प्रिया द्वारा लिखित, कक्षा 10 की छात्रा

भारत की पहली महिला हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ पद्मावती का निधन कोरोना वाइरस संक्रमण की वजह से 29 अगस्त, 2020 को हो गया । उनकी उम्र 103 साल की थी ।

डॉक्टर पद्मावती का व्यवसाय

पद्मावती एमबीबीएस तो हो गई थी लेकिन वह इससे संतुष्ट नहीं थी । इसलिए वह आगे की पढ़ाई के लिए 1949 में एडिनबर्ग, लंदन चली गईं । वहाँ से उन्होंने एफ़आरसीपी की डिग्री हासिल की । साथ ही वहाँ के नेशनल हार्ट हॉस्पिटल में काम भी किया । यहीं से उनके मन में दिल के रोगों के प्रति दिलचस्पी और बढ़ गई ।

उसके बाद कार्डियोलॉजी में और भी कुशलता प्राप्त करने के लिए उन्होने अमेरिका के जॉन्स हॉपकिन्स और हावर्ड में फैलोशिप के लिए निवेदन किया । इसके बाद वे 1952 में अमेरिका चली गईं। वहाँ उन्हें उस समय के विश्व विख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ पाल हुडले के साथ काम करने का मौका मिला ।

भारत की प्रथम महिला हृदय रोग विशेषज्ञ बनकर जब वह दिल्ली पहुँची तो उनके नाम की चर्चा धीरे-धीरे सभी ओर होने लगी थी ।

भारत में किसने उनकी प्रतिभा को पहचाना?

पद्मावती से मिलने पर अमृत कौर काफी प्रभावित हुईं और उन्होने पद्मावती को शुरू में दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में लेक्चरर बनने का प्रस्ताव दे डाला । यहीं उन्होंने उत्तर भारत की पहली कार्डियोलॉजी लैब खोली ।  इसके बाद उन्होनें कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा । जल्द ही वह इसी मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर बन गईं ।

सन् 1954 में उन्होंने एक कार्डियोलॉजी क्लीनिक की शुरुआत की । यह अस्पताल औरतों के लिए था लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और प्रयासों से पुरुषों के लिये भी अच्छी व्यवस्था करवाई।

अस्पताल बनाने के प्रयास

पहले उन्होने ‘ऑल इंडिया हार्ट फाउंडेशन’ की स्थापना की । उसके बाद अस्पताल बनाने की योजना पर काम किया । डॉ अनंत दवे देश के एक जाने माने हृदय रोग विशेषज्ञ और नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट के निदेशक रहे हैं । वे अस्पताल की स्थापना के समय से ही पद्मावती के साथ जुड़े रहे हैं। वे भी पद्मावती को अपना गुरु मानते हैं । उन्होंने बताया कि डॉ पद्मावती ने अस्पताल बनाने के लिये 25 लाख का कर्ज़ लिया था।

निजी जीवन और सम्मान

डॉ पद्मावती ने अपना पूरा जीवन सेवा में ही बिताया। उन्होने शादी भी नहीं की । नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट की स्थापना के बाद से डॉ पद्मावती बहुत खुश रहती थी। इसका कारण यह था कि उनका बड़ा सपना पूरा होने के साथ अच्छी दिशा की और विकासशील हो चुका था ।

डॉ पद्मावती को उनकी अति विशिष्ट सेवायों के लिए काफी सम्मान मिला । उन्हें 1967 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया । इसके बाद 1975 में उन्हें डॉ बीसी रॉय जैसा प्रतिष्ठित सम्मान मिला जिसे पाने की इच्छा बड़े बड़े चिकित्सक रखते हैं । फिर 1992 में उन्हे पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया।

तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी पद्मावती को इतना पसंद करती थीं कि इसकी मिसाल इस बात से भी मिल सकती है कि उनके इस अस्पताल का उदघाटन इन्दिरा गांधी ने ही किया था ।     

कार्डियोलॉजी में उनके इतने सारे योगदान की वजह से उन्हे ‘गॉडमदर ऑफ कार्डियोलॉजी’ भी कहा जाता है । 95 वर्ष की उम्र तक वह नियमित रूप से स्वीमिंग भी करती थीं जिसकी वजह से काफी फिट थीं । उनका जीवन हम सभी के लिए एक प्रेरणा है ।