कक्षा 9 की छात्रा द्वारा लिखित

सचिन पायलट एक भारतीय राजनेता हैं जो कांग्रेस से जुड़े हुए हैं । उन्होंने राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और राजस्थान प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष के रूप में काम किया है । राजस्थान के वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व करने के बाद 14 जुलाई 2020 को उन्हें कांग्रेस पार्टी ने इन दोनों पदों से हटा दिया ।

सचिन पायलट के बारे में

पायलट स्वर्गीय कांग्रेस नेता राजेश पायलट और रमा पायलट के घर पैदा हुए थे । 2004 में, वह लोकसभा चुनाव के दौरान दौसा चुनाव क्षेत्र से चुने गए थे । 26 साल की उम्र में इसने उन्हे भारत का सबसे कम उम्र का संसद का सदस्य बनाया । उन्होंने 2009 के लोकसभा चुनाव में अजमेर की सीट जीती और 2012 में कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री नियुक्त किए गए । 2014 में, वह राजस्थान प्रदेश कांग्रेस समिति (पीसीसी) के अध्यक्ष बने, जो राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की राज्य समिति है । 2018 में राजस्थान के उपमुख्यमंत्री बने ।

कांग्रेस के साथ अभी क्या मुद्दा है ?

सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच में सत्ता की लड़ाई तब शुरू हुई जब गहलोत को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया गया । दोनों ने राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई लेकिन पार्टी अधिक अनुभवी गहलोत के पक्ष में थी, जिसकी वजह से दोनों के बीच लड़ाई शुरू हुई । 2020 में अशोक गहलोत के खिलाफ विद्रोह  ज़ाहिर करते हुए, पायलट और सोलह अन्य विधायकों (विधान सभा के सदस्य) ने 13 जुलाई को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में भाग लेने से माना कर दिया । दोनों के बीच सुलह करने के लिए 14 को एक और बैठक बुलाई गई और कांग्रेस के बहुत से सदस्यों के बुलाने के बावजूद पायलट और उनको समर्थन देने वाले विधायक बैठक में नहीं आए । इसकी वजह से पायलट को उपमुख्यमंत्री के पद से हटा दिया गया ।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने घोषणा की कि पार्टी ने पायलट और दो अन्य कैबिनेट मंत्री, विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीना को उनके पदों से हटा दिया है । कांग्रेस ने अपनी विरोधी पार्टी भारतीय जनता पार्टी पर पायलट का सहयोग करने और विद्रोह करने के लिए उकसाने का आरोप लगाया है । हालांकि अफवाहें उड़ीं कि सचिन पायलट भाजपा में शामिल होंगे लेकिन उन्होने इसको झूठा बताया। अन्य कांग्रेस सदस्यों ने कहा है कि पायलट का अभी भी स्वागत है लेकिन पार्टी ने उनको एक साल में मुखयमंत्री बनाने की मांगों से इंकार किया है । इसके अलावा, पायलट चाहते हैं कि कांग्रेस विद्रोह करने वाले विधायकों को माफ कर दें और उन्हे पार्टी में महत्वपूर्ण स्थान दें ।

तो अब क्या?

जैसे कि राजस्थान एक राजनीतिक संकट से पीड़ित है, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे अदालत में सचिन पायलट की ओर से लड़ रहे हैं और अशोक गहलोत की सरकार राजस्थान विधानसभा में फिर से लोकप्रियता हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही है । कुल 200 सीटों में से, कांग्रेस 107 से 88 तक गिर गई (विद्रोह करने वाले 19 विधायकों को छोड़कर) । भाजपा के पास वर्तमान में 72 विधायकों का सहयोग है । गहलोत को 13 विधायकों के समर्थन की जरूरत है जो उनकी पार्टी से नहीं हैं जबकि भाजपा को पदभार संभालने के लिए 26 की जरूरत है । राजस्थान में अनिश्चित स्थिति तेज होती जा रही है क्योंकि किसी को भी राजनीतिक दलों की लड़ाई का क्या परिणाम निकलेगा नहीं पता । सचिन पायलट की राह भी उतनी ही अनिश्चित दिख रही है कि वो कांग्रेस में रहेंगे, भाजपा में शामिल होंगे या अपनी अलग राजनीतिक पार्टी बनाएँगे ।