अनू द्वारा लिखित, 22 साल की छात्रा

दुनिया की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट पर स्थित है। माउंट एवरेस्ट दुनिया का सबसे बड़ा पर्वत है। यह पर्वत तीनों देशों से लगते हैं – भारत, चीन और नेपाल। तीनों देशों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे भारत व पूरे विश्व में इसे एवरेस्ट नाम से जाना जाता है तथा नेपाल में कंचनजंघा से। हाल ही के दिनों में यह खबर आई है कि माउंट एवरेस्ट की लंबाई 86 सेंटीमीटर और बढ़ गई है। इसकी लंबाई को आखिरी बार 1954 में नापा गया था। उसके बाद से जब नापा गया तो यह पाया कि इसकी पुरानी ऊँचाई से 86 सेंटीमीटर और बढ़ गया है।

1954 में इसकी ऊँचाई को भारतीय एजेंसी ‘सर्वे ऑफ इंडिया’ द्वारा नापा गया था जिसमें इसकी ऊँचाई 8,848 मीटर थी इसमें एजेंसी द्वारा पर्वत पर जमी बर्फ को भी नापा गया था। इस आंकड़े को भारत सहित विश्व के कई देशों व एजेंसियों ने माना सिवाए चीन के। चीन की कभी भी माउंट एवरेस्ट पर भारत से सहमति नहीं बनी और इसलिए शायद चीन ने 2005 में अपनी एक अलग टीम भेजी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई नापने के लिए, जिसका अनुमान भारतीय अनुमान से बहुत अलग था। पर इसमें पर्वत पर जमी बर्फ को नापा नही गया था। 2020 में नेपाल ने भी अपनी एक अलग टीम भेजी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई नापने जो कि अलग आंकड़े के साथ सामने आई और अनुमान लगाया कि भारतीय अनुमान से कहीं ज़्यादा माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई बढ़ चुकी है। दरअसल चीन और नेपाल के इस कदम के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे 2015 में नेपाल में आने वाला भूकंप जिससे नेपाल के लोगों व वहाँ की संपत्ति को बहुत नुकसान पहुंचा था। अगर चीन की बात करें तो भारत और चीन के बीच हमेशा ही हर चीज़ को लेकर विवाद रहा है। यह भी माना जाता है कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई हर साल टेक्टोनिक प्लेट के अपने जगह से हिलने के कारण बढ़ रही है। लेकिन यहाँ हमें यह भी समझना चाहिए कि किसी पर्वत को आखिर नापा कैसे जाता है। जिस तरह से एक त्रिकोण को नापने के लिए उसके तीनों भुजाओं एवं कोणों को नापना ज़रूरी है, ठीक उसी तरह से एक पर्वत को नापने के लिए भी उसके तीनों कोणों व भुजाओं को नापा जाना अतिआवश्यक है लेकिन आज के समय में समाज के साथ साथ हर चीज़ हर तकनीक का विकास हो रहा है आज के समय में GPS (Global Positioning System) रडार का प्रयोग किया जाता है।

इन GPS सिस्टम को हवाई जहाज़ में लगा दिया जाता है और इन्हे पर्वत के इर्द गिर्द व उसके ऊपर से भी उड़ाया जाता है और फिर इनसे लिए गए अनुमानों को कम्प्यूटर में डालकर गिन लिया जाता है। परंतु माउंट एवरेस्ट या कंचनजंघा के बारे में यह बात शायद गलत भी हो। इसके बारे में कहा जाता है कि यह करीब 50 से 60 लाख साल पुराना पहाड़ है इसकी उत्पत्ति भारतीय व यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट के आपस में टकराने से हुई है और इसकी ऊंचाई हर 100 साल में करीब आधी मीटर तक बढ़ जाती है। नेपाल और चीन के अनुसार अब माउंट एवरेस्ट की नई ऊंचाई 8,848.86m (29,032फीट) है।

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