प्राची द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

प्रति सैकैण्ड लगभग 100 ट्रिलियन से अधिक न्यूट्रिनो की लहर हमारे शरीर से होकर गुजरती है। परन्तु हमें इसका एहसास नही होता है।

कुछ दिनों पहले केन्द्रीय राज्य मंत्री डॉ.जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में एक लिखित जबाव में यह जानकारी दी कि केन्द्र सरकार भारत में न्यूट्रिनो वेधशाला स्थापित करने की योजना बना रही है।

भारत-स्थित न्यूट्रिनो वेधशाला (INO) परियोजना:

केन्द्र सरकार तमिलनाडु के थेनी जिले में न्यूट्रिनो वेधशाला की स्थापना करेगी। यह एक भूमिगत गुफ़ा रुपी (Underground Rock Cover) वेधशाला होगी। इस वेधशाला का आकार 132 मीटर ×26 मीटर ×20 मीटर होगा। वेधशाला में जाने के लिए वेधशाला को एक 2100 मीटर लंबी और 7.5 मीटर चौड़ी सुरंग से जोड़ा जाएगा। INO द्वारा न्यूट्रिनो के बारे में जानने के लिए एक चुम्बकीय लौह केलोरिमीटर डिटेक्टर (ICAL) का निर्माण किया जाएगा। इस डिटेक्टर के अंदर 5000 टन मैग्नेटाइज्ड आयरन प्लेटें होगीं जो किसी भी राष्ट्र द्वारा बनाया गया अब तक का सबसे भारी ICAL है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि इससे वैज्ञानिकों को न्यूट्रिनो कणों की प्रकृति और विभिन्न लक्षणों की जानकारी प्राप्त हो सके। न्यूट्रिनो कणों की प्राप्ति का मुख्य स्रोत पृथ्वी का वायुमंडल और सूरज  है।

इस परियोजना का संयोजन मुख्य रुप से भारत सरकार के अंतर्गत परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) और प्रोद्यौगिकी विभाग (DST) द्वारा, इस परियोजना को संचालित  किया जाएगा।

इस परियोजना का मुख्य बिंदु वायुमंडल में न्यूट्रिनो के ऊर्जा और आंचलिक कोण (Zenith Angle) निर्भरता को देखते हुए पृथ्वी के पदार्थ प्रभाव का अध्ध्यन करना है।

न्यूट्रिनो क्या है?

1930 में स्विस वैज्ञानिक वोल्फ्गैंग पाउली ने न्यूट्रिनो की खोज की थी, न्यूट्रिनो इलेक्ट्रॉन की तरह छोटे प्राथमिक कण होते हैं, परन्तु एटम का हिस्सा नहीं होते हैं। इनको छोटे टुकड़ों में नही तोड़ा जा सकता है।

न्यूट्रिनो के तीन प्रकार होते हैं – 1.) इलेक्ट्रान न्यूट्रिनो 2.) म्यूआन न्यूट्रिनो 3.) टाऊ न्यूट्रिनो। न्यूट्रिनो के कण किसी भी प्रकार के तत्व के साथ प्रतिक्रिया नहीं करते हैं। हर एक न्यूट्रिनो का एक एंटी-न्यूट्रिनो भी होता है।

वैज्ञानिकों के अनुसार न्यूट्रिनो की प्राप्ति ब्रह्मांड में होने वाली घटनाओं जैसें – बड़े आकार के तारों के टूटने से उत्पन्न गामा किरणें, ब्लैक होल, रेडियोएक्टिव पदार्थों के नष्ट होने से भी न्यूट्रिनो की प्राप्ति होती है।

न्यट्रिनो वेधशाला के निर्माण से लाभ:

 1. पृथ्वी से आर-पार हो जाने वाली न्यूट्रिनो की एक किरण की प्रकृति का अध्ध्यन करने पर, पृथ्वी के नीचे उपस्तिथ खनिज व तेल के भंडारों की खोज करने में मदद मिलेगी।

2. न्यूट्रिनो हर प्रकार की वस्तुओं से होकर गुजरते हैं। इनका उपयोग कर हम डाटा संचार की प्रक्रिया में तेजी ला सकतें हैं।

3. डार्क मैटर से विघटित पदार्थों को न्यूट्रिनो की सहायता से पता लगाया जा सकता है। वर्तमान में इसके लिए X- ray, MRI Scan का प्रयोग किया जाता है।

4. आकाशीय निकाय के आन्तरिक संयोजन को समझने के लिए X-ray की जगह पर हम न्यूट्रिनो बीम का प्रयोग कर सकते हैं।

लोग क्यों कर रहे हैं,न्यूट्रिनो वेधशाला के निर्माण का विरोध:

तमिलनाडु के थेनी जिले के पोट्टीपुरम पंचायत के लोगों ने INO की इस परियोजना के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया। ग्रामीणों का मानना है कि इस परियोजना से उनकी लगभग 300 एकड़ कृषि योग्य भूमि से उनको अलग कर दिया जाएगा। यह परियोजना किसानों, खेतिहर मजदूरों और अन्य संबंधित लोगों को प्रभावित करेगी। थेनी जिले के लोगों का यह मानना है कि इस परियोजना को लागू करने से पश्चिमीघाट और पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा।

भारत में स्तिथ न्यूट्रिनो ऑब्ज्वेर्टरी (INO) बहु-संस्थाओं का सहयोग है। यह हिन्दुस्तान की अब तक की सबसे बड़ी और महंगी वैज्ञानिक परियोजना है। भारत में लगभग 21 वेधशाला विभिन्न राज्यों में स्थित है।

इस परियोजना से भारत विज्ञान में एक और कदम आगे बढ़ाएगा। यह परियोजना भारत को एक उज्जवल भविष्य देने में सहायक होगी।

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