तक प्रस्तावों को जमा किया जाता है फिर उसकी शॉर्टलिस्टिंग अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में शुरू की जाती है।

झांकियों का महत्व:

प्रतिभागियों को इस वर्ष “स्वतंत्रता के लगभग 75 वर्ष ” थीम दी गई थी। रक्षा मंत्रालय द्वारा कुछ निर्धारित निर्देशों का पालन करना आवश्यक है । जैसे

  •  झांकियों में कोई भी निर्वाचन प्रतीक नहीं होना चाहिए 
  • झांकियों में आगे की ओर हिंदी भाषा में ,पीछे अंग्रेजी, और किनारों पर क्षेत्रीय भाषा में लिखा जाना चाहिए। 
  • भाग लेने वाली झांकियों में युवा डिजाइनरों का भी सहयोग होना चाहिए, रोबोटिक्स या मेट्रो टॉनिक का उपयोग करने वाले तत्वों को स्थानांतरित करना चाहिए।
  • दो प्रदेशों की झांकियां एक जैसी नहीं होनी चाहिए क्योंकि सभी झांकियां मिलकर देश की विविधता को प्रदर्शित करती है। इसके माध्यम से प्रत्येक भारतीय के हृदय में एकता और गर्व की भावना उत्पन्न होती है।
  • रक्षा मंत्रालय के अनुसार प्रतिभागियों को झांकी के लिए पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का उपयोग करने को कहा जाता है और प्लास्टिक या प्लास्टिक आधारित उत्पादों के उपयोग से बचने के लिए भी कहा जाता है।

अब आखिर में इसका निष्कर्ष निकालते हुए रक्षा मंत्रालय की ओर से आश्वासन दिया गया कि सुभाष चंद्र बोस का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान प्रत्येक भारतीय के लिए “अविश्वसनीय” है। इस भावना को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने 23 जनवरी को नेता जी के जन्म दिवस को “प्रक्रम दिवस” के रूप में घोषित किया है। उन्होंने यह भी लिखा है कि इस वर्ष सीपीडब्ल्यूडी की झांकी उन्हें श्रद्धांजलि दे रही है। गणतंत्र दिवस परेड में झांकियों के लिए चयन प्रक्रिया बहुत पारदर्शी है । राजनाथ सिंह ने बनर्जी को आश्वासन दिया। 

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