कक्षा 7 की छात्रा द्वारा लिखित

नोट्रे डेम पैरिस में स्थित एक चर्च है जो एक बिशप (पुजारी) द्वारा चलाया जाता है । यह अपने वास्तु – कला (architecture) के लिए प्रसिद्ध है । इसका निर्माण 1163 में राजा लुई VII के शासनकाल में शुरू हुआ था और 1345 में पूरा हुआ । लुई VII चाहता था कि यह पेरिस की व्यावसायिक, फेडरल, और सांस्कृतिक शक्ति का प्रतीक हो – देश और विदेश दोनों में । सदियों से कैथेड्रल में बहुत बदलाव देखे गए हैं और कई बार इसकी मरम्मत की गई है ।

दुर्भाग्य से 15 अप्रैल 2019 को इसकी मरम्मत के दौरान, छत के नीच आग लग गई जिसमें बहुत नुकसान हुआ । धातु से बनी छत का दो तिहाई  हिस्सा और कैथेड्रल का शिखर भी नष्ट हो गया । बहुत सारी कलाएँ जल गई जिन्हे मरम्मत के लिए भेजा गया । तीन आपातकालीन कर्मचारी भी घायल हो गए । सौभाग्य से, कैथेड्रल की सभी निशानियाँ बच गईं जो कि ऐतिहासिक रूप से काफी विशेष होती हैं । आग का प्रभाव इतना अधिक था कि आसपास के स्कूल और दुकानों को भी बंद करना पड़ा क्योंकि कैथेड्रल बिलकुल सुरक्षित नहीं था ।

स्विमिंग पूल, बगीचा और ग्लास से बना शिखर (जिन में कुछ बदलाव लाना था) दोबारा से नहीं बनाया जाएगा । हालांकि इसे ऐतिहासिक रूप से बिलकुल पहले जैसा बनाने के लिए लीड का इस्तेमाल किया जाएगा । यह एक शर्म की बात है कि इतनी अद्भुत स्मारक में आग लग गई ।

आग को लगे एक साल से ज़्यादा हो गया है लेकिन फिर भी अभी तक इमारत अस्थिर है । आग से निकले हुए खतरनाक लीड को साफ करने में लंबा समय लग गया । और अब covid -19 महामारी की वजह से मरम्मत अगले साल तक नहीं होगी । प्राचीन तकनीकों और वास्तुकला को वापिस लाना एक अच्छा विचार है । वैसे तो हमारे मॉडर्न बदलाव काफी आकर्षित दिखते हैं लेकिन पुरानी तकनीकों की सुंदरता ही अलग है ।