प्राची द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

नॉर्वे यूरोप का एक छोटा सा देश है। जिसकी जनसंख्या लगभग 50 लाख है। लेकिन इस छोटे से देश ने कमाल कर दिखाया है। नॉर्वे में 2020 में 54.3% इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री हुई है। ऐसा करने वाला नॉर्वे विश्व का पहला देश बन गया है।

आज पूरा विश्व, पर्यावरण को बचाने के लिए विभिन्न उपायों को खोज रहा है। उन्हीं में से एक उपाय है, इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल। जिससे प्रदूषण बहुत ही कम होता है, और पर्यावरण स्वच्छ रहता है।

नॉर्वे ने अपने देश को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए मुहिम की शुरुआत 1990 में ही कर दी थी। जिसमे डीजल के वाहनों की जगह पेट्रोल के वाहनों को प्रोत्साहन दिया गया। इसी का नतीजा है की 2011 में नॉर्वे में 75.7% डीजल कारों की संख्या घटकर 2020 में 8.6% रह गई है और इसके बाद पेट्रोल वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। परन्तु नॉर्वे में प्राकृतिक गैस व तेल का बहुत बड़ा भंडार है लेकिन नॉर्वे इसका इस्तेमाल खुद न करके, इसका आयात (Export) करता है और इलेक्ट्रिक कारों का निर्यात (Import) करता है।

इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाने के लिए नॉर्वे इलेक्ट्रिक कार खरीदने पर सब्सिडी देता है। इलेक्ट्रिक कार उपयोग करने वालों को फ्री पार्किंग भी मिलती है व फ्री चार्जींग पॉइंट भी हैं। जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इलेक्ट्रिक कारों का उपयोग करें। नॉर्वे ने 2025 तक का लक्ष्य रखा है कि उनके देश में सभी कारें इलेक्ट्रानिक होंगी।

सबसे ज्यादा पसंदीदा इलेक्ट्रिक कारें हैं – ऑडी ई-ट्रॉन, टेस्ला मॉडल 3, फॉक्सवैगन आई.डी 3 और निसान लीफ।

जापान और ब्रिटेन ने भी इलेक्ट्रिक कारों को बेचने का कानून बनाया है। भारत के पेरिस क्लाइमेट एग्रीमेंट में 2016 में शामिल होने के बाद कार्बन उत्सर्जन को कम करने का दायित्व बढ़ गया है। भारत में पर्यावरण मंत्रालय ने 2030 तक 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाने का प्रस्ताव रखा है।

आने वाले समय में नॉर्वे इलेक्ट्रिक वाहनों को हाइड्रोजन फ्यूल सैल (hydrogen fuel cell) वाहनों से बदलना चाहता है, जिससे नॉर्वे में बिजली उत्पादन करने के समय होने वाला प्रदूषण भी न हो और नॉर्वे 100 प्रतिशत प्रदूषण मुक्त हो जाए।

क्या आप भी नन्ही खबर के लिए लिखना चाहते हैं? 
संपर्क करें nanhikhabar@gmail.com पर